राहुल के दावे में कितना दम, क्या सही में खतरे में है मोदी की एन.डी.ए. सरकार ?

Edited By Updated: 20 Jun, 2024 09:16 AM

how much truth is there in rahul s claim

भले ही केंद्र में भाजपा नीत एन.डी.ए. सरकार ने पूरी तरह से कामकाज संभाल लिया है, लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसी बीच यह दावा किया है कि एन.डी.ए. के कई घटक दल कांग्रेस के संपर्क में हैं। अगर राहुल गांधी सही हैं तो संकेत साफ है कि पीएम मोदी की...

नेशनल डेस्क: भले ही केंद्र में भाजपा नीत एन.डी.ए. सरकार ने पूरी तरह से कामकाज संभाल लिया है, लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसी बीच यह दावा किया है कि एन.डी.ए. के कई घटक दल कांग्रेस के संपर्क में हैं। अगर राहुल गांधी सही हैं तो संकेत साफ है कि पीएम मोदी की एन.डी.ए. सरकार खतरे में है। नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री तो बन गए, लेकिन भाजपा अकेले बहुमत के जादुई आंकड़े से दूर रह गई है। 240 सीटों पर सिमटी भाजपा को केंद्र की सत्ता में लौटने के लिए सहयोगी दलों की मदद लेनी पड़ी जिनके पास 53 सीटें हैं।

छोटी सी गड़बड़ी से गिर सकती है सरकार
राहुल गांधी ने दावा करते हुए कहा है कि संख्या बल की दृष्टि से सत्तारूढ़ एन.डी.ए. बहुत कमजोर है और थोड़ी सी गड़बड़ी में ही सरकार धराशायी हो सकती है। राहुल ने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू के दौरान कहा है कि संख्या इतनी कम है कि सरकार बहुत नाजुक है और छोटी सी गड़बड़ी भी इसे गिरा सकती है। इसके लिए एन.डी.ए. के एक सहयोगी को दूसरी तरफ मुड़ना होगा। उन्होंने यह भी दावा किया कि एन.डी.ए. के कुछ सहयोगी हमारे संपर्क में हैं। हालांकि राहुल गांधी ने किसी का नाम तो नहीं बताया, लेकिन उन्होंने कहा कि मोदी खेमे में बहुत गहरी असहमति है।

नफरत और गुस्से की राजनीति से लाभ
कांग्रेस नेता ने कहा कि लोकसभा चुनाव के नतीजों से पता चलता है कि भारतीय राजनीति में एक बड़ा बदलाव आया है। उन्होंने दावा किया कि 'मोदी के विचार और छवि को बड़ा झटका लगा है। उन्होंने तर्क दिया कि मोदी के नेतृत्व वाली तीसरी एन.डी.ए. सरकार संघर्ष करेगी क्योंकि 2014 और 2019 में जो बातें नरेंद्र मोदी के पक्ष में थीं, वो इस बार नदारद हैं। परिणामों के बारे में गांधी ने कहा कि यह सोच कि आप नफरत और गुस्से की राजनीति से लाभ उठा सकते हैं, भारत के लोगों ने इस चुनाव में इसे अस्वीकार कर दिया है। जिस पार्टी ने पिछले 10 साल अयोध्या के बारे में बात करने में बिताए, उसका अयोध्या में सफाया हो गया है। मूल रूप से यह हुआ कि धार्मिक नफरत पैदा करने का भाजपा का मूल ढांचा ध्वस्त हो गया है।

राहुल गांधी ने इस बार विपक्ष के प्रदर्शन में सुधार के लिए अपनी दो भारत जोड़ो यात्राओं को भी श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि  न्यायिक प्रणाली, मीडिया, संवैधानिक संस्थाएं विपक्ष के लिए के बंद थे। तब हमने फैसला किया कि हमें अपने दम पर ही लड़ना होगा। हमारे खिलाफ जो दीवार खड़ी की गई, इस चुनाव में सफल होने वाले बहुत से विचार उसी से आए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि राहुल गांधी के  दावे की पड़ताल करें तो एन.डी.ए. को कम से कम 21 सांसदों से झटका मिलेगा, तभी मोदी सरकार गिर सकती है।

बहुमत के लिए 272 का आंकड़ा चाहिए। इनमें अकेले भाजपा के पास 240 सीटें हैं। इसलिए भाजपा को सरकार बचाने के लिए सहयोगी दलों से सिर्फ 32 सांसदों के समर्थन की जरूरत है। अभी सहयोगी दलों के पास 53 सांसद हैं। इनमें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टी.डी.पी. के 14 और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के 12 सांसद हैं। अगर ये दोनों एक साथ एन.डी.ए. से निकल जाएं तो कुल 26 सांसद घट जाएंगे, यानी सरकार गिराने के लिए जरूरी 21 के आंकड़े से पांच ज्यादा होंगे।

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