Edited By Harman Kaur,Updated: 10 Jul, 2025 04:13 PM

केंद्र सरकार ने देश की समुद्री और स्थलीय सीमाओं की निगरानी क्षमता को और मजबूत करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने मीडियम ऑल्टिट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस (MALE) ड्रोन की खरीद प्रक्रिया को तेज कर दिया है। यह ड्रोन पूरी तरह से स्वदेशी कंपनियों से...
नेशनल डेस्क: केंद्र सरकार ने देश की समुद्री और स्थलीय सीमाओं की निगरानी क्षमता को और मजबूत करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने मीडियम ऑल्टिट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस (MALE) ड्रोन की खरीद प्रक्रिया को तेज कर दिया है। यह ड्रोन पूरी तरह से स्वदेशी कंपनियों से खरीदे जाएंगे, जिससे 'मेक इन इंडिया' को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा।
20,000 करोड़ की लागत
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इस परियोजना पर करीब 20,000 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। यह पहली बार होगा जब भारत में ही इतनी बड़ी संख्या में एडवांस MALE ड्रोन का निर्माण किया जाएगा। देश की निजी कंपनियों से ही 87 ड्रोन खरीदे जाएंगे। पहले ये ड्रोन इज़राइल से खरीदे जाते थे।
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि इन ड्रोन को सेना की जरूरतों के अनुसार डिजाइन और तकनीक से लैस किया जाएगा। इनके निर्माण से न केवल विदेशी निर्भरता में कमी आएगी बल्कि घरेलू रक्षा क्षेत्र को भी मजबूती मिलेगी।
ड्रोन की खासियतें:-
- 30 घंटे से अधिक लगातार उड़ान
- 35,000 फीट तक ऊंचाई पर संचालन क्षमता
- रियल-टाइम इंटेलिजेंस, सर्विलांस और टोही (ISR)
- 60% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग अनिवार्य
- इनकी तैनाती से सेना को दुश्मन की हर गतिविधि पर गहरी नजर रखने में मदद मिलेगी, खासकर सीमावर्ती इलाकों और समुद्री क्षेत्रों में।
तीनों सेनाओं को मिलेगा लाभ, वायुसेना को विशेष बढ़त
सूत्रों का कहना है कि इन ड्रोन की तैनाती से थल सेना, नौसेना और वायुसेना — तीनों बलों की निगरानी और हमलावर क्षमता में बढ़ोतरी होगी। खास तौर पर भारतीय वायुसेना को पूर्वी और पश्चिमी सीमाओं पर निगरानी के क्षेत्र में बड़ा लाभ मिलेगा। फिलहाल यह प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय की उच्च स्तरीय समिति के समक्ष विचाराधीन है। मंजूरी मिलने के बाद जल्द ही अनुबंध पर हस्ताक्षर होंगे और निर्माण प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।