Edited By Parveen Kumar,Updated: 24 Aug, 2025 06:59 PM

केंद्र सरकार ने भारत से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर ली है। बजट 2025 में घोषित एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन के तहत सरकार 2025 से लेकर 2031 तक देश के निर्यातकों को करीब 25,000 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद देने की योजना पर काम...
नेशनल डेस्क: केंद्र सरकार ने भारत से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर ली है। बजट 2025 में घोषित एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन के तहत सरकार 2025 से लेकर 2031 तक देश के निर्यातकों को करीब 25,000 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद देने की योजना पर काम कर रही है।
सूत्रों के मुताबिक, इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश के निर्यातकों को सस्ता और आसान कर्ज उपलब्ध कराना है, ताकि वे वैश्विक बाजार में मजबूती से टिक सकें, खासकर अमेरिका जैसे देशों द्वारा लगाए गए टैक्स से उत्पन्न चुनौतियों का सामना कर सकें।
वित्त मंत्रालय से मांगी गई मंजूरी
कॉमर्स मिनिस्ट्री ने इस योजना का प्रस्ताव वित्त मंत्रालय की एक्सपेंडिचर फाइनेंस कमेटी (EFC) को भेजा है। EFC की मंजूरी मिलने के बाद इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। योजना को वित्त वर्ष 2025 से लागू करने की तैयारी है।
मिशन के मुख्य उद्देश्य
इस मिशन का मकसद अगले छह वर्षों (2025-31) में भारत के निर्यात क्षेत्र में समावेशी, व्यापक और टिकाऊ विकास को बढ़ावा देना है। खासतौर पर MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) को ग्लोबल बाजार में सक्षम बनाने के लिए यह योजना अहम मानी जा रही है।
दो मुख्य सब-स्कीम्स के तहत चलेगा मिशन
इस मिशन को दो प्रमुख योजनाओं के जरिए लागू किया जाएगा:
- एक्सपोर्ट प्रमोशन स्कीम – ₹10,000 करोड़ से अधिक का बजट
- एक्सपोर्ट दिशा स्कीम – ₹14,500 करोड़ से अधिक का बजट
कहां और कैसे खर्च होगा पैसा?
एक्सपोर्ट प्रमोशन स्कीम के तहत:
- 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा इंटरेस्ट सबवेंशन यानी ब्याज में सब्सिडी देने पर खर्च किए जाएंगे।
- वैकल्पिक ट्रेड फाइनेंस विकल्प तैयार किए जाएंगे।
- ई-कॉमर्स एक्सपोर्टर्स के लिए क्रेडिट कार्ड सुविधा शुरू होगी।
- कैश फ्लो की कमी दूर करने के लिए विशेष वित्तीय इंतजाम किए जाएंगे।
एक्सपोर्ट दिशा स्कीम के तहत:
- निर्यात क्वालिटी स्टैंडर्ड्स अपनाने के लिए लगभग 4,000 करोड़ रुपये का समर्थन दिया जाएगा।
- विदेशी बाजारों के विकास पर 4,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च होंगे।
- ब्रांडिंग, भंडारण, लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारतीय उद्यमों को जोड़ने के लिए क्षमता निर्माण पर भी ध्यान दिया जाएगा।