भारत में मुसलमान नहीं होते तो भाजपा का खाता भी नहीं खुलता : कांग्रेस सांसद

Edited By Updated: 01 Aug, 2024 06:07 PM

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कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार पर शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करने तथा भेदभाव की नीति अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि अगर देश में मुसलमान नहीं होते तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का खाता नहीं खुलता।

नेशनल डेस्क: कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार पर शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करने तथा भेदभाव की नीति अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि अगर देश में मुसलमान नहीं होते तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का खाता नहीं खुलता। उन्होंने लोकसभा में वर्ष 2024-25 के लिए शिक्षा मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर चर्चा में भाग लेते हुए यह भी कहा कि मुगल देश में 300 साल तक रहे थे, ऐसे में इस सरकार के मिटाने से इतिहास से नहीं मिटने वाले हैं। जावेद ने कहा कि सरकार को भेदभाव नहीं करना चाहिए।

मुगलों का नाम हटा देने से कुछ नहीं होने वाला
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘यह (भाजपा) मुस्लिम विरोधी, दलित विरोधी, छात्र विरोधी, गरीब विरोधी भावना जगाकर राज कर रही है। अगर हिंदुस्तान में मुसलमान नहीं होते को भाजपा का खाता भी नहीं खुलता।'' उन्होंने सत्तापक्ष के सदस्यों की टोकाटोकी के बीच कहा, ‘‘यह बांग्लादेश की बहुत बात करते हैं, बांग्लादेश की जीडीपी हमसे बेहतर है...अब कहते हैं कि बांग्लादेश चले जाओ।'' बिहार के किशनगंज से सांसद मोहम्मद जावेद ने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘देश की शिक्षा बेहतर करें। मुगलों का नाम हटा देने से कुछ नहीं होने वाला है। मुगल 330 साल रहे। आपके हटाने से (इतिहास से) नहीं हटेंगे।''

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘ शिक्षा किसी समाज का आधार होती है, लेकिन मोदी सरकार शिक्षा की बुनियाद को बर्बाद कर रही है।'' उन्होंने कहा कि कांग्रेस के समय में शिक्षा के लिए आवंटन जीडीपी का 3.36 प्रतिशत था, लेकिन मोदी सरकार में यह 2.9 प्रतिशत हो गया। कांग्रेस सांसद ने कहा कि शिक्षकों की रिक्तियां बड़ी संख्या में हैं और यह स्थिति रहेगी तो फिर पढ़ाई कैसे होगी। उन्होंने दावा किया कि पिछले आठ वर्षों में 78 हजार सरकारी स्कूल बंद कर दिए गए जिनमें गरीब बच्चे पढ़ते हैं। उन्होंने ‘नीट पेपर लीक' का मुद्दा उठाते हुए कहा, ‘‘मोदी सरकार ने एनटीए बनाई, लेकिन सात साल में पेपर लीक के 70 मामले घटित हुए हैं।''

बजट में शिक्षा के लिए आवंटन पिछले साल से कम
कांग्रेस के एंटो एंटनी ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि आज भारत में शिक्षा क्षेत्र बड़े संकट में है और इससे निपटने के लिए सरकार ने बजट में कोई प्रावधान नहीं किया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार शिक्षा क्षेत्र में जीडीपी का छह प्रतिशत खर्च करने के अपने वादे को पूरा करने में विफल रही है। एंटनी ने कहा, ‘‘इस बार के बजट में शिक्षा के लिए आवंटन पिछले साल से कम है। शिक्षा बजट अन्य विकासशील देशों से कम है। ऐसे में हम ज्ञान आधारित समाज कैसे बनेंगे।'' उन्होंने सरकार से मांग की कि बेरोजगारों के शिक्षा ऋण माफ किये जाने चाहिए। राष्ट्रीय जनता दल के सुधाकर सिंह ने कहा कि यह बजट शिक्षा के विकास के लिए प्रतिबद्ध नहीं लगता।

उन्होंने कहा, ‘‘शिक्षा के क्षेत्र में अनुमान से कम निवेश से यह क्षेत्र खतरे में आ सकता है। शिक्षा में निवेश भारत को तीव्र गति से आगे ले जाएगा लेकिन पिछले 10 वर्ष में शिक्षा में बजट कम किया जा रहा है।'' सिंह ने कहा कि इस बार के बजट में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के बजट को पिछली बार के 6409 करोड़ रुपये से घटाकर 2500 करोड़ रुपये कर दिया गया जिसे संस्थाओं को कमजोर करने की रणनीति के तहत देखा जा सकता है।

100 शीर्ष श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में भारत का एक भी नहीं
चर्चा में भाग लेते हुए समाजवादी पार्टी के सांसद एसपी सिंह पटेल ने कहा कि यह शर्मनाक बात है कि दुनिया के 100 शीर्ष श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में एक भी भारत का नहीं है। उन्होंने दावा किया कि विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण का खयाल नहीं रखा जा रहा है। द्रमुक की के. कनिमोझी ने नयी शिक्षा नीति की आलोचना की। उन्होंने विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं के लिए केंद्र सरकार पर निशाना साधा। शिवसेना (यूबीटी) के संजय उत्तमराव देशमुख ने भी चर्चा में हिस्सा लिया और शिक्षा जगत के विभिन्न मोर्चों पर सरकार पर असफल रहने का आरोप लगाया।

 

 

 

 

 

 

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