Edited By Seema Sharma,Updated: 22 May, 2022 09:11 AM
22 मई 1878 को एक महान पहलवान का जन्म हुआ था। इस पहलवान का नाम गामा पहलवान था। आज इनका 144वां जन्मदिन है और इस मौके पर गूगल ने भी खास डूडल बनाया है।
नेशनल डेस्क: 22 मई 1878 को एक महान पहलवान का जन्म हुआ था। इस पहलवान का नाम गामा पहलवान था। आज इनका 144वां जन्मदिन है और इस मौके पर गूगल ने भी खास डूडल बनाया है। गामा पहलवान के बारे में ऐसा कहा जाता है वह अपने 52 साल के करियर में आज तक किसी से हारे नहीं थे। गामा पहलवान का नाम ही इतना था कि उनका नाम सुनते ही बड़े-बड़े पहलवान पीछे हट जाते थे। ऐसे मौके पर आइए हम भी इनके बारे में और भी कुछ जानने की कोशिश करते हैं।
10 साल की उम्र से शुरू की पहलवानी
22 मई, 1878 को अमृतसर के एक गांव में जन्मे गामा पहलवान को ग्रेट गामा के नामा से भी जाना जाता है। उनका असली नाम गुलाम मोहम्मद बख्श था। गामा के पिता मुहम्मद अजीज बख्श भी पहलवान थे। बताया जाता है कि गामा ने 10 साल की उम्र में ही पहलवानी शुरू कर दी थी। गामा पहलवान ने शुरुआत में कुश्ती के दांव-पेच पंजाब के मशहूर ‘पहलवान माधो सिंह’ से सीखे। इसके बाद मध्य प्रदेश में दतिया के महाराजा भवानी सिंह ने उन्हें पहलवानी करने की सुविधाएं दीं। साल 1947 तक गामा पहलवान ने अपने हुनर से भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर दिया था। हालांकि भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय गामा पहलवान अपने परिवार के साथ लाहौर चले गए थे।
गामा पहलवान रुस्तम-ए-हिंद
अपने करियर में उन्होंने कई खिताब जीते, जिसमें वर्ल्ड हैवीवेट चैम्पियनशिप (1910) और वर्ल्ड कुश्ती चैम्पियनशिप (1927) भी जीता, जहां उन्हें 'टाइगर' की उपाधि से सम्मानित किया गया। बताया जाता है कि उन्होंने मार्शल आर्ट आर्टिस्ट ब्रूस ली को भी चैलेंज किया था। जब ब्रूस ली गामा पहलवान से मिले तो उन्होंने उनसे 'द कैट स्ट्रेच' सीखा, जो योग पर आधारित पुश-अप्स का वैरिएंट है। 20वीं शताब्दी की शुरुआत में गामा पहलवान रुस्तम-ए-हिंद बने। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वे अच्छा-खासी डाइट लेते थे। वे रोजाना 10 लीटर दूध पिया करते थे, इसके साथ ही 6 देसी मुर्गे भी उनकी डाइट में शामिल थे। वे 3000 से 5000 बैठकें (पुश अप) लगाया करते थे।