Krishna Janmashtami 2025: आज रात बस इतने मिनट का होगा लड्डू गोपाल के विशेष पूजन का शुभ मुहुर्त

Edited By Updated: 16 Aug, 2025 02:05 PM

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आज देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। मान्यता के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को, रोहिणी नक्षत्र के दौरान, मध्यरात्रि में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इसी कारण हर साल इसी...

नेशनल डेस्क : आज देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। मान्यता के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को, रोहिणी नक्षत्र के दौरान, मध्यरात्रि में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इसी कारण हर साल इसी दिन बाल गोपाल का जन्मोत्सव विशेष पूजा, व्रत और उत्सव के साथ मनाया जाता है।

भक्त इस दिन शालिग्राम, लड्डू गोपाल और राधा-कृष्ण के स्वरूप की विधिवत पूजा करते हैं। व्रती निर्जला उपवास रखते हैं और रात के शुभ मुहूर्त में खीरे से भगवान का जन्म कराते हैं। इसके बाद पंचामृत स्नान करवाकर सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।

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जन्माष्टमी तिथि और योग

इस साल अष्टमी तिथि 15 अगस्त 2025 की रात 11:48 बजे शुरू होकर 16 अगस्त की रात 9:34 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त को मनाया जा रहा है। इस बार पर्व पर सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग जैसे शुभ योग बन रहे हैं।

पूजा का शुभ मुहूर्त

रात्रि में लड्डू गोपाल की पूजा का समय 16 अगस्त को रात 12:04 बजे से 12:47 बजे तक रहेगा। कुल 45 मिनट का यह समय श्रीकृष्ण जन्म और पूजा के लिए बेहद शुभ माना गया है।

कौन-सी मूर्ति स्थापित करें?

  • प्रेम और वैवाहिक सुख के लिए - राधा-कृष्ण की प्रतिमा
  • संतान प्राप्ति के लिए - बाल कृष्ण का स्वरूप
  • सभी मनोकामनाओं के लिए - बंसीधारी कृष्ण की मूर्ति

श्रृंगार विधि

श्रृंगार में फूलों का विशेष महत्व है। ताजे और सुगंधित फूलों का प्रयोग करें। लड्डू गोपाल को पीले वस्त्र पहनाएं, माथे और शरीर पर गोपी चंदन व चंदन लगाएं। कृष्ण पर वैजयंती के फूल चढ़ाना शुभ माना जाता है। श्रृंगार के बाद कान्हा को आईना दिखाना भी परंपरा है।

प्रसाद में क्या चढ़ाएं?

  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) में तुलसी डालकर अर्पित करें।
  • माखन, मिश्री, मेवा और धनिये की पंजीरी का भोग लगाएं।
  • पंचामृत को अभिषेक और प्रसाद दोनों के रूप में उपयोग किया जाता है।

व्रत नियम

  • सुबह स्नान कर संकल्प लें।
  • व्रत निर्जला रखें (जरूरत पड़ने पर जलाहार या फलाहार ले सकते हैं)।
  • पूरी तरह सात्विक रहें।
  • मध्यरात्रि में खीरे से जन्म कराकर पंचामृत स्नान करवाएं।
  • अर्पण की वस्तुएं शंख में डालकर चढ़ाएं।
  • काले या सफेद वस्त्र न पहनें।

कौन-से मंत्र जपें?

  • 'हरे कृष्ण' महा मंत्र का जप
  • प्रेम और आनंद के लिए 'मधुराष्टक' का पाठ
  • गुरु रूप में कृष्ण को पाने के लिए 'श्रीमद्भगवद्गीता' का पाठ
  • मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए 'गोपाल सहस्त्रनाम' का पाठ

 

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