भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी, लगातार आठ हफ्तों की गिरावट पर लगा ब्रेक

Edited By Updated: 08 Dec, 2024 11:26 AM

india s foreign exchange reserves increase

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में एक बार फिर से बढ़ोतरी देखने को मिली है जिससे लगातार आठ हफ्तों की गिरावट पर ब्रेक लग गया है। 29 नवंबर को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 1.51 बिलियन अमेरिकी डॉलर बढ़कर 658.09 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया...

नेशनल डेस्क। भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में एक बार फिर से बढ़ोतरी देखने को मिली है जिससे लगातार आठ हफ्तों की गिरावट पर ब्रेक लग गया है। 29 नवंबर को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 1.51 बिलियन अमेरिकी डॉलर बढ़कर 658.09 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया जैसा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ताजे आंकड़ों से सामने आया है।

सितंबर में था उच्चतम स्तर फिर गिरावट हुई शुरू

सितंबर में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 704.89 बिलियन अमेरिकी डॉलर के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचा था। इसके बाद रुपये की गिरती कीमतों को काबू करने के लिए RBI ने हस्तक्षेप करना शुरू किया जिससे भंडार में गिरावट आई। आरबीआई का मुख्य उद्देश्य घरेलू आर्थिक गतिविधियों को वैश्विक आर्थिक संकटों से बचाने के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार बनाए रखना है।

विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (FCA) और स्वर्ण भंडार

RBI के आंकड़ों के अनुसार भारत की विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (FCA) जो कुल विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा हिस्सा होती हैं 568.85 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई हैं। इसके अलावा भारत का स्वर्ण भंडार वर्तमान में 66.98 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।

भारत ने 2023 में 58 बिलियन डॉलर जोड़े

2023 में भारत ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में लगभग 58 बिलियन अमेरिकी डॉलर का इजाफा किया है। वहीं, 2022 में इस भंडार में 71 बिलियन अमेरिकी डॉलर की गिरावट आई थी। विदेशी मुद्रा भंडार मुख्य रूप से आरक्षित मुद्राओं जैसे अमेरिकी डॉलर, यूरो, जापानी येन और पाउंड स्टर्लिंग में होता है।

विदेशी मुद्रा भंडार और भारतीय रुपया

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अब इतना मजबूत हो गया है कि यह लगभग एक साल के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त है। RBI विदेशी मुद्रा बाजार पर बारीकी से नजर रखता है और सिर्फ बाजार की स्थिति को स्थिर रखने के लिए हस्तक्षेप करता है। RBI का कोई निश्चित लक्ष्य नहीं है बल्कि यह सिर्फ रुपये की अत्यधिक अस्थिरता को रोकने के लिए डॉलर खरीदने या बेचने का निर्णय लेता है।

पिछले दशक में भारतीय रुपया एशिया की सबसे अस्थिर मुद्राओं में से एक था लेकिन अब यह स्थिर मुद्राओं में से एक माना जाता है। RBI ने जब रुपया मजबूत हुआ तो डॉलर खरीदे और जब रुपया कमजोर हुआ तो डॉलर बेचे जिससे भारतीय परिसंपत्तियां और निवेशकों के लिए आकर्षक हो गई हैं।

इस तरह भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि से देश की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है और भारतीय रुपया भी पहले से ज्यादा स्थिर हो गया है।

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