Edited By Mansa Devi,Updated: 18 Dec, 2025 05:20 PM

भारतीय रेल ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए वैश्विक रेलवे सेक्टर में नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। देश की लाइफलाइन कही जाने वाली भारतीय रेल ने अपने ब्रॉड गेज नेटवर्क का 99.2 प्रतिशत हिस्सा पूरी तरह इलेक्ट्रिफाइड कर लिया है। इसका सीधा मतलब...
नेशनल डेस्क: भारतीय रेल ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए वैश्विक रेलवे सेक्टर में नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। देश की लाइफलाइन कही जाने वाली भारतीय रेल ने अपने ब्रॉड गेज नेटवर्क का 99.2 प्रतिशत हिस्सा पूरी तरह इलेक्ट्रिफाइड कर लिया है। इसका सीधा मतलब है कि अब देश की अधिकांश ट्रेनें डीजल के बजाय बिजली से संचालित होंगी, जिससे न केवल ईंधन की भारी बचत होगी बल्कि पर्यावरण संरक्षण को भी मजबूती मिलेगी।
इस उपलब्धि के साथ भारत ने रेलवे विद्युतीकरण के मामले में ब्रिटेन, रूस और चीन जैसे देशों को भी पीछे छोड़ दिया है। जहां ब्रिटेन का केवल 39 प्रतिशत, रूस का 52 प्रतिशत और चीन का करीब 82 प्रतिशत रेलवे नेटवर्क ही विद्युतीकृत है, वहीं भारत लगभग 100 प्रतिशत लक्ष्य के बेहद करीब पहुंच चुका है। यह सफलता भारतीय रेल के तेज आधुनिकीकरण और हरित परिवहन की दिशा में मजबूत कदम को दर्शाती है।
एक दशक में रिकॉर्ड तोड़ विद्युतीकरण
रेल मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2014 से 2025 के बीच देश में 46,900 रूट किलोमीटर रेलवे लाइनों का विद्युतीकरण किया गया है। यह आंकड़ा पिछले 60 वर्षों में हुए कुल विद्युतीकरण से भी दोगुना से अधिक है। बीते एक दशक में जिस गति से यह काम हुआ है, उसने भारतीय रेल को दुनिया के सबसे तेजी से इलेक्ट्रिफाइड रेलवे नेटवर्क में शामिल कर दिया है।
14 रेलवे जोन पूरी तरह इलेक्ट्रिफाइड
फिलहाल देश के 14 रेलवे जोन पूरी तरह विद्युतीकृत हो चुके हैं, जिनमें सेंट्रल, ईस्टर्न, नॉर्दर्न और वेस्टर्न रेलवे जैसे प्रमुख जोन शामिल हैं। इसके अलावा 25 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने ब्रॉड गेज नेटवर्क का 100 प्रतिशत विद्युतीकरण पूरा कर चुके हैं। उत्तर-पूर्वी राज्यों अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा और मिजोरम में भी पूरा नेटवर्क इलेक्ट्रिक हो चुका है, जबकि असम में 92 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है और वह अंतिम चरण में है।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम
भारतीय रेल की यह उपलब्धि पर्यावरण के लिहाज से भी बेहद अहम है। आंकड़े बताते हैं कि रेल परिवहन, सड़क परिवहन की तुलना में लगभग 89 प्रतिशत कम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन करता है। सड़क मार्ग से एक टन माल को एक किलोमीटर ले जाने पर जहां करीब 101 ग्राम CO₂ उत्सर्जित होता है, वहीं रेल से यही आंकड़ा केवल 11.5 ग्राम रहता है। यही कारण है कि भारतीय रेल को देश के हरित परिवहन ढांचे की रीढ़ माना जा रहा है।
सोलर एनर्जी और नेट-जीरो का लक्ष्य
भारतीय रेल सिर्फ इलेक्ट्रिफिकेशन तक सीमित नहीं है। देशभर के 2,626 रेलवे स्टेशनों पर 898 मेगावाट सोलर पावर की व्यवस्था की जा चुकी है। सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक भारतीय रेल को नेट-जीरो कार्बन एमिटर बनाया जाए। यह पहल भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं और सतत विकास की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।