Edited By Anu Malhotra,Updated: 22 Aug, 2025 04:27 PM

स्वास्थ्य बीमा अब सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि हर घर की ज़रूरत बन चुकी है। मगर पिछले कुछ समय से लगातार बढ़ते प्रीमियम रेट्स ने लाखों बीमाधारकों को परेशानी में डाल दिया है। खासकर कोविड-19 महामारी के बाद, जब अस्पतालों के खर्च और क्लेम की संख्या में...
नेशनल डेस्क: स्वास्थ्य बीमा अब सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि हर घर की ज़रूरत बन चुकी है। मगर पिछले कुछ समय से लगातार बढ़ते प्रीमियम रेट्स ने लाखों बीमाधारकों को परेशानी में डाल दिया है। खासकर कोविड-19 महामारी के बाद, जब अस्पतालों के खर्च और क्लेम की संख्या में तेज़ी से इज़ाफा हुआ, तब से बीमा कंपनियों ने अपने रेट्स में काफी बढ़ोतरी की है। इस बढ़ते बोझ को देखते हुए, भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) अब एक बड़ा सुधार लाने की तैयारी में है।
क्या है नया प्रस्ताव?
सूत्रों के मुताबिक, IRDAI जल्द ही एक कंसल्टेशन पेपर जारी करने जा रहा है, जिसमें स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम में होने वाली बढ़ोतरी को नियमित और नियंत्रित करने के लिए नए नियमों का सुझाव दिया जाएगा। इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य यह है कि बीमा कंपनियाँ मनमाने ढंग से प्रीमियम न बढ़ा सकें और बीमा को हर वर्ग के लिए किफायती बनाया जा सके।
IRDAI की प्राथमिकताएं क्या हैं?
मेडिकल इन्फ्लेशन के आधार पर प्रीमियम सीमित करना:
IRDAI की योजना है कि प्रीमियम दरों की बढ़ोतरी केवल मेडिकल महंगाई (medical inflation) के हिसाब से ही तय की जाए, ताकि बीमा के दाम संगठित और तर्कसंगत बन सकें।
पूरे पोर्टफोलियो के लिए नियम लागू होंगे:
यह बदलाव केवल वरिष्ठ नागरिकों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि हर आयु वर्ग और सभी पॉलिसीधारकों पर समान रूप से लागू होगा।
कंपनियों को खर्च नियंत्रण पर देना होगा ध्यान:
IRDAI ने बीमा कंपनियों को यह भी सलाह दी है कि वे अपने संचालन खर्च और अस्पतालों के साथ टाई-अप की दरों को नियंत्रित करें, जिससे प्रीमियम बढ़ाने की ज़रूरत ही न पड़े।
senior citizens को पहले ही मिल चुकी है राहत
IRDAI ने जनवरी 2025 में एक आदेश जारी कर यह स्पष्ट कर दिया था कि 60 वर्ष से अधिक आयु वाले बीमाधारकों के प्रीमियम में एक साल में 10% से अधिक की वृद्धि नहीं की जा सकती। यदि किसी कारणवश ज्यादा वृद्धि की ज़रूरत हो, तो बीमा कंपनियों को पहले से अनुमति लेनी होगी। इसके अलावा, पूर्व-निर्धारित बीमारियों की वेटिंग पीरियड भी 4 साल से घटाकर 3 साल कर दी गई थी।
हेल्थ इंश्योरेंस मार्केट की मौजूदा स्थिति
ICICI Lombard: कुल प्रीमियम का 30% हिस्सा हेल्थ इंश्योरेंस से
New India Insurance: 50% तक निर्भरता
Go Digit General Insurance: हेल्थ इंश्योरेंस का योगदान केवल 14%
इससे साफ है कि हर बीमा कंपनी की हेल्थ इंश्योरेंस पर निर्भरता अलग है, लेकिन यह सेगमेंट सभी के लिए अहम है।
2025 तक, सामान्य बीमा क्षेत्र की कुल प्रीमियम आय का 40% हिस्सा स्वास्थ्य बीमा से आने की संभावना है, जिससे यह क्षेत्र लगातार विस्तार की ओर है।
आपके लिए क्या बदलेगा?
अगर आप स्वास्थ्य बीमा खरीदने या उसे रिन्यू कराने की योजना बना रहे हैं, तो IRDAI के ये कदम आपके लिए वरदान साबित हो सकते हैं:
-प्रीमियम में अनियंत्रित बढ़ोतरी से राहत
-लंबी अवधि में पॉलिसी जारी रखना होगा आसान
-पारदर्शिता और उपभोक्ता हितों को मिलेगा प्राथमिकता
-हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों की जवाबदेही बढ़ेगी