PF New Rules: पढ़ाई, शादी या घर...हर मुश्किल का हल बनेगा आपका PF! सरकार का बड़ा गेमचेंजर प्लान

Edited By Updated: 19 Dec, 2025 11:50 AM

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भारत में रिटायरमेंट प्लानिंग को लेकर जागरूकता आज भी बेहद सीमित है। नौकरीपेशा लोगों, खासकर प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए भविष्य की आर्थिक सुरक्षा अब भी प्राथमिकता नहीं बन पाई है। पेंशन, लॉन्ग टर्म सेविंग और रिटायरमेंट फंड जैसे विषयों पर या तो...

नेशनल डेस्क: भारत में रिटायरमेंट प्लानिंग को लेकर जागरूकता आज भी बेहद सीमित है। नौकरीपेशा लोगों, खासकर प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए भविष्य की आर्थिक सुरक्षा अब भी प्राथमिकता नहीं बन पाई है। पेंशन, लॉन्ग टर्म सेविंग और रिटायरमेंट फंड जैसे विषयों पर या तो चर्चा नहीं होती या फिर इन्हें टाल दिया जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण जानकारी की कमी और रोजमर्रा की जरूरतों का दबाव माना जाता है।

प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए प्रोविडेंट फंड (PF) वर्षों से एक मजबूत सहारा रहा है। हर महीने वेतन से कटने वाली छोटी-छोटी रकम समय के साथ एक बड़ा फंड बन जाती है। नौकरी छूटने की स्थिति में, परिवार में बीमारी, बच्चों की पढ़ाई या शादी, या फिर घर खरीदने जैसी जरूरतों में यही PF राशि मध्यम वर्ग के लिए संकटमोचक बनती रही है। यही वजह है कि देश के करोड़ों परिवारों के लिए PF सिर्फ रिटायरमेंट फंड नहीं, बल्कि आपातकालीन बचत का सबसे भरोसेमंद साधन बन चुका है।

PF निकासी को आसान बनाने की तैयारी
इसी पृष्ठभूमि में सरकार का नया कदम चर्चा का विषय बन गया है। सरकार EPFO खातों को UPI और ATM से जोड़ने की तैयारी कर रही है। दावा किया जा रहा है कि मार्च 2026 तक PF निकासी की प्रक्रिया बेहद आसान हो जाएगी। भविष्य में कर्मचारी बैंक खाते की तरह ही चंद मिनटों में अपने PF खाते से पैसे निकाल सकेंगे। सरकार का तर्क है कि इससे कर्मचारियों को सुविधा मिलेगी और मौजूदा जटिल प्रक्रियाओं से राहत मिलेगी। आज भी कई कर्मचारियों को PF निकालने में लंबा समय, दस्तावेजी झंझट और तकनीकी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में डिजिटल निकासी को एक सुधारात्मक कदम माना जा रहा है।

आसान निकासी का ‘साइड इफेक्ट’
इस सुविधा का एक दूसरा पहलू भी है, जिसे लेकर अर्थशास्त्री और वित्तीय विशेषज्ञ चिंता जता रहे हैं। सवाल यह है कि जब PF से पैसा निकालना बैंक ATM जितना आसान हो जाएगा, तो क्या लोग लंबे समय तक अपनी बचत को बनाए रख पाएंगे। आसान निकासी से PF की मूल भावना रिटायरमेंट के लिए सुरक्षित बचत कमजोर पड़ सकती है। छोटी-छोटी जरूरतों के लिए लोग बार-बार PF खाते का सहारा लेने लगेंगे। मोबाइल खरीदने, शॉपिंग, ट्रैवल या गैर-जरूरी खर्चों के लिए भी PF से पैसा निकालने की आदत बन सकती है। इससे वर्षों की बचत कुछ ही समय में खत्म होने का खतरा पैदा हो जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे ही हर महीने PF में रकम जमा होगी, कुछ लोग सैलरी की तरह ही उसे निकालने लगेंगे। ऐसे में 20–25 साल नौकरी करने के बाद भी EPFO खाते में नाममात्र की राशि ही बच पाएगी।

आंकड़े जो चिंता बढ़ाते हैं
नियमों के मुताबिक कर्मचारी और नियोक्ता दोनों कर्मचारी के मूल वेतन का 12% PF में योगदान करते हैं, जिसमें से एक हिस्सा कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में जाता है। वित्त वर्ष 2023–24 में EPFO के सदस्यों की संख्या 7.37 करोड़ थी, जो अब करीब 8 करोड़ तक पहुंच चुकी है। FY25 में EPFO का कुल PF कॉर्पस करीब 25 लाख करोड़ रुपये के आसपास है, जो भारत का सबसे बड़ा रिटायरमेंट सेविंग फंड माना जाता है। अब सवाल उठ रहा है कि आसान निकासी की सुविधा लागू होने के बाद यह विशाल कॉर्पस कैसे प्रभावित होगा और यह पैसा सिस्टम से बाहर कहां जाएगा।

जोखिम भरे निवेश की ओर झुकाव
एक और बड़ा खतरा यह है कि लोग सुरक्षित PF निवेश से पैसा निकालकर शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड जैसे जोखिम भरे विकल्पों में निवेश कर सकते हैं। फिलहाल PF पर 8.25% ब्याज मिलता है, जबकि म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार में इससे अधिक रिटर्न की उम्मीद दिखाई जाती है। अधिक मुनाफे के लालच में लोग अपनी सुरक्षित बचत को जोखिम में डाल सकते हैं। आंकड़े बताते हैं कि भारत में केवल 10% परिवार ही म्यूचुअल फंड, शेयर या बॉन्ड जैसे वित्तीय उत्पादों में निवेश करते हैं। शहरी इलाकों में यह आंकड़ा 15% और ग्रामीण इलाकों में महज 6% है। इसके बावजूद युवा पीढ़ी में जोखिम लेने का रुझान तेजी से बढ़ रहा है।

रिटायरमेंट प्लानिंग की हकीकत
देश की कुल सकल बचत दर करीब 31% है, लेकिन रिटायरमेंट प्लानिंग बेहद कमजोर स्थिति में है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक करीब 69% भारतीय परिवार अब भी बैंक डिपॉजिट या एफडी को ही प्राथमिकता देते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 40% शहरी लोगों ने रिटायरमेंट के लिए अब तक कोई ठोस निवेश नहीं किया है, जबकि ग्रामीण इलाकों में स्थिति और भी चिंताजनक है।
पेंशन कवरेज की बात करें तो 140 करोड़ की आबादी वाले देश में केवल 2% लोगों को ही नियमित पेंशन मिलती है। अटल पेंशन योजना (APY) में करीब 8.34 करोड़ लोग जुड़े हैं, लेकिन इसमें अधिकतम 5,000 रुपये मासिक पेंशन की सीमा है, और इसका लाभ भी लंबी अवधि बाद मिलता है।

PF पर टिकी उम्मीदें
ऐसे में PF ही वह एकमात्र माध्यम है, जो नौकरीपेशा वर्ग को भविष्य की सुरक्षा का भरोसा देता है। लेकिन आसान निकासी की सुविधा लागू होने के बाद यह सवाल गहराता जा रहा है कि क्या PF अपनी भूमिका निभा पाएगा या फिर यह भी धीरे-धीरे रोजमर्रा की जरूरतों में खत्म हो जाएगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि सुविधा के साथ-साथ वित्तीय अनुशासन और जागरूकता बेहद जरूरी है। वरना जिस PF को आज घर, बीमारी और बच्चों की शादी का सबसे बड़ा सहारा माना जाता है, वही आने वाले समय में रिटायरमेंट के वक्त खाली हाथ छोड़ सकता है।

 

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