Edited By Mehak,Updated: 07 Oct, 2025 05:53 PM

ओलंपिक में दिए जाने वाले गोल्ड मेडल पूरी तरह सोने के नहीं होते। इनका मुख्य हिस्सा लगभग 92.5% चांदी से बना होता है और केवल ऊपर की परत पर 6 ग्राम शुद्ध सोना चढ़ाया जाता है। आखिरी बार पूरी तरह सोने के मेडल 1912 के स्टॉकहोम ओलंपिक में दिए गए थे। 2024 के...
नेशनल डेस्क : जब कोई धावक/खिलाड़ी गोल्ड मेडल जीतता है, तो यह पल न सिर्फ उसके लिए बल्कि पूरे देश के लिए गर्व और खुशी का होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ओलंपिक में दिए जाने वाले गोल्ड मेडल पूरी तरह से सोने के नहीं होते हैं। अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि क्या गोल्ड मेडल सिर्फ सोने का होता है या उसके ऊपर सोने की परत चढ़ाई जाती है। चलिए आपको पूरी सच्चाई से अवगत कराते हैं।
ओलंपिक गोल्ड मेडल का निर्माण
ओलंपिक में दिए जाने वाले गोल्ड मेडल मुख्य रूप से चांदी से बने होते हैं और केवल ऊपर की परत पर सोना (gold plating) चढ़ाया जाता है। पूरी तरह सोने के मेडल आखिरी बार 1912 के स्टॉकहोम ओलंपिक में दिए गए थे। उसके बाद से हर गोल्ड मेडल चांदी का बना होता है और केवल ऊपर से सोने की परत होती है।
गोल्ड मेडल में कितना सोना होता है?
ओलंपिक कमेटी के नियमों के अनुसार, प्रत्येक गोल्ड मेडल में कम से कम 6 ग्राम शुद्ध सोना होना आवश्यक है। बाकी का लगभग 92.5% हिस्सा चांदी से बना होता है। कुल मिलाकर एक गोल्ड मेडल का वजन लगभग 530 ग्राम होता है।
गोल्ड मेडल की लागत
सोने की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण, 2024 के पेरिस ओलंपिक में दिया गया गोल्ड मेडल अब तक का सबसे महंगा रहा। इस गोल्ड मेडल की कीमत लगभग 79,500 रुपये थी। वहीं, 2012 के ओलंपिक में एक गोल्ड मेडल की कीमत लगभग 37,800 रुपये थी।