काम के भारी बोझ ने ली जान... MP में दो BLO की हुई दर्दनाक मौत, एक 6 दिन से लापता

Edited By Updated: 22 Nov, 2025 01:54 PM

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मध्य प्रदेश में वोटर लिस्ट सर्वे के दौरान दो टीचर-कम-BLO की मौत हो गई। रायसेन और दमोह जिले में तैनात इन कर्मचारियों के परिजनों का आरोप है कि उन पर काम पूरा करने का भारी दबाव था, जिसके कारण उन्हें देर रात तक काम करना पड़ता था। अधिकारियों ने मौत की...

नेशनल डेस्क : मध्य प्रदेश में वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन अभियान के दौरान दो बूथ लेवल ऑफिसर (BLO), जो पेशे से शिक्षक थे, की मौत हो गई। दोनों अलग-अलग जिलों रायसेन और दमोह में तैनात थे। अधिकारियों का कहना है कि दोनों की मौत बीमारी से हुई है, लेकिन मृतकों के परिजनों और परिचितों का दावा है कि उन पर काम का अत्यधिक दबाव था और यही उनके लिए घातक साबित हुआ।

दो BLO की मौत, एक 6 दिन से लापता

शुक्रवार देर रात जिन दो BLO की मौत हुई, उनकी पहचान रमाकांत पांडे (रायसेन) और सीताराम गोंड (दमोह) के रूप में हुई है। इसके अलावा रायसेन जिले का एक और BLO नारायण दास सोनी 6 दिनों से गायब है। परिवार और पुलिस उनकी तलाश कर रहे हैं।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार

विधानसभा क्षेत्र के सब-डिविजनल ऑफिसर (SDO) और इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर चंद्रशेखर श्रीवास्तव ने बताया कि सतलापुर के शिक्षक रमाकांत पांडे मंडीदीप में वोटर लिस्ट अपडेट का काम कर रहे थे। देर रात उनकी तबीयत खराब हुई और उन्होंने दम तोड़ दिया। मौत का सही कारण जानने के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।

परिवार का आरोप - 'काम का बोझ ले डूबा'

रमाकांत पांडे की पत्नी रेखा और अन्य रिश्तेदारों ने बताया कि वे टीलाखेड़ी प्राइमरी स्कूल में कार्यरत थे और बीते कुछ हफ्तों से वोटर लिस्ट सर्वे की अतिरिक्त जिम्मेदारी संभाल रहे थे। परिवार का कहना है कि - 

  • उन पर गिनती और फॉर्म भरने के टारगेट पूरे करने का भारी दबाव था।
  • रोजाना देर रात तक काम करना पड़ रहा था।
  • अधिकारियों के लगातार फोन और निर्देशों की वजह से वे मानसिक दबाव में थे।

परिजनों का दावा है कि यही तनाव उनकी सेहत पर भारी पड़ा और मौत का कारण बन गया।

लापता BLO की तलाश तेज

लापता BLO नारायण दास सोनी भव्य सिटी में रहते थे। परिवार के अनुसार वे अचानक घर से निकल गए और वापस नहीं लौटे। पुलिस उनकी गतिविधियों और संभावित ठिकानों का पता लगा रही है।

बढ़ते काम के बोझ पर फिर उठे सवाल

इन घटनाओं के बाद चुनावी ड्यूटी में लगे फील्ड कर्मचारियों पर पड़ने वाला मानसिक और शारीरिक दबाव एक बार फिर चर्चा में है। परिजन साफ कहते हैं कि यदि काम का बोझ संतुलित होता, तो शायद ऐसी त्रासदियां न होतीं। प्रशासन अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट और जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई करेगा।


 

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