Indian Railway : ट्रेन से चोरी हुआ पैसेंजर का बैग, अब यात्री को रेलवे देगा 4.7 लाख रुपए

Edited By Updated: 17 Oct, 2024 03:18 PM

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हमें अक्सर रेल यात्रा के दौरान यात्रियों के सामान चोरी होने की घटनाएं सुनने को मिलती हैं। हाल ही में एक ऐसा ही मामला सामने आया, जिसमें दिलीप कुमार चतुर्वेदी अपने परिवार के साथ यात्रा कर रहे थे। यात्रा के दौरान उनकी सामान चोरी हो गई, जिससे उन्हें...

नेशनल डेस्क : 9 मई 2017 को दिलीप कुमार चतुर्वेदी अपने परिवार के साथ अमरकंटक एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे थे। इस दौरान उनके स्लीपर कोच से सामान चोरी हो गया, जिसमें नकदी और लगभग 9.3 लाख रुपये का सामान शामिल था। चतुर्वेदी ने रेलवे पुलिस में चोरी की शिकायत दर्ज कराई, और यह मामला बाद में दुर्ग जिला उपभोक्ता आयोग में पहुंचा। हाल ही में, राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) ने इस मामले में यात्री के हक में फैसला सुनाया। इस निर्णय ने न केवल चतुर्वेदी को न्याय दिलाने का काम किया, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि रेलवे को अपने यात्रियों की सुरक्षा और सामान की देखभाल करने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

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रेलवे को देगा 4.7 लाख रुपये का मुआवजा
चतुर्वेदी ने एनसीडीआरसी में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने कहा कि टीटीई और रेलवे पुलिस कर्मचारी आरक्षित कोच में अन्य व्यक्तियों को आने की अनुमति देते हैं, जो लापरवाही है। उनके वकील ने तर्क दिया कि चोरी हुआ सामान जंजीरों से बंधा हुआ था, और इस लापरवाही के लिए धारा 100 का बचाव नहीं किया जा सकता।

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NCDRC का निर्णय
NCDRC ने सुनवाई के दौरान कहा कि यात्री ने अपने सामान की सुरक्षा के लिए उचित इंतजाम किए थे, फिर भी चोरी हो गई। कोर्ट ने टीटीई को आरक्षित कोच में बाहरी लोगों के प्रवेश को रोकने की जिम्मेदारी में विफल पाया। इसके परिणामस्वरूप, कोर्ट ने रेलवे को लगभग 4.7 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। इसके साथ ही, रेलवे को मानसिक पीड़ा के लिए 20,000 रुपये का जुर्माना भी भरना होगा।

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रेलवे की दलीलें खारिज
इस मामले की सुनवाई जस्टिस सुदीप अहलूवालिया और रोहित कुमार सिंह की एनसीडीआरसी पीठ ने की। रेलवे ने अपनी दलील में कहा कि वह सामान की चोरी के लिए जिम्मेदार नहीं है। हालांकि, कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि इस चोरी के लिए जिम्मेदारी रेलवे की है। रेलवे को आरक्षित कोच में यात्रा करने वाले यात्रियों के निजी सामान और लगेज की देखभाल करने का कर्तव्य है। इस फैसले ने यात्रियों के अधिकारों और रेलवे की जिम्मेदारियों पर एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा किया है, और यह निश्चित रूप से रेलवे प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि वे अपने यात्रियों की सुरक्षा के प्रति अधिक सजग रहें।

 

 

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