अध्यक्ष पद का चुनाव करवाने वाले मधुसूदन मिस्त्री, जिन्हें कहा जाता है कांग्रेस का टीएन शेषन

Edited By Updated: 19 Oct, 2022 11:54 PM

madhusudan mistry who got elected to the post of president

कांग्रेस में सहयोगी नेताओं द्वारा ‘पार्टी के टी एन शेषन' कहे जा रहे एआईसीसी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री पार्टी के इतिहास में अध्यक्ष पद के छह चुनावों की कमान संभाल चुके हैं

नई दिल्लीः कांग्रेस में सहयोगी नेताओं द्वारा ‘पार्टी के टी एन शेषन' कहे जा रहे एआईसीसी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री पार्टी के इतिहास में अध्यक्ष पद के छह चुनावों की कमान संभाल चुके हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले मिस्त्री अक्सर विषम परिस्थितियों में पार्टी की विभिन्न जिम्मेदारियां संभालते रहे हैं जिसमें 2014 के लोकसभा चुनाव में वड़ोदरा से नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ना शामिल है। कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खरगे और शशि थरूर के बीच हुए ताजा मुकाबले से 22 साल पहले भी इस पद के लिए चुनाव हुआ था और सोनिया गांधी ने जितेंद्र प्रसाद को हराया था।

चुनाव में असमान अवसरों के मुद्दे उठाने वाले थरूर ने मिस्त्री को ‘निष्पक्ष सोच' वाला बताया, वहीं यह भी कहा कि पार्टी की प्रणाली में खामियां थीं क्योंकि 22 साल में ऐसा कोई चुनाव नहीं हुआ। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मिस्त्री की तुलना सख्ती से और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए पहचान पाने वाले पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त टी एन शेषन से की। उन्होंने कहा, ‘‘वह (मिस्त्री) सख्त, ईमानदार रहे हैं तथा निष्पक्ष, स्वतंत्र और पारदर्शी चुनाव कराने में सक्षम हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उनके निर्देश के बाद तीन प्रवक्ताओं के इस्तीफे दिलाने पड़े ताकि वे एक उम्मीदवार के लिए प्रचार कर सकें।''

रमेश ने कहा कि मिस्त्री ने निष्पक्षता के उच्च मानक निर्धारित किये और चुनावी प्रक्रिया में किसी तरह की शिकायत वास्तव में पूरी तरह निराधार है। मिस्त्री की राजनीतिक यात्रा में अनेक उतार-चढ़ाव आये हैं। वह शंकरसिंह वाघेला की राष्ट्रीय जनता पार्टी (आरजेपी) के सदस्य रहे। बाद में कांग्रेस में आरजेपी का विलय हो गया और मिस्त्री कांग्रेस के सदस्य बन गये। मिस्त्री 2001 में साबरकांठा लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस के टिकट पर 13वीं लोकसभा में निर्वाचित हुए थे।

इसके बाद वह 2004 में साबरकांठा से 14वीं लोकसभा के भी सदस्य बने और अनेक संसदीय समितियों के सदस्य रहे। वह 2009 का लोकसभा चुनाव इसी सीट पर भाजपा के महेंद्रसिंह चौहान से हार गये। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें वड़ोदरा से मोदी के खिलाफ खड़ा किया गया और वह बड़े अंतर से चुनाव हार गये। कांग्रेस ने मिस्त्री को 2014 में राज्यसभा में भेजा। वह राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश के लिए कांग्रेस के प्रभारी महासचिव समेत पार्टी के अनेक पदों पर रहे हैं। मिस्त्री मीडिया से बात करते समय अपने शब्दों के सावधानीपूर्वक चयन के लिए जाने जाते हैं। पार्टी नेता विवादों में नहीं पड़ने की उनकी विशेषता को उनकी ताकत मानते हैं।

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