Edited By Seema Sharma,Updated: 30 Mar, 2023 03:56 PM

भारतीय सेना की ताकत को और पॉवरफुल बनाने के लिए रक्षा मंत्रालय ने न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) से एक डील की है। पश्चिमी सीमा यानि पाकिस्तान और पूर्वी सीमा यानि चीन पर नजर रखने के लिए थल सेना
नेशनल डेस्क: भारतीय सेना की ताकत को और पॉवरफुल बनाने के लिए रक्षा मंत्रालय ने न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) से एक डील की है। पश्चिमी सीमा यानि पाकिस्तान और पूर्वी सीमा यानि चीन पर नजर रखने के लिए थल सेना के अलग-अलग कमांड सेंटर्स, अन्य सेनाओं से कॉर्डिनेशन के लिए जल्द ही नया सैटेलाइट बनाया जाएगा।
इस सैटेलाइट को ISRO बनाएगा। रक्षा मंत्रालय ने 2963 करोड़ रुपए का समझौता किया है। रक्षा मंत्रालय या NSIL की ओर से इस सैटेलाइट का कोई नाम नहीं बताया गया है लेकिन माना जा रहा है कि ये GSAT-7B हो सकता है। यह एक मिलिट्री सैटेलाइट है, यह करीब पांच टन वजन का पहला उपग्रह है। यह भारत की सबसे भारी सैटेलाइट हो सकता है।
सैटेलाइट देगी खूफिया जानकारी
GSAT-7B एक एडवांस्ड कम्यूनिकेशन सैटेलाइट होगा जो भारतीय सेना को किसी भी मिशन की सटीक जानकारी देगा। साथ ही दुश्मन के हथियारों, बालाकोट एयर स्ट्राइक या सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मिशनों को पूरा करने में मदद करेगा। यह एक जियोस्टेशनरी सैटेलाइट होगा।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, 5 टन कैटेगरी में यह जियोस्टेशनरी सैटेलाइट अपनी तरह का पहला सैटेलाइट है। इसकी मदद से सैनिकों और स्ट्रक्चर के साथ-साथ हथियार और हवाई प्लेटफार्मों के लिए लाइन-ऑफ-विजन संचार से ऊपर कंट्रोल प्रदान करने के लिए इस संचार सुविधा का विकास किया जा रहा है। भारतीय सेना को यह सैटेलाइट सुविधा वर्ष 2026 तक मिलने की संभावना है। यह सैटेलाइट सिस्टम सेना की नेटवर्क केंद्रित युद्ध क्षमताओं को मजबूत करेगा।