Edited By Shubham Anand,Updated: 29 Sep, 2025 03:50 PM

भारत दूध उत्पादन और खपत दोनों में दुनिया में अग्रणी बन चुका है। देश में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 471 ग्राम है, जो वैश्विक औसत से अधिक है। डेयरी क्षेत्र अब सबसे बड़ा कृषि उत्पाद है और 8 करोड़ से अधिक किसानों को रोजगार देता है। पशुधन उत्पादकता...
नेशनल डेस्क: भारत सिर्फ दूध उत्पादन में ही नहीं, बल्कि खपत में भी दुनिया में सबसे आगे है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वैश्विक दूध आपूर्ति में भारत की हिस्सेदारी लगभग 25% है। देश में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 48% बढ़कर रोजाना 471 ग्राम हो गई है, जो वैश्विक औसत 322 ग्राम से कहीं अधिक है।
डेयरी क्षेत्र का बढ़ता महत्व
अब डेयरी क्षेत्र देश का सबसे बड़ा कृषि उत्पाद बन चुका है और यह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 5% का योगदान देता है। इससे 8 करोड़ से अधिक किसानों को रोजगार मिलता है, जिनमें ज्यादातर छोटे और सीमांत किसान हैं। पिछले दस सालों में भारत में दूध उत्पादन 63.56% बढ़कर 146.30 मिलियन टन (2014-15) से 239.30 मिलियन टन (2023-24) तक पहुंच गया, जिसकी सालाना विकास दर 5.7% रही।
पशुधन और उत्पादकता में वृद्धि
भारत में पशुधन की संख्या 303.76 मिलियन है, जिसमें गाय, भैंस, मिथुन और याक शामिल हैं। साल 2014 से 2022 के बीच मवेशियों की उत्पादकता 27.39% बढ़ी, जो वैश्विक औसत 13.97% से काफी अधिक है। इस सफलता में सरकार की योजनाएं जैसे राष्ट्रीय गोकुल मिशन और पशुधन स्वास्थ्य रोग नियंत्रण कार्यक्रम अहम भूमिका निभा रही हैं। आधुनिक और पर्यावरण-फ्रेंडली तरीके जैसे आयुर्वेद और EVM (Ethno Veterinary Medicine) से मवेशियों का इलाज किया जा रहा है।
सहकारी डेयरी नेटवर्क की ताकत
भारत का सहकारी डेयरी नेटवर्क दुनिया के सबसे बड़े नेटवर्कों में से एक है। इसमें 22 फेडरेशन, 241 जिला संघ, 28 मार्केटिंग डेयरी और 25 MPOs शामिल हैं, जो 2.35 लाख गांवों को कवर करते हैं। इस नेटवर्क से 1.72 करोड़ डेयरी किसान जुड़े हुए हैं।
महिलाओं की भागीदारी
डेयरी क्षेत्र में महिलाएं सबसे आगे हैं। लगभग 70% डेयरी कर्मचारी महिलाएं हैं। सहकारी समितियों के 35% सदस्य महिलाएं हैं। जमीनी स्तर पर 48,000 से अधिक महिला-नेतृत्व वाली डेयरी सहकारी समितियां सक्रिय हैं। एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज ने 23 MPOs को मदद दी, जिनमें से 16 पूरी तरह महिलाओं द्वारा संचालित हैं। ये संगठन 35,000 गांवों में 12 लाख दूध उत्पादक महिलाओं को सशक्त बना रहे हैं।