15 अगस्त के 15 सच, गांधी जी के टूटे थे तमाम सपने!

Edited By Anil dev,Updated: 15 Aug, 2020 09:55 AM

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हर साल 15 अगस्त के दिन पूरा भारत स्वतंत्रता दिवस के रंग में रंगा रहता है। हर किसी के चेहरे पर एक अलग सी खुशी नजर आती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस दिन ऐसी क्या खास बात थी जो 15 अगस्त को ही चुना गया और ऐसा क्या राज था कि वर्ष 1947 में ही...

नई दिल्ली: हर साल 15 अगस्त के दिन पूरा भारत स्वतंत्रता दिवस के रंग में रंगा रहता है। हर किसी के चेहरे पर एक अलग सी खुशी नजर आती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस दिन ऐसी क्या खास बात थी जो 15 अगस्त को ही चुना गया और ऐसा क्या राज था कि वर्ष 1947 में ही स्वतंत्रता का ऐलान किया गया।  स्वतंत्रता दिवस से पूर्व हम आपको बतातें हैं 15 अगस्त के ऐसे 15 सच जिन्हें पढ़कर आप भी रह जाएंगे हैरान।

 

पहला सच: 1947 ही क्यों?
शुरूआती योजना के अनुसार भारत को जून, 1948 में आजादी मिलने का प्रावधान था। वाइसराय बनने के तुरंत बाद, लार्ड माउंटबेटन की भारतीय नेताओं से बात शुरू हो गई थी जिसके चलते आजादी 1948 की जगह 1947 में ही देने की बात तय हो गई।

दूसरा सच: 15 अगस्त ही क्यों?
गांधी जी के जनांदोलन और सुभाष चन्द्र बोस की हिन्द फौज की गतिविधियों से देश की जनता आजादी के लिए जागरूक हो गई थी। 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ती के बाद अंग्रेजों की आर्थिक स्थिती काफी प्रभावित हुई थी। लार्ड माउंटबेटन 15 अगस्त की तारीख को शुभ मानते थे क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के समय 15 अगस्त, 1945 को जापानी आर्मी ने आत्मसमर्पण किया था और उस समय लार्ड माउंटबेटन अलाइड फोर्सेज के कमांडर थे।

तीसरा सच: रात 12 बजे ही क्यों?
जब लार्ड माउंटबेटन ने आजादी की तारीख 3 जून, 1948 से 15 अगस्त, 1947 कर दी तो देश के ज्योतिषियों में खलबली मच गई। उनके अनुसार ये तारीख अमंगल थी, लेकिन बेटन 15 अगस्त पर ही अडिग़ थे। जिसके बाद ज्योतिषियों ने उपाय निकाला। उन्होंने 14 और 15 अगस्त की रात 12 बजे का समय तय किया। कारणवश जवाहर लाल नेहरू ने अपनी स्पीच रात 12 बजे तक खत्म करके शंखनाद किया।

 

चौथा सच: आजादी के दिन क्यों नहीं शामिल हुए गांधी जी?
कहने को तो यह भी कहा जाता है जिस दिन भारत को आजादी मिल रही थी उस दिन महात्मा गांधी दिल्ली नोखाली में हिंदू मुसलमान के बीच चल रहे दंगों को रोकने के लिए अनशन पर बैठे थे। जिस व्यक्ति ने ताउम्र देश की सेवा में गुजार दी भला वह देश की आजादी का हिस्सा कैसे नहीं बनता। इस दिन कांग्रेस के बड़े नेता गांधी जी को बुलाने गए थे लेकिन गांधी जी ने साफ इनकार कर दिया। गांधी जी ने नोखाली से प्रेस विज्ञप्ति जारी करके कहा कि मैं हिन्दुस्तान के उन करोड़ों लोगों को ये संदेश देना चाहता हूं कि ये जो तथाकथित आजादी आ रही है ये मैं नहीं लाया ये सत्ता के लालची लोग सत्ता के हस्तांतरण के चक्कर में फंस कर लाए हैं। 

पांचवां सच: 14 अगस्त की रात 9 बजे क्यों सो गए थे गांधी जी?
14 अगस्त की मध्यरात्रि को जवाहर लाल नेहरू ने वायसराय लॉज (मौजूदा राष्ट्रपति भवन) से ऐतिहासिक भाषण दिया था। भाषण को पूरी दूनिया ने सुना था लेकिन उस रात देश की राजनीति का सबसे बड़ा पुरोधा और देश की स्वतंत्रता की नींव रखने वाले मोहनदास करमचन्द गांधी नौ बजे सोने चले गए थे। उसका सबसे बड़ा कारण था ट्रान्सफर ऑफ पॉवर ऐग्रीमेन्ट का लागू होना और पूर्ण स्वराज्य नहीं मिलना। 

छठा सच: लाल किले से नहीं फहराया गया था झंडा
हर स्वतंत्रता दिवस पर भारतीय प्रधानमंत्री लाल किले से झंडा फहराते हैं। लेकिन 15 अगस्त, 1947 को ऐसा नहीं हुआ था। लोक सभा सचिवालय के एक शोध पत्र के मुताबिक नेहरू ने 16 अगस्त, 1947 को लाल किले से झंडा फहराया था।

सांतवां सच: कितने देशों को मिली आजादी
15 अगस्त भारत के अलावा तीन अन्य देशों का भी स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। दक्षिण कोरिया जापान से 15 अगस्त, 1945 को आजाद हुआ। ब्रिटेन से बहरीन 15 अगस्त, 1971 को और फ्रांस से कांगो 15 अगस्त, 1960 को आजाद हुआ।

आठवां सच: राष्ट्रगान होने के बावजूद नहीं गाया गया राष्ट्रगान
भारत 15 अगस्त को आजाद जरूर हो गया था लेकिन उस दिन राष्ट्रगान नहीं गाया गया था। हालांकि रवींद्रनाथ टैगोर जन-गण-मन 1911 में ही लिख चुके थे। लेकिन यह राष्ट्रगान 1950 में ही बन पाया।

नौवां सच: 15 अगस्त के दिन जिन्ना ने क्या कहा?
जिन्ना और नेहरू के बीच बंटवारे को ले कर पहले से ही रस्साकशी चल रही थी। जिन्ना ने अलग देश बनाने की मांग रख दी थी जिसकी वजह से भारत के कई क्षेत्रों में साम्प्रदायिक झगड़े शुरू हो गए थे। 

दसवां सच: भारत पाक के बीच कब हुआ सीमा का निर्धारण?
15 अगस्त तक भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा का निर्धारण नहीं हुआ था। इसका फैसला 17 अगस्त को रेडक्लिफ लाइन की घोषणा से हुआ।

ग्यारहवां सच: ऐतहासिक भाषण में नेहरू ने क्या कहा?
बहुत साल पहले हमने भाग्यवधु से प्रतिज्ञा की थी और अब समय आ गया है जब हम अपने वादे को पूरा करेंगे, ना ही पूर्णतया या पूरी मात्रा में बल्कि बहुत मजबूती से। मध्यरात्री घंटे के स्पर्श पर जब दुनिया सोती है, भारत जीवन और आजादी के लिए जागेगा। आज हमने अपने दुर्भाग्य को समाप्त कर दिया और और भारत ने खुद को फिर से खोजा।

बारहवां सच: कैसे शुरू हुआ 15 अगस्त का दिन
15 अगस्त के दिन की शुरुआत सुबह 8.30 बजे हुई, जब वायसरीगल लॉज (जिसे अब राष्ट्रपति भवन के नाम से जाना जाता है) में शपथग्रहण समारोह हुआ। नई सरकार ने सेंट्रल हॉल (आज जिसे दरबाल हॉल कहा जाता है) में शपथ ली।

तेरहवां सच: आजादी के दिन भर गांधी जी ने लिखे पत्र
आजादी वाले दिन महात्मा गांधी दिल्ली नहीं गए बल्कि नोखाली में बैठकर पत्र लिखे। सबसे पहले गांधी जी ने ब्रिटेन में रहने वाले अपने दोस्त अगाथा हेरिसन को एक पत्र लिखा और उन्हें बताया कि वे ईश्वर का धन्यवाद करते हैं कि देश को आजादी मिली। उन्होंने उस दिन उपवास रखा था। पूरे दिन में वे कई छात्रों से मिले और कुछ लिखते रहे।

चौदहवां सच: क्या वाकई पाक 14 अगस्त को आजाद हुआ था?
रेडियो पाकिस्तान हर साल जिन्ना साहब की आवाज में पहला बधाई संदेश सुनाता है जिसमें वो कहते हैं कि 15 अगस्त की आजाद सुबह पूरे राष्ट्र को मुबारक हो। पाकिस्तान बनने के बाद दो स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को ही मनाए गए। लेकिन जिन्ना साहब की आंखें बंद होते ही, जाने किसने चुपके से स्वतंत्रता का घडिय़ाल पूरे 24 घंटे पीछे कर दिया। तब से आज तक पाकिस्तान अपना स्वतत्रता दिवस 14 अगस्त को ही मनाता है।

पन्द्रहवां सच: गांधी जी के टूटे थे तमाम सपने
3 जून 1947 को माउंटबेटन ने जिन्ना के कहने पर भारत विभाजन की योजना रखी। इसमें कहा गया कि पूर्व और पश्चिम के मुस्लिम बहुल इलाकों को मिलाकर पाकिस्तान बनेगा। ब्रिटिश संसद में 4 जुलाई 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पास कर दिया गया जिसके नतीजे में 15 अगस्त 1947 को भारतीय संघ और पाकिस्तान अस्तित्व में आए। जिससे गांधी जी के तमाम सपने टूट गए।

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