Edited By Rohini Oberoi,Updated: 03 Nov, 2025 12:38 PM
आज के दौर में हेल्थ इंश्योरेंस लेना हर किसी की प्राथमिकता बन गया है लेकिन जागरूकता की कमी के कारण लोग अक्सर एक बड़ी गलती कर बैठते हैं। एक स्टैंडर्ड हेल्थ पॉलिसी हर तरह की बीमारी खासकर गंभीर बीमारियों के इलाज का पूरा खर्च कवर नहीं कर पाती। गंभीर...
नेशनल डेस्क। आज के दौर में हेल्थ इंश्योरेंस लेना हर किसी की प्राथमिकता बन गया है लेकिन जागरूकता की कमी के कारण लोग अक्सर एक बड़ी गलती कर बैठते हैं। एक स्टैंडर्ड हेल्थ पॉलिसी हर तरह की बीमारी खासकर गंभीर बीमारियों के इलाज का पूरा खर्च कवर नहीं कर पाती। गंभीर बीमारियों के दौरान जब इलाज लंबा और महंगा हो जाता है तो लोग अक्सर अपनी जीवन भर की जमा-पूंजी इलाज में गंवा देते हैं।
क्यों ज़रूरी है क्रिटिकल इलनेस कवर?
लोगों को लगता है कि एक बेसिक हेल्थ पॉलिसी उन्हें पूरी सुरक्षा देगी जबकि हकीकत यह है कि ज़्यादातर सामान्य पॉलिसियां गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर, हार्ट अटैक (दिल का दौरा), स्ट्रोक, किडनी फेलियर, लकवा और बड़ी सर्जरी को कवर नहीं करतीं।
क्या है क्रिटिकल इलनेस कवर?
यह एक राइडर या ऐड-ऑन प्लान है जिसे आप अपनी बेसिक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ अतिरिक्त प्रीमियम देकर जोड़ सकते हैं। यह प्लान उन जानलेवा बीमारियों को कवर करता है जो स्टैंडर्ड पॉलिसी में शामिल नहीं होतीं।
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सबसे बड़ा फायदा: क्लेम में मिलती है एकमुश्त राशि
क्रिटिकल इलनेस कवर का सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण फायदा यह है कि क्लेम पास होने पर बीमित राशि (Sum Assured) आपको एकमुश्त (Lump-Sum) दे दी जाती है। स्टैंडर्ड हेल्थ इंश्योरेंस में आपको अस्पताल का बिल दिखाकर ही कवरेज मिलता है। गंभीर बीमारी का निदान (Diagnosis) होने पर (और वेटिंग पीरियड पूरा होने पर) आपको पॉलिसी में तय की गई राशि एक साथ मिल जाती है।
यह लंपसम पेमेंट परिवार को कई तरह से मदद करता है:
अन्य खर्चों के लिए: इसका उपयोग इलाज के अलावा दवाइयों, चेकअप्स या घर के खर्चों को पूरा करने में किया जा सकता है।
आय की हानि: गंभीर बीमारी के कारण कई बार नौकरी छूट जाती है या परिवार की कमाई रुक जाती है। यह एकमुश्त भुगतान घर चलाने में आर्थिक मदद करता है और परिवार को सुरक्षा देता है।
पॉलिसी लेते समय इन बातों का रखें ध्यान
अगर आप 40 वर्ष से अधिक हैं या हाई-रिस्क जॉब में हैं तो यह कवर आपके लिए बेहद ज़रूरी है। पॉलिसी लेते या अपडेट करते समय इन बातों का ध्यान रखें:
मौजूदा पॉलिसी की जांच: सबसे पहले अपनी मौजूदा पॉलिसी चेक करें कि उसमें क्रिटिकल इलनेस राइडर है या नहीं। यदि नहीं तो उसे तुरंत जोड़ लें यह अतिरिक्त प्रीमियम एक निवेश है।
कवर की गई बीमारियां: पॉलिसी चुनते समय कवर की गई गंभीर बीमारियों की लिस्ट देखें। सुनिश्चित करें कि उसमें कम से कम 10 से 15 क्रिटिकल डिजीज कवर हों।
फैमिली फ्लोटर: सुरक्षा को अधिकतम करने के लिए फैमिली फ्लोटर प्लान लें।
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वेटिंग पीरियड: वेटिंग पीरियड (Waiting Period) पर ध्यान दें:
90 दिन: अधिकतर प्लान में 90 दिन का इनिशियल वेटिंग पीरियड होता है।
36 महीने: पहले से मौजूद बीमारियों (Pre-existing Diseases) के लिए 36 महीने तक का वेटिंग पीरियड हो सकता है।
टैक्स बेनिफिट्स: चेक करें कि आपको सेक्शन 80डी के तहत टैक्स बेनिफिट्स मिल रहे हैं या नहीं।
याद रखें हेल्थ इंश्योरेंस सिर्फ अस्पताल का बिल कवर नहीं करता बल्कि यह आपके परिवार की वित्तीय सुरक्षा (Financial Security) की गारंटी है।