सेस आखिर किस बला का नाम है और कितने तरह का होता है, जिसके चलते GST पर मिलने जा रही बड़ी राहत

Edited By Updated: 04 Sep, 2025 07:30 PM

gst tax slab changes cess removal auto sector benefits nirmala sitharaman news

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 3 सितंबर को जीएसटी काउंसिल की बैठक में 12% और 28% टैक्स स्लैब खत्म कर 5% और 18% स्लैब बनाए। साथ ही सेस (अतिरिक्त कर) को भी पूरी तरह खत्म किया गया। इससे ऑटो सेक्टर को सबसे ज्यादा फायदा होगा और कारों की कीमतें घटेंगी।...

नेशनल डेस्क : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 3 सितंबर की रात देशवासियों को एक बड़ा दिवाली गिफ्ट दिया है। जीएसटी काउंसिल की मैराथन बैठक के बाद टैक्स स्लैब में व्यापक बदलाव की घोषणा की गई है। करीब 11 घंटों तक चली इस बैठक में केंद्र सरकार ने 12 फीसदी और 28 फीसदी के टैक्स स्लैब को पूरी तरह समाप्त करने का फैसला किया है। अब केवल 5 फीसदी और 18 फीसदी के दो टैक्स स्लैब ही लागू रहेंगे। इसके साथ ही सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाते हुए सेस यानी अतिरिक्त कर को पूरी तरह खत्म करने का ऐलान किया है। इस फैसले से कई महंगी वस्तुएं पहले की तुलना में सस्ती हो जाएंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि सेस हटने से ऑटो सेक्टर को सबसे अधिक फायदा होगा। आइए, इस फैसले के बारे में विस्तार से जानते हैं।

सेस क्या है?
सेस एक विशेष प्रकार का कर है, जो केंद्र सरकार द्वारा वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाता है। इसे किसी खास उद्देश्य के लिए लागू किया जाता है और इससे प्राप्त राजस्व का उपयोग आपात स्थिति या विशेष जरूरतों के लिए किया जाता है। आमतौर पर, जिस सेक्टर से सेस वसूला जाता है, उसी सेक्टर की प्रगति और कल्याण के लिए इसका उपयोग होता है। सेस से मिलने वाला धन केंद्र सरकार के पास रहता है और इसे राज्यों के साथ साझा नहीं किया जाता।

सरकार जीएसटी कंपनसेशन सेस के अलावा कई अन्य प्रकार के सेस लगाती है, जैसे तंबाकू और तंबाकू उत्पादों पर नेशनल कैलामिटी कॉन्टिन्जेंसी सेस, भवन और अन्य निर्माण कार्यकर्ताओं के कल्याण सेस, सड़क और इंफ्रास्ट्रक्चर सेस, स्वास्थ्य और शिक्षा सेस, कच्चे तेल पर सेस, और निर्यात पर सेस। सरकार समय-समय पर जरूरत के आधार पर सेस लगाती और हटाती रहती है। जब केंद्र को लगता है कि किसी सेस की आवश्यकता नहीं है, तो उसे समाप्त किया जा सकता है।

ऑटो सेक्टर को मिलेगा बड़ा लाभ
केंद्र सरकार के सेस हटाने के फैसले से ऑटो सेक्टर में जबरदस्त राहत मिलने की उम्मीद है। इस निर्णय से छोटी कारों से लेकर लग्जरी गाड़ियों तक, सभी प्रकार की कारों की कीमतों में कमी आएगी। उदाहरण के लिए, 4 मीटर तक की लंबाई वाली कारें, जिनका इंजन 1200cc (पेट्रोल) या 1500cc (डीजल) तक है, उन पर अभी तक 28 फीसदी टैक्स और 3 फीसदी सेस लगता था, यानी कुल 31 फीसदी कर। लेकिन नए स्लैब और सेस हटने के बाद इन कारों पर केवल 18 फीसदी टैक्स लागू होगा। इस श्रेणी में मारुति ऑल्टो, टाटा पंच, और हुंडई ग्रैंड i10 जैसी गाड़ियां शामिल हैं।

इसी तरह, लग्जरी और एसयूवी गाड़ियों की कीमतों में भी कमी आएगी। सरकार ने ऐसी एसयूवी गाड़ियों पर, जिनकी इंजन क्षमता 1500cc से अधिक, लंबाई 4 मीटर से ज्यादा, और ग्राउंड क्लियरेंस 170mm या उससे अधिक है, 40 फीसदी का सिन टैक्स लगाने का फैसला किया है। वर्तमान में इन पर 28 फीसदी टैक्स और 17 फीसदी सेस यानी कुल 45 फीसदी कर लगता है। सेस हटने के बाद अब इन पर केवल 40 फीसदी टैक्स लगेगा। इसका मतलब है कि 22 सितंबर से महंगी कारें भी 5 फीसदी तक सस्ती हो जाएंगी।

सेस कौन लगाता है?
भारत में सेस लगाने का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है। हालांकि, सेस लागू करने से पहले संसद में एक कानून बनाकर उसे पारित करना आवश्यक होता है। इस कानून में सेस का उद्देश्य स्पष्ट रूप से बताया जाता है। बिना किसी स्पष्ट मकसद के सेस नहीं लगाया जा सकता। राज्य सरकारें सेस नहीं लगा सकतीं और इससे वसूला गया धन भी राज्यों को नहीं दिया जाता। यह धन केंद्र सरकार के पास रहता है, जो इसे अपनी जरूरत के अनुसार खर्च करती है।

Related Story

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!