Edited By Shubham Anand,Updated: 10 Nov, 2025 05:20 PM

कानपुर में वायु प्रदूषण का स्तर गंभीर हो गया है। IIT क्षेत्र में AQI 267 दर्ज किया गया, जबकि नेहरू नगर और कल्याणपुर में “गंभीर” श्रेणी का प्रदूषण देखा गया। औद्योगिक क्षेत्रों में स्तर मध्यम रहा। सर्दी, धूल, धुआं और वाहनों के उत्सर्जन से प्रदूषण बढ़ा...
नेशनल डेस्क : उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) क्षेत्र में आज वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) करीब 267 रिकॉर्ड किया गया, जो हवा में मौजूद सूक्ष्म धूलकण (PM2.5 और PM10) की अधिकता को दर्शाता है।
घनी आबादी वाले क्षेत्रों जैसे नेहरू नगर और कल्याणपुर में हवा की गुणवत्ता “गंभीर” श्रेणी में पाई गई, जहां AQI 240 से ऊपर रिकॉर्ड किया गया। इसके विपरीत, पनकी और फजलगंज जैसे औद्योगिक लेकिन खुले इलाकों में प्रदूषण का स्तर 180 से 200 के बीच, यानी “मध्यम” श्रेणी में रहा। इससे साफ होता है कि शहर के अंदरूनी और औद्योगिक हिस्से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
प्रदूषण के प्रमुख कारण
पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दियों में तापमान गिरने और हवा की गति कम होने से प्रदूषक जमीन के पास फंस जाते हैं। औद्योगिक इकाइयों से निकलता धुआं, वाहनों का उत्सर्जन और निर्माण स्थलों से उड़ती धूल मिलकर शहर में धुंध और धुएं की परत बना रहे हैं।
स्वास्थ्य पर खतरा
डॉक्टरों ने चेताया है कि ऐसी हवा में सांस लेने से खांसी, गले में खराश, आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं हो सकती हैं। विशेषकर अस्थमा, एलर्जी या हृदय रोग से पीड़ित लोगों को घर के अंदर रहने की सलाह दी गई है। विशेषज्ञों ने N95 मास्क पहनने, वाहनों का कम उपयोग करने और घर के भीतर पौधे रखने की सिफारिश की है।
सरकारी कदम और सुधार की उम्मीद
नगर निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से निगरानी बढ़ा दी गई है। सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है ताकि धूल कम उठे, वहीं ट्रैफिक पुलिस को वाहनों के प्रदूषण की जांच के निर्देश दिए गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि हवा की दिशा बदलने या हल्की बारिश होने से प्रदूषण में कुछ हद तक कमी आ सकती है।