Gold Loan Rules: RBI की चेतावनी के बाद गोल्ड लोने पर बैंकों ने बदल दिए नियम, हुआ ये बड़ा बदलाव

Edited By Updated: 22 Dec, 2025 09:02 AM

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सोने पर आसान लोन लेने का दौर अब बदलने वाला है। RBI की चेतावनी के बाद बैंकों और NBFC ने GOLD LOAN के नियम कड़े कर दिए हैं। अब सोने की कीमत में उतार-चढ़ाव को देखते हुए पहले 70–72% तक मिलने वाली लोन राशि घटाकर 60–65% कर दी गई है। इसका मतलब यह है कि अब...

नेशनल डेस्क:  सोने पर आसान लोन लेने का दौर अब बदलने वाला है। RBI की चेतावनी के बाद बैंकों और NBFC ने GOLD LOAN के नियम कड़े कर दिए हैं। अब सोने की कीमत में उतार-चढ़ाव को देखते हुए पहले 70–72% तक मिलने वाली लोन राशि घटाकर 60–65% कर दी गई है। इसका मतलब यह है कि अब वही सोना रखने पर पहले जितना पैसा नहीं मिलेगा। बैंक इस कदम से गिरती कीमतों के चलते रिकवरी में होने वाले जोखिम को कम करना चाहते हैं।
 
क्यों अचानक बदले नियम?

Gold Loan सेक्टर में यह बदलाव अचानक नहीं है। असल वजह है सोने की कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव। RBI ने लेंडर्स को आगाह किया है कि बुलियन मार्केट में बढ़ती अस्थिरता बैंकिंग सिस्टम के लिए जोखिम बन सकती है। इसी के बाद जिन बैंकों और एनबीएफसी कंपनियों ने अब तक सोने की कीमत का 70 से 72 प्रतिशत तक लोन देना शुरू कर रखा था, उन्होंने अब अपना रुख बदल लिया है।

अब ज्यादातर संस्थान लोन-टू-वैल्यू (LTV) रेशियो को घटाकर 60 से 65 प्रतिशत तक सीमित कर रहे हैं। यानी, वही सोना जो पहले ज्यादा रकम दिला देता था, अब उस पर कम पैसा मिलेगा।

आम आदमी पर क्या असर पड़ेगा?

सरल शब्दों में समझें तो अगर पहले एक लाख रुपये के सोने पर आपको करीब 72 हजार रुपये तक लोन मिल जाता था, तो अब उसी सोने पर 60 से 65 हजार रुपये मिलने की संभावना है। बैंकों ने यह फैसला अपने जोखिम को कम करने और भविष्य की अनिश्चितताओं से बचने के लिए लिया है।

सोने के दाम गिरे तो खतरा क्यों?

बैंकों की चिंता सिर्फ मौजूदा ऊंचे भावों तक सीमित नहीं है। फिलहाल सोने की कीमतें रिकॉर्ड स्तर के आसपास हैं और MCX पर भाव लगभग 1.31 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच चुके हैं। लेकिन अगर आने वाले समय में कीमतों में 10 से 15 प्रतिशत की गिरावट आती है, तो हालात बदल सकते हैं।

ऐसी स्थिति में गिरवी रखे गए सोने की कीमत, बकाया लोन से कम हो सकती है। इससे उधारकर्ता के लिए लोन चुकाने की बजाय डिफॉल्ट करना आसान विकल्प बन सकता है। यही स्थिति बैंकों की एसेट क्वालिटी को नुकसान पहुंचा सकती है। इसी जोखिम को देखते हुए अब लेंडर्स ज्यादा सतर्क हो गए हैं।

युवाओं में तेजी से बढ़ा गोल्ड लोन का चलन

आरबीआई और बैंकों की चिंता की एक और बड़ी वजह है उधारकर्ताओं का बदलता प्रोफाइल। आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष 2021 के बाद से 21 से 30 साल की उम्र के लोगों द्वारा लिया गया गोल्ड लोन दोगुना हो चुका है। वहीं 31 से 40 वर्ष के लोग कुल गोल्ड लोन का करीब 45 प्रतिशत हिस्सा लेते हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि यह पैसा ज्यादातर बिजनेस या किसी एसेट बनाने में नहीं, बल्कि रोजमर्रा के खर्चों और उपभोग की जरूरतों में इस्तेमाल हो रहा है।

रिकॉर्ड ग्रोथ के बाद अब ब्रेक

मार्च 2025 के बाद से गोल्ड लोन में सालाना आधार पर करीब 100 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अक्टूबर 2025 तक गोल्ड लोन का कुल आकार 3.37 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था। इतनी तेज रफ्तार के बाद अब सेक्टर आक्रामक विस्तार की बजाय स्थिरता को प्राथमिकता दे रहा है। बैंक और वित्तीय संस्थान नहीं चाहते कि गोल्ड लोन भी माइक्रोफाइनेंस या पर्सनल लोन की तरह संकट में फंसे। इसी वजह से अब ‘पहले सुरक्षा, फिर सुविधा’ की नीति अपनाई जा रही है।
 

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