Edited By Seema Sharma,Updated: 23 Nov, 2019 02:55 PM
राकांपा नेता अजित पवार के सहयोग से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर भाजपा के देवेंद्र फडणवीस की शनिवार को वापसी हो गई। वहीं, अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। देवेंद्र फडणवीस ने भी सरकार बनने के बाद सबसे पहले अजित पवार का धन्यवाद किया और...
मुंबई: राकांपा नेता अजित पवार के सहयोग से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर भाजपा के देवेंद्र फडणवीस की शनिवार को वापसी हो गई। वहीं, अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। देवेंद्र फडणवीस ने भी सरकार बनने के बाद सबसे पहले अजित पवार का धन्यवाद किया और कहा कि हम जनता के हित और किसानों के लिए साथ आए हैं। माना जा रहा है कि महाराष्ट्र में इतने बड़े उलटफेर के लिए अजित पवार ने अहम रोल अदा किया। अजित पवार का एनसीपी में काफी रुतबा है।
चाचा शरद पवार के नक्शेकदम पर आए थे राजनीति में
- अजित पवार अपने चाचा शरद पवार के नक्शेकदम पर चलते हुए राजनीति में आए थे। वे 1990 से अब तक 7 बार वह बारामती के विधायक निर्वाचित हो चुके हैं। 22 जुलाई 1959 को अहमदनगर में जन्मे अजित पवार शरद पवार के बड़े भाई अनंतराव पवार के बेटे हैं।
- अजित 1982 में राजनीति में आए और कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्री के बोर्ड में चुने गए। वह पुणे जिला कोऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन भी रहे और 16 साल तक इसी पद रहे।
- इसी दौरान वे बारामती से लोकसभा सांसद भी निर्वाचित हुए। बाद में उन्होंने शरद पवार के लिए यह सीट खाली कर दी थी।
- बारामती से 7 बार के विधायक बारामती सीट पवार की खानदानी सीट है। इस सीट पर शरद पवार और अजित पवार का ही बोलबाला रहा।
- 1967 से 1990 तक शरद पवार यहां से विधायक रहे। इसके बाद 1991 से अब तक 7 बार अजित पवार यहां से विधायक चुने गए। दोनों ने मिलाकर 8 बार कांग्रेस और 4 बार एनसीपी के नेतृत्व से जीत हासिल की। शिवसेना या भाजपा में से कभी भी कोई इस सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाया।
पहले भी रह चुके हैं डिप्टी सीएम
महाराष्ट्र में 2010 में कांग्रेस-एनसीपी की सरकार में अजित पवार पहली बार उपमुख्यमंत्री नियुक्त हुए थे। अपने चाहने वालों और जनता के बीच वह दादा के रूप में लोकप्रिय हैं। सितंबर 2012 में एक घोटाले के चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा हालांकि एनसीपी ने एक श्वेत पत्र जारी करते हुए अजित पवार को क्लीन चिट दे दी थी और उप मुख्यमंत्री कार्यकाल जारी किया। हालांकि अजित पवार महाराष्ट्र में 1500 करोड़ रुपए के सिंचाई घोटाले के मामले में आरोपी भी हैं।
विवादित बयानों से चर्चा में
अजित कई बार अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रह चुके हैं। अजित पवार ने 7 अप्रैल 2013 को सूखे के संकट पर 55 दिन तक उपवास करने वाले कार्यकर्त्ता को लेकर विवादित बयान देते हुए कहा था कि अगर बांध में पानी नहीं है.. तो क्या हमें वहां पेशाब करना चाहिए। हालांकि अपने इस बयान के लिए उन्होंने सार्वजनिक तौर पर माफी मांगी थी और कहा था कि यह कहना मेरे जीवन की सबसे बड़ी गलती है। 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान बारामती निर्वाचन क्षेत्र से अपनी चचेरी बहन सुप्रिया सुले के लिए प्रचार के दौरान उन्होंने ग्रामीणों को धमकाते हुए कहा था कि अगर मेरा बहन को वोट नहीं दिया तो वह गांव में पानी की सप्लाइ बंद करवा देंगे। अजित के इस बयान को लेकर उन पर आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगा था और उन पर 48 घंटे के लिए चुनाव प्रचार की रोक लगा दी गई थी।