Edited By Anu Malhotra,Updated: 24 Sep, 2025 10:37 AM

अमेरिका में H-1B वीजा प्रणाली में बड़े बदलाव की घोषणा की गई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में H-1B वीजा के लिए फीस बढ़ाने के साथ-साथ लॉटरी सिस्टम को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। अब वीजा आवेदकों का चयन उनकी सैलरी और प्रोफेशनल योग्यता के आधार...
नेशनल डेस्क: अमेरिका में H-1B वीजा प्रणाली में बड़े बदलाव की घोषणा की गई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में H-1B वीजा के लिए फीस बढ़ाने के साथ-साथ लॉटरी सिस्टम को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। अब वीजा आवेदकों का चयन उनकी सैलरी और प्रोफेशनल योग्यता के आधार पर किया जाएगा। इस नए नियम के तहत, वीजा आवेदन करने वालों को एक लाख डॉलर की अतिरिक्त फीस भी देनी होगी, जो लगभग 85 लाख रुपये के बराबर है। हालांकि, इस भारी शुल्क से मेडिकल सेक्टर को छूट दी गई है।
इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य अमेरिकी नागरिकों की नौकरियों की सुरक्षा करना और कम वेतन पर विदेशी श्रमिकों की भर्ती को रोकना है। इस नीति का सबसे बड़ा असर भारतीय और अन्य विदेशी कर्मियों पर पड़ेगा, क्योंकि अमेरिका में लगभग 70 प्रतिशत H-1B वीजा धारक भारतीय नागरिक हैं।
पहले H-1B वीजा आवेदन प्रक्रिया में कंपनियां USCIS (US Citizenship and Immigration Services) की वेबसाइट पर इलेक्ट्रॉनिक रजिस्ट्रेशन करती थीं, जिसमें प्रति आवेदन $215 का भुगतान करना होता था। आवेदन संख्या निर्धारित सीमा से अधिक होने पर कंप्यूटर जनरेटेड रैंडम लॉटरी के माध्यम से चयन होता था। इसके तहत पहले 20,000 मास्टर्स डिग्री धारकों को वीजा दिया जाता था और फिर बाकी 65,000 वीजा जारी किए जाते थे। इसके बाद चयनित आवेदकों की फीस जमा कराकर वीजा जारी किया जाता था।
2025-26 वित्तीय वर्ष के लिए USCIS ने कुल 1,18,660 आवेदकों का चयन किया था, जबकि कुल रजिस्ट्रेशन की संख्या 1,20,141 थी। अब इस प्रक्रिया में परिवर्तन कर उच्च वेतन वाले और बेहतर कौशल वाले आवेदकों को प्राथमिकता दी जाएगी।
इस नई व्यवस्था से न केवल आवेदन प्रक्रिया में बदलाव आएगा, बल्कि अमेरिकी रोजगार बाजार में भी विदेशी श्रमिकों की भूमिका पर असर पड़ेगा। इससे ट्रंप प्रशासन का मकसद अमेरिकी नागरिकों को रोजगार के अवसर दिलाना और विदेशी श्रमिकों की संख्या नियंत्रित करना है।
इस बदलाव के बाद H-1B वीजा पाने के लिए अब केवल उच्च वेतन और कौशल वाले पेशेवरों को मौका मिलेगा, जबकि कम वेतन वाले और कम योग्य श्रमिकों के लिए यह अवसर सीमित हो जाएगा। ट्रंप सरकार ने इस नई नीति को लागू कर अमेरिकी रोजगार बाजार में विदेशी कामगारों की भूमिका को पुनः निर्धारित किया है।