IRS अधिकारी समीर वानखेड़े राजनीति में करेंगे एंट्री, इस पार्टी में हो सकते हैं शामिल

Edited By Updated: 17 Oct, 2024 01:33 PM

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फिल्म अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की गिरफ्तारी के बाद से चर्चा में आए एनसीबी ऑफिसर समीर वानखेड़े एक बार फिर सुर्खियों में हैं। सूत्रों के अनुसार, वे अब राजनीति में कदम रख सकते हैं और शिवसेना के शिंदे गुट में शामिल होने की बात चल रही है। आइए...

महाराष्ट्र : फिल्म अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की गिरफ्तारी के बाद से चर्चा में आए एनसीबी ऑफिसर समीर वानखेड़े एक बार फिर सुर्खियों में हैं। सूत्रों के अनुसार, वे अब राजनीति में कदम रख सकते हैं और शिवसेना के शिंदे गुट में शामिल होने की बात चल रही है। समीर वानखेड़े 2008 बैच के आईआरएस अधिकारी हैं, जिन्होंने 2021 में मुंबई में एनसीबी के जोनल डायरेक्टर के रूप में कार्यभार संभाला था। उनकी आर्यन खान की गिरफ्तारी के बाद की कार्रवाई ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया था। अब यह देखना होगा कि वे राजनीति में किस तरह की भूमिका निभाते हैं।

समीर वानखेड़े का करियर
आपको बता दें कि समीर वानखेड़े 2008 बैच के आईआरएस अधिकारी हैं। उन्होंने 2021 में मुंबई में एनसीबी के जोनल डायरेक्टर का पद संभाला। इसी दौरान उन्होंने आर्यन खान को गोवा की एक क्रूज से अरेस्ट किया था, जहां उन पर ड्रग्स लेने का आरोप था। हालांकि, कुछ समय बाद कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया।

विवाद और जांच
आर्यन खान की गिरफ्तारी के बाद समीर वानखेड़े पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, जिसने उनके करियर में बड़ा विवाद खड़ा कर दिया। इन आरोपों के बाद उनके खिलाफ एक विभागीय जांच शुरू की गई। यह मामला मीडिया में काफी चर्चा का विषय बना रहा और समीर वानखेड़े की प्रतिष्ठा पर भी सवाल उठाए गए। इस स्थिति ने उनके कार्यकाल को मुश्किल में डाल दिया और आगे की राजनीतिक योजनाओं पर असर डाल सकता है।

राजनीतिक कदम
अब समीर वानखेड़े के राजनीति में कदम रखने की चर्चा तेज हो गई है। कहा जा रहा है कि वे धारावी सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं और शिवसेना के शिंदे गुट में शामिल हो सकते हैं। अगर वे राजनीति में सक्रिय होते हैं, तो यह उनके लिए एक नया मोड़ हो सकता है। उनकी यह नई दिशा उनके पिछले विवादों के बावजूद चुनावी राजनीति में एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर बनने की संभावनाएं प्रस्तुत करती है।

महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति
महाराष्ट्र में वर्तमान में महायुति की सरकार है, जिसमें एकनाथ शिंदे का गुट, एनसीपी का अजित गुट और बीजेपी शामिल हैं। दूसरी तरफ, महाविकास अघाड़ी गठबंधन में कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार गुट) और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) एकजुट हैं। यह राजनीतिक स्थिति राज्य में विभिन्न दलों के बीच गहन प्रतिस्पर्धा को दर्शाती है और आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

2019 का तख्तापलट
2019 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा। लेकिन मुख्यमंत्री पद पर सहमति न बनने के कारण शिवसेना ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली। इस निर्णय ने महाराष्ट्र की राजनीति में कई उतार-चढ़ाव को जन्म दिया। 2021 में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना को तोड़कर एक नया गुट बना लिया, जिससे राजनीतिक परिदृश्य में और बदलाव आया। इस तख्तापलट के बाद से महाराष्ट्र की सरकार में लगातार हलचल बनी रही है, और विभिन्न दलों के बीच alliances और विवादों ने राजनीतिक गतिशीलता को प्रभावित किया है।

आगामी चुनाव
महाराष्ट्र में 20 नवंबर को 288 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा, और नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। इस चुनावी प्रक्रिया के दौरान, समीर वानखेड़े की संभावित राजनीतिक भूमिका पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। यदि वे चुनावी मैदान में उतरते हैं, तो उनकी पृष्ठभूमि और हालिया विवादों के चलते यह चुनावी राजनीति में एक दिलचस्प मोड़ ला सकता है।

 

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