Edited By Mehak,Updated: 01 Aug, 2025 01:11 PM

जगतगुरु परमहंसाचार्य महाराज ने कथावाचक अनिरुद्धाचार्य और संत प्रेमानंद महाराज के हालिया बयानों पर नाराज़गी जताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है। मथुरा पहुंचे परमहंसाचार्य महाराज ने कहा कि धार्मिक मंचों से ऐसी भाषा और विचार किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं...
नेशनल डेस्क : जगतगुरु परमहंसाचार्य महाराज ने कथावाचक अनिरुद्धाचार्य और संत प्रेमानंद महाराज के हालिया बयानों पर नाराज़गी जताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है। मथुरा पहुंचे परमहंसाचार्य महाराज ने कहा कि धार्मिक मंचों से ऐसी भाषा और विचार किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं हैं।
अनिरुद्धाचार्य पर कड़ी प्रतिक्रिया
परमहंसाचार्य महाराज ने कहा कि अनिरुद्धाचार्य जैसी बातें करना या तो ज्ञान की कमी को दर्शाता है या फिर घमंड को। उन्होंने कहा, 'जब मैंने उनका बयान सुना तो बहुत दुख हुआ। यह लड़कपन है। कम उम्र में इतना पैसा और सम्मान मिल जाना शायद पचा नहीं पा रहे हैं।' उन्होंने आगे चेतावनी दी कि अगर भविष्य में अनिरुद्धाचार्य इस तरह की भाषा का प्रयोग करते हैं, तो उन्हें व्यास पीठ से हटाना पड़ेगा। 'अगर वह दुबारा मातृशक्ति के लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करेंगे, तो उन्हें व्यास पीठ पर बैठने नहीं दिया जाएगा।'
संत प्रेमानंद महाराज को लेकर नाराज़गी
संत प्रेमानंद महाराज के एक बयान, जिसमें उन्होंने कहा था कि '100 में से केवल 2–4 लड़कियां ही पवित्र होती हैं', पर परमहंसाचार्य महाराज ने गहरा आक्रोश जताया। उन्होंने कहा, 'जो श्रीजी की उपासना करता है, वह कन्याओं के बारे में ऐसा घटिया बयान कैसे दे सकता है? कन्या का मतलब ही श्रीजी होता है।" उन्होंने यह भी कहा कि यदि संत प्रेमानंद के भाव अच्छे थे, तो भी उनकी शब्दावली पूरी तरह अनुचित थी। परमहंसाचार्य महाराज ने स्पष्ट रूप से कहा, 'संत प्रेमानंद को अपने शब्दों के लिए देश की समस्त कन्याओं से माफी मांगनी चाहिए।'
'श्रीजी नाराज़ हैं' – परमहंसाचार्य
जगतगुरु परमहंसाचार्य महाराज ने कहा कि ऐसे अपमानजनक बयान से श्रीजी नाराज़ हैं और उनकी आंखों में आंसू हैं। उन्होंने कहा,
'लोग कन्या पूजन करते हैं, और प्रेमानंद जी जैसे संत जब ऐसा बोलते हैं तो दिल टूट जाता है। ऐसी बातें सुनकर कान और हृदय दोनों फटते हैं।'
धर्म के नाम पर अपमान स्वीकार नहीं
परमहंसाचार्य महाराज ने स्पष्ट किया कि धर्म के नाम पर अगर कोई भी महिला, बहन या बेटी का अपमान करेगा तो समाज और संत समाज चुप नहीं बैठेगा। उन्होंने कहा, 'धर्म को धंधा बनाने की इजाज़त किसी को नहीं दी जा सकती।'
वृंदावन में हुआ स्वागत
मथुरा आगमन पर वृंदावन के संतों ने परमहंसाचार्य महाराज का गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने कहा कि धर्म की मर्यादा बनाए रखने के लिए अब समय आ गया है कि संत समाज स्वयं अपनी जिम्मेदारी निभाए और ऐसे बयानों पर खुलकर बोले।