भारतीय सेना ने चीन से निपटने के लिए शुरू किया "तिब्बतलॉजी" कोर्स, फर्स्ट बैच की स्पेशल ट्रेनिंग पूरी

Edited By Updated: 19 Jul, 2022 02:12 PM

in a first indian army officers undertake tibetology course

भारतीय सेना ने  चीन से निपटने के लिए अब नया दाव अपनाया है। भारतीय सेना ने चीन से सटी सीमा  (LAC) पर तैनात भारतीय सैनिकों को...

इंटरनेशनल डेस्कः भारतीय सेना ने  चीन से निपटने के लिए अब नया दाव अपनाया है। भारतीय सेना ने चीन से सटी सीमा  (LAC) पर तैनात भारतीय सैनिकों को तिब्बत संस्कृति से लेकर तिब्बत के चीनीकरण तक के बारे में पूरी जानकारी देने के लिए पहली बार तिब्बत-कैडर तैयार किया है । इस कैडर के पहले बैच की 42 दिनों की खास ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है। रविवार को अरूणाचल प्रदेश के सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालय एंड कल्चरल स्टडीज में सेना के इस कैडर के अधिकारियों को सर्टिफिकेट दिए गए।भारतीय सेना की कोलकता स्थित पूर्वी कमान ने सैन्य-अधिकारियों के लिए खास तिब्बतलॉजी कैडर तैयार करने का बीड़ा उठाया है।

 

इस कोर्स में अरूणाचल प्रदेश और असम में तैनात सैनिकों को अरूणाचल प्रदेश के डूहांग स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालय एंड कल्चरल स्टडीज में 42 दिनों का खास कोर्स कराया गया है। इस कोर्स में सैन्य-अफसरों को तिब्बती भाषा, तिब्बत के बौद्ध-धर्म और साहित्य के साथ-साथ तिब्बत के लोगों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। रक्षा मंत्रालय के तेजपुर (असम) स्थित क्षेत्रीय प्रवक्ता, लेफ्टिनेंट कर्नल ए एस वालिया के मुताबिक, 42 दिन का कोर्स पूरा होने के बाद दीक्षांत समारोह के दौरान CIHCS  के डायरेक्टर ने सभी सैन्य अफसरों को सर्टिफिकेट प्रदान किए और कहा कि इस कोर्स को करने वाले सैन्य अफसर तिब्बत मामलों में दक्ष हो गए होंगे। 

 

खास बात ये है कि कोर्स के दौरान 1950 से पहले तिब्बत के राजनैतिक-तंत्र और उसके बाद के पॉलिटिकल-सिस्टम के बारे में भारतीय अफसरों का ज्ञान दिया गया।  1950 में चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया था और तब से चीन का ही हिस्सा है। सैन्य अफसरों को तिब्बत के सिनीजाईजेश यानि चीनीकरण पर भी खास रिसर्च करने का मौका दिया गया।

 

इस कोर्स के दौरान अरूणाचल प्रदेश के बोमडीला बौद्ध-विहार के गुरू पदम-श्री तुलकु रिनपोचे और दुनियाभर में तिब्बत मामलों के विशेषज्ञ माने जाने वाले क्लोडे अर्पी ने भी खास लेक्चर दिए।  बता दें कि भारत की चीन से सटी 3488 किलोमीटर लंबी एलएसी (LAC) का एक बड़ा हिस्सा तिब्बत स्वायतत्त क्षेत्र से सटा है। चीन तो अरूणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत के तौर पर देखता है। ऐसे में यहां तैनात सैनिकों को तिब्बत के लोगों और संस्कृति और भाषा के बारे में जानकारी होनी जरुरी है।

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