पहले बाढ़ ने डुबोया, अब अंधेरा पड़ा पीछे... इस इलाके में बिजली-पानी को तरस रहे लोग

Edited By Updated: 11 Sep, 2025 01:06 AM

first floods drowned us now darkness has followed

जब पानी कहर बनकर आता है, तो सिर्फ घर नहीं डूबते- सपने, सुकून और उम्मीदें भी बह जाते हैं। कुछ ऐसा ही हाल हरियाणा के फरीदाबाद जिले के बसंतपुर इलाके का है, जहां यमुना नदी की बाढ़ ने लोगों की जिंदगी को पूरी तरह से हिला कर रख दिया।

नेशनल डेस्क: जब पानी कहर बनकर आता है, तो सिर्फ घर नहीं डूबते- सपने, सुकून और उम्मीदें भी बह जाते हैं। कुछ ऐसा ही हाल हरियाणा के फरीदाबाद जिले के बसंतपुर इलाके का है, जहां यमुना नदी की बाढ़ ने लोगों की जिंदगी को पूरी तरह से हिला कर रख दिया।

बाढ़ के दौरान मकान, गलियां और खेत सब जलमग्न हो गए। अब धीरे-धीरे पानी उतर रहा है और लोग अपने घरों की ओर लौटने लगे हैं, लेकिन मुसीबत अभी खत्म नहीं हुई। बिजली कटौती और पानी की किल्लत ने लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।

15 दिन से अंधेरे में डूबे घर

बाढ़ को बीते दो हफ्ते हो चुके हैं, लेकिन इलाके में बिजली आपूर्ति अब तक बहाल नहीं हो पाई है। पीने के पानी की भारी कमी है और सरकार की ओर से अब तक कोई मदद नहीं पहुंची।

स्थानीय निवासी मोहम्मद असीम बताते हैं कि बाढ़ के दौरान उनके घर में 8 से 10 फीट तक पानी भर गया था। टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन- सब कुछ खराब हो गया। उन्होंने बताया, “करीब डेढ़ लाख रुपये का नुकसान हो गया है। मैं ऑटो चलाकर घर चलाता हूं। ऊपर से यह आफत टूट पड़ी है। न बिजली है, न पानी और न सरकार से कोई मदद।”

सरकार का कहना है कि यह कॉलोनी अवैध है, और इसे तोड़ा जाएगा।

लोग अपने घर छोड़कर किराए पर रहने को मजबूर

स्थानीय महिला राजकुमारी बताती हैं कि उनका घर अभी भी पानी में डूबा है। मजबूरी में उन्हें परिवार के साथ खादर इलाके में किराए के कमरे में रहना पड़ रहा है। वे कहती हैं, “15 दिन से बिजली नहीं है। पीने के पानी के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। रात में बाढ़ आई और हम संभल भी नहीं पाए।”

बुजुर्ग महिला शानिका कहती हैं, “हम आठ लोगों का परिवार हैं। सब मजदूरी और सिलाई करके गुजारा करते हैं। बाढ़ में सब डूब गया। अब पानी पास के नल से लाना पड़ता है। बिजली नहीं है, किराया देना मुश्किल हो रहा है।”

"बाढ़ से ज़्यादा बिजली की कटौती परेशान कर रही"

रामपाल सिंह, जो पिछले 5 साल से इस इलाके में रह रहे हैं, कहते हैं, “बाढ़ आते ही बिजली सबसे पहले चली जाती है। दो महीने से बिजली नहीं है। पानी अब जरूर घटा है, लेकिन लोग बिजली न होने के कारण घरों में लौटने से डर रहे हैं।”

स्थानीय महिलाएं जगपाल और माया भी कहती हैं कि अंधेरे में रहना सबसे बड़ी तकलीफ है। 65 साल की माया मजदूरी करके गुजारा करती हैं। वह कहती हैं, “अब यह बाढ़ और अंधेरा दोहरी मार बन गया है।”

किसान महिला ज्ञान देवी कहती हैं, “पानी तो तीन दिन में काफी हद तक चला गया, लेकिन बिजली अब तक नहीं आई। मेरे लिए बाढ़ से बड़ी आफत यही बिजली कटौती बन गई है।”

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