भारत का सेमीकंडक्टर मिशन बना डिजिटल स्वतंत्रता का आधार: विशेषज्ञ

Edited By Updated: 03 Aug, 2025 08:04 PM

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विशेषज्ञों ने कहा है कि भारत का सेमीकंडक्टर मिशन देश की डिजिटल संप्रभुता का मार्ग प्रशस्त करता है और देश को चिप्स में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ये चिप्स सीसीटीवी कैमरे, मोबाइल नेटवर्क, उपग्रह, वाहन और स्मार्ट उपकरणों सहित...

नेशनल डेस्क: विशेषज्ञों ने कहा है कि भारत का सेमीकंडक्टर मिशन देश की डिजिटल संप्रभुता का मार्ग प्रशस्त करता है और देश को चिप्स में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ये चिप्स सीसीटीवी कैमरे, मोबाइल नेटवर्क, उपग्रह, वाहन और स्मार्ट उपकरणों सहित अनेक क्षेत्रों में उपयोग किए जाते हैं। विशेषज्ञों ने बताया कि केंद्र सरकार की यह पहल चिप निर्माण से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और क्लाउड एप्लिकेशन तक, डिजिटल टेक्नोलॉजी के पूरे स्टैक में भारत की आत्मनिर्भरता को मजबूत करेगी। मिशन-क्रिटिकल डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, चाहे वह एआई से जुड़ा हो या क्लाउड कंप्यूटिंग से, सेमीकंडक्टर चिप्स पर निर्भर करता है।

एसोचैम नेशनल काउंसिल ऑन डेटासेंटर के अध्यक्ष सुनील गुप्ता ने ‘भारत के डिजिटल परिवर्तन के लिए सॉवरेन टेक’ कार्यक्रम के दौरान ANI को बताया, “डिजिटल संप्रभुता की शुरुआत चिप स्तर से होती है। चाहे वह एआई स्टैक हो या क्लाउड स्टैक, यह हमेशा चिप से शुरू होता है। चिप स्तर पर भारत ने सेमीकंडक्टर मिशन बनाया है, जिससे भारत में ही चिप्स का डिज़ाइन, निर्माण, संयोजन और पैकेजिंग हो सके।” गुप्ता ने आगे कहा, “चिप्स उपकरणों, ऑपरेटिंग सिस्टम, डेटासेट, मॉडल और अनुप्रयोगों के विकास की आधारशिला हैं। सरकार इस पूरे ढांचे का पूर्ण स्वामित्व चाहती है। इस मिशन का उद्देश्य घरेलू चिप डिजाइन और निर्माण की क्षमता को सक्षम बनाना है।”

उन्होंने यह भी कहा कि सेमीकंडक्टर मिशन डिजिटल बुनियादी ढांचे में भारत को संप्रभु राष्ट्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। “शुरुआत 28 नैनोमीटर चिप्स से हुई है, लेकिन अगले कुछ वर्षों में भारत उच्च स्तरीय दो और तीन नैनोमीटर चिप्स का निर्माण भी करेगा। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री की घोषणा के अनुसार, भारत पाँच वर्षों के भीतर स्वदेशी GPU का भी विकास करेगा, जिससे अमेरिका या ताइवान पर निर्भरता खत्म होगी।” सुनील गुप्ता ने चीन के निर्यात प्रतिबंधों के बीच दुर्लभ मृदा धातुओं के स्रोत बढ़ाने के भारत के प्रयासों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री के हालिया लैटिन अमेरिका और अफ्रीका दौरे का उद्देश्य दुर्लभ मृदा धातुओं पर आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना है, जो इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के निर्माण में आवश्यक हैं। यह सरकार की एक और महत्वपूर्ण पहल है।”

डिजिटल इंडिया में योगदान देने वाली क्लाउड की संस्थापक सदस्य दीपाली पिल्लई ने कहा, “यह आर्थिक और सुरक्षा दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण कदम है। सब कुछ अपने देश में होना और अपनी शर्तों पर काम करना हमारे विकास और नवाचार के लिए अनिवार्य है।” भारत में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के लिए दिसंबर 2021 में ₹76,000 करोड़ की योजना अधिसूचित की गई थी। इसी साल मई में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत सेमीकंडक्टर मिशन के तहत एक और सेमीकंडक्टर इकाई स्थापित करने की मंजूरी दी।

उत्तर प्रदेश में स्वीकृत इकाई एचसीएल और फॉक्सकॉन के संयुक्त उद्यम द्वारा संचालित होगी, जो मोबाइल फोन, लैपटॉप, ऑटोमोबाइल, पीसी और डिस्प्ले वाले अन्य उपकरणों के लिए डिस्प्ले ड्राइवर चिप्स का निर्माण करेगी। यह संयंत्र प्रति माह 20,000 वेफर्स उत्पादन करने में सक्षम होगा, जिसकी क्षमता 36 मिलियन यूनिट प्रति माह है। देश भर के 270 शैक्षणिक संस्थान और 70 स्टार्टअप्स नवीनतम डिज़ाइन तकनीकों पर काम कर रहे हैं। इन शैक्षणिक संस्थानों के छात्रों द्वारा विकसित बीस उत्पादों को एससीएल मोहाली ने प्रस्तुत किया है।

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