Edited By Mehak,Updated: 16 Dec, 2025 06:30 PM

2014 से पहले भाजपा की वित्तीय स्थिति सीमित थी, 2013-14 में उसकी कुल आय लगभग ₹674 करोड़ और संपत्ति ₹781 करोड़ थी। केंद्र में सत्ता मिलने के बाद पार्टी की आय और संपत्ति में तेजी से वृद्धि हुई। 2022-23 तक आय ₹2,360 करोड़ और संपत्ति ₹7,052 करोड़ हो गई।...
नेशनल डेस्क : भारतीय जनता पार्टी (BJP) की वित्तीय यात्रा ने पिछले दशक में भारतीय राजनीतिक फंडिंग में बड़े बदलाव को दिखाया है। 2014 से पहले भाजपा की वित्तीय स्थिति बहुत मजबूत नहीं थी। वित्तीय वर्ष 2013-14 में पार्टी की कुल आय लगभग 674 करोड़ रुपए थी और संपत्ति 781 करोड़ रुपए के आसपास थी। उस समय भाजपा और कांग्रेस जैसी अन्य राष्ट्रीय पार्टियों के बीच वित्तीय अंतर कम था।
2014 के बाद पार्टी की आय में तेजी
2014 में केंद्र में सत्ता में आने के बाद पार्टी की आय लगातार बढ़ी। वित्तीय वर्ष 2022-23 तक भाजपा की घोषित आय लगभग 2,360 करोड़ रुपए हो गई, जो 2014 से पहले की तुलना में 250% से अधिक थी। खासकर चुनावी सालों में पार्टी की आय में बड़ा उछाल आया। उदाहरण के लिए, 2019-20 में भाजपा ने ₹3,623 करोड़ की सबसे ज्यादा आय दर्ज की। हाल ही में 2023-24 के आंकड़ों के अनुसार, पार्टी की आय लगभग ₹4,340 करोड़ तक पहुंच गई।
संपत्ति में जबरदस्त बढ़ोतरी
आय में वृद्धि के साथ-साथ पार्टी की कुल संपत्ति में भी भारी इजाफा हुआ। 2013-14 में 781 करोड़ रुपए की संपत्ति के मुकाबले, 2022-23 तक यह ₹7,052 करोड़ से ज्यादा हो गई। इसका मतलब है कि पार्टी ने लगातार अपनी कमाई से खर्च कम किया और साल-दर-साल बड़ा सरप्लस जमा किया।
राजनीतिक फंडिंग में बदलाव
2014 के बाद भाजपा की वित्तीय ताकत ने उसे सिर्फ सत्ता की पार्टी ही नहीं बल्कि भारत की सबसे अमीर राजनीतिक पार्टी भी बना दिया। 250% से लेकर 400% तक की आय वृद्धि और 7,000 करोड़ रुपए से अधिक संपत्ति के साथ, भाजपा ने भारतीय राजनीतिक फंडिंग में महत्वपूर्ण बदलाव दिखाया है। इस डेटा और आधिकारिक खुलासों से यह स्पष्ट होता है कि सत्ता में आने के बाद भाजपा ने वित्तीय रूप से अपनी पकड़ मजबूत की और राजनीतिक पावर हाउस बन गई।