Leh Ladakh Protest: अचानक क्यों जल उठा लेह, प्रदर्शन हिंसक होने का क्या है मुख्य कारण?

Edited By Updated: 24 Sep, 2025 06:41 PM

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लद्दाख में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को लेकर लेह में छात्रों और स्थानीय लोगों का प्रदर्शन हिंसक हो गया। प्रदर्शनकारियों ने कई वाहनों और भाजपा कार्यालय में आग लगा दी। सोनम वांगचुक ने 15 दिन बाद अनशन तोड़ा और शांति की अपील की। LAB आंदोलन...

नेशनल डेस्क : लद्दाख की सड़कों पर पिछले कई दिनों से सुलग रहा आक्रोश मंगलवार को लेह में बड़े पैमाने पर हिंसा में बदल गया। छात्रों और स्थानीय लोगों द्वारा केंद्र सरकार तथा केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन के खिलाफ बुलाए गए पूर्ण बंद के दौरान शांतिपूर्ण प्रदर्शन ने अचानक उग्र रूप धारण कर लिया। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच पत्थरबाजी शुरू होते ही हालात बेकाबू हो गए, जिसमें सीआरपीएफ की गाड़ी, पुलिस वैन समेत कई वाहनों को आग लगा दी गई। इतना ही नहीं, गुस्साई भीड़ ने लेह स्थित बीजेपी कार्यालय को भी निशाना बनाया और उसे आग के हवाले कर दिया। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में कार्यालय से उठते धुएं के गुबार की तस्वीरें साफ दिखाई दे रही हैं।

आंदोलन शुरू होने का कारण
यह हिंसा लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने तथा छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर तेज हुई है। आंदोलन का नेतृत्व लेह एपेक्स बॉडी (LAB) कर रही है, जिसकी युवा इकाई ने प्रदर्शन और बंद का आह्वान किया। तनाव तब चरम पर पहुंचा जब मंगलवार शाम 10 सितंबर से 35 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे 15 प्रदर्शनकारियों में से दो की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। LAB के अनुसार, केंद्र सरकार के अधूरे वादों ने लोगों का सब्र तोड़ दिया है। बीजेपी ने 2019 में वादा किया था कि लद्दाख को छठी अनुसूची के तहत संरक्षण दिया जाएगा, लेकिन पांच साल बाद भी यह मांग लंबित है।

सोनम वांगचुक का समर्थन
आंदोलन की सबसे प्रमुख आवाज पर्यावरण कार्यकर्ता और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक बने हैं, जिनका अनशन मंगलवार को 15वें दिन प्रवेश कर चुका था। हिंसा भड़कने के बाद उन्होंने अनशन तोड़ दिया और सोशल मीडिया पर वीडियो संदेश जारी कर युवाओं से शांति बनाए रखने की अपील की। वांगचुक ने कहा, "आज लेह में हुई घटनाएं बेहद दुखद हैं। मेरा शांति का संदेश विफल हो गया। मैं युवाओं से अपील करता हूं कि इस बकवास को रोकें। यह केवल हमारी मांग को नुकसान पहुंचाता है।" उन्होंने आगे जोड़ा, "हमारी मांगें पांच साल से लंबित हैं। संविधान तो दो साल में बन गया, लेकिन हमारी बात पर चर्चा पूरी नहीं हुई। लोगों का धैर्य टूट रहा है। हम नहीं चाहते कि ऐसी कोई घटना हो जिससे भारत की छवि को ठेस पहुंचे। हिंसा हमारा रास्ता नहीं है।" वांगचुक ने बेरोजगारी और लोकतांत्रिक अधिकारों की कमी जैसे मुद्दों को भी आंदोलन का मूल कारण बताया।

6 अक्टूबर को होगी केंद्र से बात
बढ़ते तनाव के बीच गृह मंत्रालय ने घोषणा की है कि 6 अक्टूबर को लद्दाख प्रतिनिधिमंडल के साथ अगला दौर की बातचीत होगी। इसमें पूर्व सांसद स्टैंजिन लुंगटोक न्याम्पा और लेह एपेक्स बॉडी के जामयांग त्सेरिंग नामग्याल जैसे नेता शामिल होंगे। हालांकि, LAB ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक राज्य का दर्जा और संवैधानिक अधिकार सुनिश्चित नहीं होते, आंदोलन थमेगा नहीं। लेह में कर्फ्यू जैसे प्रतिबंध लगा दिए गए हैं, जबकि कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (KDA) ने गुरुवार को पूर्ण बंद का ऐलान किया है।

लद्दाख के लोग अब शांतिपूर्ण विरोध से निराश हो चुके हैं और ठोस समाधान की मांग कर रहे हैं। लेह ऑटोनॉमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल (LAHDC) चुनावों से पहले यह आंदोलन और तेज होने के संकेत दे रहा है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि केंद्र को संवेदनशीलता दिखानी चाहिए, वरना हालात और बिगड़ सकते हैं। फिलहाल, लेह में भारी पुलिस बल तैनात है और स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।
 

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