क्या समय रुक गया था? 28 साल बाद भी ग्लेशियर से सुरक्षित निकला शव, सामने आया हैरान करने वाला मामला

Edited By Updated: 07 Aug, 2025 01:51 PM

even after 28 years the body was recovered safely from the glacier

पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रांत के कोहिस्तान में एक अजीबोगरीब घटना सामने आई है, जिसने सबको हैरान कर दिया है। एक चरवाहे को पहाड़ों और ग्लेशियरों के बीच एक पूरी तरह सुरक्षित शव मिला है, जिसके बारे में जानकर पता चला कि वह व्यक्ति 28 साल पहले...

नेशनल डेस्क: पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रांत के कोहिस्तान में एक अजीबोगरीब घटना सामने आई है, जिसने सबको हैरान कर दिया है। एक चरवाहे को पहाड़ों और ग्लेशियरों के बीच एक पूरी तरह सुरक्षित शव मिला है, जिसके बारे में जानकर पता चला कि वह व्यक्ति 28 साल पहले लापता हो गया था। यह घटना एक बार फिर से जलवायु परिवर्तन और ग्लेशियरों के तेज़ी से पिघलने की सच्चाई को उजागर करती है।

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कैसे और कब मिला शव?

यह चौंकाने वाली घटना तब सामने आई जब उमर ख़ान अपने दोस्तों के साथ मवेशियों के चारे की तलाश में लेदी वैली गए थे। यह इलाका साल भर बर्फ से ढका रहता है, लेकिन इस साल गर्मी ज़्यादा होने के कारण बर्फ तेज़ी से पिघल रही थी। इसी दौरान उन्हें एक जगह पर बर्फ के नीचे से एक लाश दिखाई दी।

उमर ख़ान ने बताया, "हमने देखा कि लाश पूरी तरह से सुरक्षित थी, जैसे अभी-अभी किसी की मौत हुई हो। उसके कपड़े भी फटे नहीं थे।" जब उन्होंने और उनके दोस्तों ने शव की तलाशी ली तो उन्हें एक पहचान पत्र मिला। उस पर 'नसीरुद्दीन' नाम लिखा था। बाद में पता चला कि नसीरुद्दीन नाम का यह व्यक्ति 28 साल पहले इसी इलाके से लापता हो गया था।

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कौन थे नसीरुद्दीन?

नसीरुद्दीन कोहिस्तान के पालस इलाके के रहने वाले थे। उनका परिवार एक पारिवारिक दुश्मनी के कारण परेशान था। उनके एक भाई की पहले ही हत्या हो चुकी थी। इस हत्या के बाद उन पर और उनके भाई कसीरुद्दीन पर मुकदमा दर्ज हुआ था। गिरफ्तारी से बचने के लिए नसीरुद्दीन और उनके भाई इस इलाके से भाग निकले थे।

स्थानीय पुलिस के रिकॉर्ड के अनुसार यह मामला लगभग 28 साल पुराना है। उस वक्त पुलिस ने जांच पूरी करके फाइल बंद कर दी थी। नसीरुद्दीन के परिवार ने उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट कभी दर्ज नहीं कराई थी।

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28 साल बाद भी शव कैसे रहा सुरक्षित?

कॉमसैट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद बिलाल ने इस रहस्य पर से पर्दा उठाया। उन्होंने बताया कि ग्लेशियर के अंदर का बेहद ठंडा तापमान शव को गलने-सड़ने से रोकता है।

  • कम तापमान: बेहद कम तापमान की वजह से शरीर में मौजूद एंजाइम और बैक्टीरिया, जो शरीर को गलाते हैं, निष्क्रिय हो जाते हैं।
  • ऑक्सीजन की कमी: ग्लेशियर में ऑक्सीजन की मात्रा भी बहुत कम होती है, जिससे बैक्टीरिया प्रभावी ढंग से काम नहीं कर पाते।
  • ममीफिकेशन: ठंडे और नमी-रहित माहौल में शरीर का पानी सूख जाता है, जिससे वह प्राकृतिक रूप से 'ममी' की तरह बन जाता है।
  • प्राकृतिक सुरक्षा कवच: बर्फ शरीर के चारों ओर एक प्राकृतिक सुरक्षा कवच बनाती है, जो उसे बाहरी मौसम और कीटाणुओं से बचाता है।

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