Edited By Anu Malhotra,Updated: 24 Nov, 2025 09:08 AM

सरकारी बैंकों के लगातार हो रहे विलयों के बीच अब केंद्र सरकार का ध्यान बीमा क्षेत्र की ओर मुड़ गया है। वित्त मंत्रालय देश की तीन प्रमुख सरकारी सामान्य बीमा कंपनियों को एक ही ढांचे में समेटने की योजना पर तेज़ी से काम कर रहा है। इसका मकसद न सिर्फ घाटे...
नेशनल डेस्क: सरकारी बैंकों के लगातार हो रहे विलयों के बीच अब केंद्र सरकार का ध्यान बीमा क्षेत्र की ओर मुड़ गया है। वित्त मंत्रालय देश की तीन प्रमुख सरकारी सामान्य बीमा कंपनियों को एक ही ढांचे में समेटने की योजना पर तेज़ी से काम कर रहा है। इसका मकसद न सिर्फ घाटे को सीमित करना है, बल्कि इंडस्ट्री में एक मजबूत सार्वजनिक बीमा दिग्गज तैयार करना भी है।
किन कंपनियों को एक छतरी के नीचे लाया जाएगा?
इस प्रस्तावित विलय में ओरिएंटल इंश्योरेंस, नेशनल इंश्योरेंस और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस को शामिल किया गया है। सरकार की यह योजना कई साल पहले सामने आई थी, लेकिन अब इसे फिर से तेज़ी से आगे बढ़ाया जा रहा है, ताकि तीनों कंपनियों को एक संयुक्त इकाई में ढाला जा सके।
क्यों बढ़ी मर्जर की जरूरत?
बीमा क्षेत्र में सार्वजनिक कंपनियों की हालत लंबे समय से दबाव में रही है। इन्हें संभालने के लिए सरकार 2019-20 से 2021-22 के बीच करीब 17,450 करोड़ रुपये झोंक चुकी है। इसके बावजूद परिचालन लागत और घाटे का बोझ लगातार बढ़ रहा है।
इसी वजह से वित्त मंत्रालय दोबारा इस बड़े विलय पर विचार कर रहा है, जिससे—
जैसे फायदे मिल सकें।
पहले भी हो चुका है एलान—but योजना रुक गई थी
वास्तव में, तीनों बीमा कंपनियों के एकीकरण की घोषणा सबसे पहले बजट 2018-19 में की गई थी। लेकिन 2020 आते-आते यह योजना ठहराव में चली गई। अब सरकार ने इसे फिर से पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया है। सरकार का फोकस पिछले कुछ वर्षों से लगातार यह रहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों—चाहे बैंक हों या बीमा कंपनियाँ—उनके एनपीए, खर्च और घाटों को कम करके उन्हें टिकाऊ बनाया जाए। यही वजह है कि बैंकिंग सेक्टर के बाद अब बीमा क्षेत्र में भी बड़े बदलावों का रास्ता तैयार हो रहा है।