कनाडा के 100 से ज्यादा कॉलेज भारतीय छात्रों के भरोसे, Indian students पर टिकी देश की 20% अर्थव्यवस्था

Edited By Updated: 29 Oct, 2024 05:27 PM

explained in indian student applications to cost canada billions

भारत और कनाडा के बीच संबंधों में एक बार फिर बढ़े तनाव ने  दोनों देशों के लोगों की टेंशन बढ़ा दी  है । कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो के हालिया एकतरफा रुख का असर वहाँ के ...

International Desk: भारत और कनाडा के बीच संबंधों में एक बार फिर बढ़े तनाव ने  दोनों देशों के लोगों की टेंशन बढ़ा दी  है । कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो के हालिया एकतरफा रुख का असर वहाँ के भारतीय छात्रों पर पड़ता दिख रहा है।वर्तमान में, कनाडा में लगभग 2.3 लाख भारतीय छात्र अध्ययन कर रहे हैं, जो हर साल 2.10 लाख करोड़ रुपए से अधिक की फीस भरते हैं। ये छात्र न केवल शैक्षिक खर्च में योगदान करते हैं, बल्कि पार्ट टाइम नौकरियों, रियल एस्टेट किराए और परिवहन क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, लगभग 100 कॉलेज भारतीय छात्रों की उपस्थिति पर निर्भर हैं, जिससे कनाडा की 20% अर्थव्यवस्था सीधे या परोक्ष रूप से भारतीय छात्रों से जुड़ी हुई है। 

 

जानकारी के अनुसार कनाडा सरकार ने नए आव्रजन नीतियों की घोषणा की है, जो देश के उच्च शिक्षा क्षेत्र से अरबों डॉलर की कमी का कारण बन सकती हैं। ओंटारियो अकेले अगले दो वर्षों में 1 बिलियन कनाडाई डॉलर का नुकसान देखने की उम्मीद कर रहा है। इंटरनेशनल कंसल्टेंट्स फॉर एजुकेशन एंड फेयर्स (ICEF) मॉनिटर द्वारा मंगलवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय छात्र, जो अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के सबसे बड़े समूह का प्नतिनिधत्व करते हैं, पर इसका असर पड़ेगा, लेकिन असली वित्तीय बोझ कनाडा पर ही पड़ेगा क्योंकि अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में कमी आएगी। 

 

कनाडा सरकार ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए कई नई नीतियां लागू की हैं। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण एक नए अध्ययन परमिट पर संघीय स्तर पर लगाए गए सीमा है, जिसके अनुसार 2024 में नए अध्ययन परमिट में 35% की कमी आएगी, जबकि 2025 में और 10% की कटौती होगी। ये सीमाएं 2025 से मास्टर और डॉक्टोरल छात्रों पर भी लागू होंगी, जिससे सिस्टम पर और दबाव बढ़ेगा। रिपोर्ट के अनुसार कनाडा में लगभग 18 लाख भारतवंशी नागरिक हैं, जिनमें से 10 लाख भारतीय यहाँ रह रहे हैं। इन भारतीयों में से करीब 9 लाख लोग सेवा क्षेत्र में कार्यरत हैं। कनाडा ब्यूरो ऑफ सर्विस की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अब सबसे बड़े प्रवासी समूह के रूप में उभरे हैं, जबकि पहले चीनी प्रवासी इस श्रेणी में नंबर एक थे।

 

इसका मुख्य कारण यह है कि भारतीय छात्र पढ़ाई के बाद कनाडा में नौकरी करने के लिए अधिक रुख कर रहे हैं। ओटारियो में रहने वाले हितेश पटेल के अनुसार, आज के दौर में अमेरिका की तुलना में कनाडा एक अधिक आकर्षक विकल्प बन गया है। कनाडा के उद्यमियों द्वारा भारतीय प्रतिभाओं को नौकरी देने में प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे भारतीय समुदाय का योगदान और भी महत्वपूर्ण हो गया है। 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय छात्र स्थानीय छात्रों की तुलना में जॉब सर्च में करीब पांच गुना ज्यादा फीस का भुगतान कर रहे हैं, जो प्रवासी छात्रों के बीच सबसे अधिक है। इस स्थिति ने कनाडा में शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में भारतीय छात्रों की अहमियत को और बढ़ा दिया है।  

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