Edited By Rohini Oberoi,Updated: 19 Dec, 2025 11:26 AM

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के इतिहास में कई बड़े एनकाउंटर हुए हैं लेकिन साल 2005 का सोनू गैंगस्टर एनकाउंटर आज भी विभाग के गलियारों में चर्चा का विषय रहता है। यह कहानी है एक ऐसे गैंगस्टर की जिसने पूरे दिल्ली-एनसीआर में दहशत फैला रखी थी लेकिन उसकी एक...
नेशनल डेस्क। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के इतिहास में कई बड़े एनकाउंटर हुए हैं लेकिन साल 2005 का सोनू गैंगस्टर एनकाउंटर आज भी विभाग के गलियारों में चर्चा का विषय रहता है। यह कहानी है एक ऐसे गैंगस्टर की जिसने पूरे दिल्ली-एनसीआर में दहशत फैला रखी थी लेकिन उसकी एक गलती और स्पेशल सेल की जांबाजी ने उसका अंत कर दिया। इस पूरे मिशन का नेतृत्व करने वाले एनकाउंटर स्पेशलिस्ट और रिटायर्ड एसीपी ललित मोहन नेगी ने इस रहस्यमयी ऑपरेशन की परतें खोली हैं।
कौन था ललित मोहन नेगी?
ललित मोहन नेगी दिल्ली पुलिस का वो नाम हैं जिनसे आतंकवादी और गैंगस्टर खौफ खाते थे। उनके करियर की कुछ बड़ी उपलब्धियां:
33 एनकाउंटर: उन्होंने अपने करियर में कुल 33 एनकाउंटर किए जिनमें 47 अपराधी और आतंकी ढेर हुए (11 पाकिस्तानी आतंकी शामिल)।
बड़े केस: संसद हमला (2001), जामा मस्जिद हमला, जर्मन बेकरी ब्लास्ट और सिद्धू मूसेवाला मर्डर मिस्ट्री जैसे हाई-प्रोफाइल केस सुलझाए।
मौजूदा भूमिका: रिटायर होने के बाद भी दिल्ली पुलिस उनके अनुभव का लाभ उठा रही है और वे बतौर सलाहकार सेवा दे रहे हैं। गृह मंत्रालय ने उन्हें Y+ श्रेणी की सुरक्षा दी है।
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ऑपरेशन सोनू: जब एक लड़की बनी पुलिस का हथियार
नजफगढ़ का गैंगस्टर सोनू कई हत्याओं को अंजाम दे चुका था। पुलिस महीनों से उसके पीछे थी लेकिन वह हर बार चकमा दे देता था। तभी पुलिस को एक मैनुअल इनपुट मिला। सोनू की एक घिनौनी आदत थी। वह हर दो दिन में एक नई लड़की को उठाता था और उसका शोषण करता था। सोनू ने एक लड़की को दो दिन तक बंधक बनाकर रखा और फिर छोड़ दिया। स्पेशल सेल ने उस लड़की को विश्वास में लिया। लड़की ने पुलिस को गुड़गांव (गुरुग्राम) की उस सोसाइटी का पता बताया जहां उसे रखा गया था।
14 घंटे का तांडव: 11वीं मंजिल पर डेथ वारंट
पुलिस जब गुड़गांव की उस नई सोसाइटी में पहुंची तो वहां 80% फ्लैट खाली थे। यह ऑपरेशन किसी फिल्म के क्लाइमेक्स जैसा था। सोनू चालाक था वह फोन इस्तेमाल करने के लिए अपने ठिकाने से दूर जाता था ताकि पुलिस लोकेशन ट्रेस न कर सके। पुलिस ने एक फ्लैट का दरवाजा तोड़ा। वहां सोनू का एक साथी मिला। पूछताछ के बाद पता चला कि सोनू पास के ही एक दूसरे घर में छिपा है।
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जब पुलिस ने सोनू को घेरा तो उसने अपनी पिस्टल नीचे फेंक दी ताकि पुलिस को लगे कि वह सरेंडर कर रहा है लेकिन नेगी और उनकी टीम ने उसकी चालाकी भांप ली कमरे के अंदर हथियारों का जखीरा था। सोनू के साथी फ्लैट के पिछले हिस्से से नीचे उतरने की कोशिश कर रहे थे। 14 घंटे तक चली इस मुठभेड़ में स्पेशल सेल के 50-60 जवानों ने मोर्चा संभाला। अंत में सोनू जसवंत और जयप्रकाश तीनों गैंगस्टर ढेर कर दिए गए।
एनकाउंटर का महत्व
यह एनकाउंटर इसलिए खास था क्योंकि इसमें पुलिस ने होस्टेज (बंधक) सिचुएशन को बहुत ही पेशेवर तरीके से संभाला और रिहायशी इलाके में बिना किसी नागरिक को नुकसान पहुंचाए खूंखार अपराधियों का सफाया किया।