कर्नाटक में बनेगी पहली प्राइवेट एयरफोर्स हेलिकॉप्टर फैक्ट्री, मेक इन इंडिया को मिलेगी नई उड़ान

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 27 May, 2025 05:59 PM

karnataka to have first private air force helicopter factory

भारत में एयरोस्पेस सेक्टर को लेकर एक बड़ी और अहम खबर सामने आई है। कर्नाटक के कोलार जिले में देश की पहली प्राइवेट सेक्टर की वायुसेना हेलिकॉप्टर असेंबली यूनिट बनने जा रही है। इस यूनिट को स्थापित करने की जिम्मेदारी एयरबस और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स...

नेशनल डेस्क: भारत में एयरोस्पेस सेक्टर को लेकर एक बड़ी और अहम खबर सामने आई है। कर्नाटक के कोलार जिले में देश की पहली प्राइवेट सेक्टर की वायुसेना हेलिकॉप्टर असेंबली यूनिट बनने जा रही है। इस यूनिट को स्थापित करने की जिम्मेदारी एयरबस और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) की साझा साझेदारी को दी गई है। यह प्रोजेक्ट भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को मजबूती देगा और एयरोस्पेस निर्माण में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। यह असेंबली लाइन यूरोपीय विमान निर्माता एयरबस और भारत की प्रमुख एयरोस्पेस कंपनी टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) द्वारा मिलकर बनाई जा रही है। इस संयंत्र में H125 सिविल हेलिकॉप्टर बनाए जाएंगे, जो एयरबस का सबसे ज्यादा बिकने वाला हल्का हेलिकॉप्टर है। यह भारत में निजी क्षेत्र की पहली हेलिकॉप्टर असेंबली यूनिट होगी। इससे पहले हेलिकॉप्टर असेंबली का काम भारत में सिर्फ सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा किया जाता था।

कहां बनेगा यह प्लांट?

यह प्लांट कर्नाटक के कोलार जिले के वेमगल इंडस्ट्रियल एरिया में बनेगा, जो बेंगलुरु से लगभग दो घंटे की दूरी पर है। यहां पहले से ही टाटा ग्रुप के उपग्रह निर्माण और अन्य एयरोस्पेस इकाइयां मौजूद हैं। टाटा समूह ने इस प्रोजेक्ट के लिए हाल ही में 7.4 लाख वर्गफुट का प्लॉट अधिग्रहित किया है, जिसमें विमान निर्माण, फाइनल असेंबली और MRO (मेंटेनेंस, रिपेयर एंड ओवरहाल) की सुविधाएं स्थापित की जाएंगी। इस संयंत्र में शुरुआत में हर साल 10 H125 हेलिकॉप्टरों का निर्माण किया जाएगा। लेकिन जैसे-जैसे मांग बढ़ेगी, उत्पादन क्षमता को भी बढ़ाया जाएगा। एयरबस के अनुसार आने वाले 20 वर्षों में भारत और दक्षिण एशिया में 500 लाइट हेलिकॉप्टरों की जरूरत होगी, जिसे देखते हुए यह प्लांट भविष्य के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण होगा।

क्या है इस यूनिट का महत्व?

  1. मेक इन इंडिया को मजबूती – स्वदेशी निर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा।

  2. नई नौकरियों के अवसर – स्थानीय युवाओं के लिए नए रोजगार खुलेंगे।

  3. कौशल विकास और सप्लाई चेन में निवेश – देश की उत्पादन क्षमता को बल मिलेगा।

  4. वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की स्थिति मजबूत होगी – भारत एक रणनीतिक एयरोस्पेस केंद्र बन सकता है।

Aequs के चेयरमैन और सीईओ अरविंद मेलिगेरी का कहना है कि यह परियोजना न केवल स्थानीय स्तर पर नौकरियां पैदा करेगी, बल्कि भारत को उन्नत औद्योगिक क्लस्टर के रूप में भी स्थापित करेगी।

गुजरात को लेकर क्यों उठे सवाल?

गौरतलब है कि टाटा और एयरबस इससे पहले वडोदरा (गुजरात) में भी C295 सैन्य विमान असेंबली लाइन की स्थापना कर रहे हैं। इसके साथ ही गुजरात को सेमीकंडक्टर प्लांट और डायमंड बोर्स जैसी बड़ी परियोजनाएं भी मिली हैं। इन्हीं वजहों से विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर गुजरात को विशेष तरजीह देने का आरोप लगाया है। हालांकि कोलार में हो रहे इस निवेश से दक्षिण भारत में भी संतुलन बनने की उम्मीद है।

 

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