Edited By shukdev,Updated: 20 Jan, 2020 11:37 AM
भारत ने परमाणु हमला करने मे सक्षम बैलिस्टक मिसाइल का रविवार को सफल परीक्षण किया। आंध्र प्रदेश के तट से 3,500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम पनडुब्बी से K-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण...
नई दिल्ली: पनडुब्बियों से दुश्मन के ठिकानों को ध्वस्त करने की अपनी क्षमताओं को और मजबूत करते हुए रविवार को के.-4 मिसाइल का सफल परीक्षण किया। आंध्र प्रदेश के समुद्र तट पर भारत ने पनडुब्बी से लॉन्च हुए परमाणु शक्ति से लैस के.-4 बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया, जिसकी मारक क्षमता 3500 किलोमीटर है। इसे अरिहंत क्लास न्यूक्लियर सबमरीन पर तैनात किया जाना है।
तैनाती से पहले भारत इसके अभी कई परीक्षण कर सकता है। फिलहाल इंडियन नेवी के पास आई.एन.एस. अरिहंत ही ऐसा इकलौता पोत है जो परमाणु क्षमता से लैस है। के.-4 भारत द्वारा अपने सबमरीन फोर्स के लिए विकसित की जा रहीं 2 अंडरवॉटर मिसाइलों में से एक है। दूसरी ऐसी मिसाइल बी.ओ.-5 है, जिसकी मारक क्षमता 700 किलोमीटर से ज्यादा है।
अग्नि-3 की दिक्कत दूर हुई
अग्नि-3 मिसाइल की लंबाई 17 मीटर थी। इसलिए इसे भारतीय परमाणु सक्षण पनडुब्बी अरिहंत पर तैनाती में मुश्किल आ रही थी, क्योंकि इसका पतवार ही कुल 17 मीटर का था। इसके बाद गेस-बूस्टर डिजाइन पर आधारित के-4 की योजना बनाई गई।
2010 में पहला परीक्षण
जनवरी 2010 में के-4 का पहला परीक्षण किया गया था, जब इसे समुद्र में पानी के 50 मीटर अंदर से एक सतह के टार्गेट पर दागा गया था। इसने सफलता पूर्वक टार्गेट को हिट किया था। इसके बाद 24 मार्च 2014 को के-4 का दूसरा परीक्षण किया गया। इसने पानी की 30 मीटर गहराई से निकलते हुए 3000 किलोमीटर दूर स्थित लक्ष्य को अपना निशाना बनाया था। 31 मार्च 2016 का पनडुब्बी अरिहंत से भी इसका सफल परीक्षण किया गया था।
क्या होती है बैलेस्टिक मिसाइल?
बैलेस्टिक मिसाइल उस प्रक्षेपास्त्र को कहते हैं जिसका प्रक्षेपण पथ सब ऑर्बिटल बैलेस्टिक पथ होता है। इसका उपयोग किसी हथियार (नाभिकीय अस्त्र) को किसी पूर्व निर्धारित लक्ष्य पर दागने के लिए किया जाता है। यह मिसाइल प्रक्षेपण के प्रारंभिक स्तर पर ही गाइड की जाती है। इसके बाद का पथ आर्बिटल मैकेनिक के सिद्धांतों पर एवं बैलेस्टिक सिद्धांतों से निर्धारित होता है। अभी तक इसे रासायनिक रॉकेट इंजन से छोड़ा जाता था।