Edited By Mehak,Updated: 24 Oct, 2025 03:43 PM

कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जिसका समय पर पता चलना जीवन बचाने में अहम भूमिका निभाता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, 35 साल से ऊपर के पुरुष और महिलाओं को नियमित स्वास्थ्य जांच और स्क्रीनिंग टेस्ट कराना चाहिए। इसमें कोलोनोस्कोपी, मैमोग्राम, पैप...
नेशनल डेस्क : कैंसर एक गंभीर और तेजी से फैलने वाली बीमारी है, जिसे अक्सर तब पता चलता है जब यह शरीर में काफी फैल चुकी होती है। शुरुआती पहचान न होने पर इलाज जटिल हो सकता है और जीवन के लिए खतरा बढ़ जाता है। इसलिए डॉक्टर अब केवल इलाज पर नहीं बल्कि रोकथाम और समय पर जांच पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि 35 साल से ऊपर के पुरुष और महिलाएं नियमित स्वास्थ्य जांच और स्क्रीनिंग टेस्ट कराएं, ताकि कैंसर या किसी अन्य गंभीर बीमारी का पता शुरुआती चरण में ही लगाया जा सके।
कैंसर की शुरुआती पहचान के लिए कुछ महत्वपूर्ण स्क्रीनिंग टेस्ट हैं, जो तब भी संकेत दे सकते हैं जब कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। आइए जानते हैं कि 35 साल की उम्र के बाद कौन से चार जांचें जरूर करवाई जानी चाहिए।
1. नियमित स्टैंडर्ड स्क्रीनिंग टेस्ट (Standard Screening Test)
नियमित जांच, जिसे स्टैंडर्ड स्क्रीनिंग टेस्ट भी कहा जाता है, कैंसर की रोकथाम में सबसे महत्वपूर्ण कदम माना जाता है। ये टेस्ट वर्षों के शोध और विशेषज्ञों की सलाह पर तैयार किए गए हैं और दुनियाभर में मान्यता प्राप्त हैं। इसमें Colonoscopy प्रमुख है, जिसे 45 साल की उम्र के बाद हर व्यक्ति को कराना चाहिए। यह बड़ी आंत के कैंसर और कैंसर बनने से पहले की प्रारंभिक ग्रोथ की पहचान में मदद करता है और आमतौर इसे हर 10 साल में दोहराने की सलाह दी जाती है।
इसके अलावा, Mammogram 40 साल से ऊपर की महिलाओं के लिए आवश्यक है। यह इमेजिंग टेस्ट स्तन कैंसर की शुरुआती स्थिति को पहचानने में सहायक होता है और हर 1-2 साल में करवाना चाहिए। महिलाओं के लिए तीसरा महत्वपूर्ण टेस्ट Pap smear या HPV Test है, जो 21 साल से ऊपर की महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर या कोशिकाओं में असामान्यता की जांच करता है। पुरुषों के लिए PSA test भी शामिल है, जो प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआती संकेत को पकड़ने में मदद करता है।
2. गैलेरी टेस्ट (Gallery Test)
आज की उन्नत तकनीक ने कैंसर की शुरुआती पहचान को काफी आसान बना दिया है। गैलेरी टेस्ट एक आधुनिक रक्त परीक्षण है, जो एक ही सैंपल से 50 से अधिक प्रकार के कैंसर की पहचान कर सकता है। यह खून में मौजूद DNA में होने वाले बदलावों को देखकर कैंसर के संकेत देता है, अक्सर तब जब किसी तरह के लक्षण दिखाई नहीं देते। यह टेस्ट खुद बीमारी का पूरा पता नहीं देता, लेकिन किसी भी संकेत मिलने पर डॉक्टर आगे की जांच कर सकते हैं। जिनके परिवार में कैंसर का इतिहास है या उम्र 35-40 साल से ऊपर है, वे इसे साल में एक बार करवा सकते हैं।
3. जेनेटिक टेस्ट (Genetic Test)
कैंसर कभी-कभी सिर्फ जीवनशैली की वजह से नहीं, बल्कि वंशानुगत (जेनेटिक) कारणों से भी हो सकता है। यदि परिवार में किसी को कम उम्र में कैंसर हुआ हो, तो अन्य सदस्यों में भी जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे मामलों में जेनेटिक टेस्टिंग बेहद उपयोगी होती है। यह टेस्ट BRCA1, BRCA2, CHEK2 और Lynch Syndrome जैसे जीन म्यूटेशन की पहचान करता है, जो व्यक्ति को कैंसर के प्रति संवेदनशील बना सकते हैं। अगर इनमें बदलाव पाए जाएं, तो डॉक्टर समय रहते निगरानी, नियमित स्कैनिंग और रोकथाम की रणनीति बना सकते हैं।
4. पूरे शरीर का एमआरआई (MRI)
फुल बॉडी MRI एक आधुनिक और सुरक्षित स्कैनिंग तकनीक है, जो शरीर के अंदर छिपी समस्याओं या शुरुआती ट्यूमर का पता लगाने में मदद करती है, वह भी बिना रेडिएशन के। यह टेस्ट तब भी उपयोगी है जब कोई स्पष्ट लक्षण नजर नहीं आते। यदि इसे गैलेरी टेस्ट या जेनेटिक टेस्टिंग के साथ किया जाए, तो इसकी प्रभावशीलता और बढ़ जाती है। डॉक्टरों का कहना है कि हर छोटी असामान्यता चिंता का कारण नहीं होती, इसलिए MRI के परिणामों की व्याख्या हमेशा विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार करनी चाहिए।