'मेक इन इंडिया' को मिलेगा बूस्ट: मोदी सरकार का बड़ा फैसला, सौर ऊर्जा के लिए GST 12% से घटाकर 5%

Edited By Updated: 24 Sep, 2025 08:04 PM

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केंद्रीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में जीएसटी को 12% से घटाकर 5% करने की घोषणा की, जिससे 2030 तक ₹1-1.5 लाख करोड़ की बचत होगी। इससे स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं की लागत घटेगी और बिजली सस्ती होगी। सरकार 'स्वदेशी' सौर मूल्य...

नेशनल डेस्क : केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने सोमवार को घोषणा की कि नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में जीएसटी (GST) को 12% से घटाकर 5% करने से साल 2030 तक ₹1-1.5 लाख करोड़ की बचत होगी। यह कदम भारत के 500 गीगावाट (GW) नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण साबित होगा।

जोशी ने कहा, "अगले पांच सालों में 248 GW की क्षमता स्थापित करने के हमारे लक्ष्य के लिए, इस जीएसटी कटौती से लगभग ₹1-1.5 लाख करोड़ की बचत होगी। यह एक बड़ा फ़ायदा है।" भारत का लक्ष्य 2030 तक 500 GW नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करना है, जिसमें से अब तक 252 GW की क्षमता हासिल की जा चुकी है।

लागत में कमी से बिजली होगी सस्ती
सरकार के अनुसार, नवीकरणीय ऊर्जा मूल्य श्रृंखला में जीएसटी दरों को 12% से 5% तक तर्कसंगत बनाने से स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं की लागत कम होगी। इससे बिजली अधिक किफायती होगी और इसका सीधा लाभ उपभोक्ताओं को मिलेगा।

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार, एक यूटिलिटी-स्केल सौर परियोजना की पूंजीगत लागत, जो आमतौर पर ₹3.5-4 करोड़ प्रति मेगावाट (MW) होती है, अब ₹20-25 लाख प्रति मेगावाट तक कम हो जाएगी। 500 MW के सौर पार्क के लिए, इसका मतलब है कि परियोजना की लागत में ₹100 करोड़ से ज़्यादा की कमी आएगी, जिससे बिजली की दरें अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगी।

इसके अलावा, 'पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना' के तहत एक सामान्य 3 किलोवाट रूफटॉप सिस्टम अब लगभग ₹9,000-10,500 सस्ता होगा, जिससे योजना का बड़े पैमाने पर विस्तार होगा।

'स्वदेशी' सौर मूल्य श्रृंखला को मिलेगा बढ़ावा
सरकार पॉलीसिलिकॉन, इनगॉट्स और वेफर्स सहित पूरी तरह से 'स्वदेशी' सौर मूल्य श्रृंखला विकसित करने के लिए एक व्यापक योजना पर काम कर रही है। घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए सरकार वायबिलिटी गैप फंडिंग (VGF) और उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (PLI) जैसी योजनाओं पर भी विचार कर रही है। जोशी ने सीआईआई (CII) के 6वें अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा सम्मेलन में कहा, "हमने इनगॉट्स, वेफर और पॉलीसिलिकॉन के लिए एक रूपरेखा बनाना शुरू कर दिया है, और हम इसके लिए वायबिलिटी गैप फंडिंग या पीएलआई जैसी योजनाओं को लेकर आएंगे।"

मंत्रालय इनगॉट्स और वेफर्स के लिए 'मॉडल और निर्माताओं की अनुमोदित सूची' (ALMM) लाने पर भी काम कर रहा है, ताकि इन उत्पादों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिल सके। मंत्रालय ने पहले ही एक मसौदा संशोधन जारी किया है, जिसमें 1 जून 2028 से वेफर्स के लिए ALMM सूची III को लागू करने का प्रस्ताव है। हालांकि, यह सूची तभी जारी होगी जब देश में तीन स्वतंत्र विनिर्माण सुविधाएं हों जिनकी कुल क्षमता 15 GW हो।

वर्तमान में, भारत की घरेलू वेफर क्षमता केवल 2.2 GW है, और देश इन घटकों के आयात के लिए बड़े पैमाने पर चीन पर निर्भर है। ALMM उन मॉडलों और निर्माताओं की एक सूची है जिनसे सौर परियोजना डेवलपर आवश्यक उपकरण खरीद सकते हैं। वर्तमान में, यह सूची सौर मॉड्यूल पर लागू है और अगले साल जून से सौर सेल पर भी लागू होने की उम्मीद है।

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