'मौन' रहने वाले पूर्व PM ने बजट पर दिया था सबसे लंबा भाषण, जानिए उसने जुड़ी कुछ खास बातें

Edited By Updated: 26 Sep, 2019 11:21 AM

manmohan singh gave the longest speech on the budget

पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह आज अपना 87वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनका जन्म जन्‍म 26 सितम्‍बर, 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के एक गांव में हुआ था जो अब पाकिस्तान में है...

नेशनल डेस्क: पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह आज अपना 87वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनका जन्म जन्‍म 26 सितम्‍बर, 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के एक गांव में हुआ था जो अब पाकिस्तान में है। हर गंभीर राजनीतिक मसले पर चुप्‍पी साधे रहने के चलते उन्हें ‘मौनी बाबा’ की उपाधि मिली। लेकिन क्या आप जानते हैं प्रधानमंत्री रहते हुए मनमोहन सिंह ने 10 साल में 1401 भाषण दिए। इतना ही नहीं अब तक सबसे लंबा बजट भाषण मनमोहन सिंह ने ही दिया है। 

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18,177 शब्दों का दिया था भाषण 
तत्कालीन वित्तमंत्री मनमोहन सिंह ने 1991 में 18,177 शब्दों का सबसे लंबा बजट भाषण दिया था। प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने 10 साल में 1401 भाषण दिए। वैसे तो वह साल में 2 बार ही हिंदी बोलते थे लेकिन एक बार उन्होंने अपने चुप्पी को लेकर एक शेर के जरिए जवाब दिया कि ‘हजारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी, न जाने कितने सवालों की आबरू रखी। 

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पूर्व पीएम की कुछ खास बातें

  • पूर्व प्रधानमंत्री ने अर्थशास्त्र में विशेषज्ञता हासिल करने के बाद कई सारी किताबें भी लिखीं। साल 1969 में वे भारत लौटे, इससे पहले वे यूएन में ट्रेड एंड डेपलेपमेंट के लिए काम कर रहे थे। यहां आने के बाद उन्होंने तीन साल तक दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स में प्रोफेसर के तौर पर अपना ज्ञान बांटा।
  • 18 जुलाई 2006 में भारत और अमेरिका के बीच परमाणु समझौता हुआ। मनमोहन सिंह और राष्ट्रपति जार्ज बुश ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। ये मनमोहन सिंह की बड़ी सफलता मानी जाती है।
  • पीएम बनने के बाद भी वे अर्थशास्त्री के रूप में ही जाने जाते थे। जब आरबीआई ने रुपयों के लिए मॉनिटरी पॉलिसी बनाई थी, मनमोहन सिंह उस टीम का हिस्सा थे। वे साल 1976-1980 तक आरबीआई के डायरेक्टर रहे और बाद में गर्वनर भी बनें। 

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मनमोहन सिंह ने लड़ा एक ही चुनाव

  • सिंह ने लोकसभा चुनाव में कभी जीत नहीं हासिल की। साल 2004 तक एक परंपरा थी कि प्रधानमंत्री जनता का प्रतिनिधि होता है इसलिए उसे लोकसभा से सदन में आना चाहिए लेकिन दो बार के कार्यकाल में मनमोहन सिंह कभी लोकसभा चुनाव लड़े ही नहीं। एक बार लड़े तो दिल्ली से हार गए। इसके बावजूद उन्होंने देश का नेतृत्व किया।
  • मनमोहन सिंह इतिहास के पन्नों पर इसलिए भी दर्ज रहेंगे क्योंकि वे अर्थशास्त्री थे और उनके रहते अर्थव्यवस्था डूबती गई। उन्होंने अमेरिका को आर्थिक मंदी से निकलने के लिए कई रास्ते बताएं लेकिन अपने देश को नहीं बचा पाए लेकिन आज भी देश की जनता इसलिए उन्हें याद करती है क्योंकि उन्होंने गरीबी दूर की।
  • मनमोहन सिंह अपनी सादगी के लिए सदैव पहचाने जाएंगे। जब उनको अपनी कार का लाइसेंस रिन्यू कराना था तो वह स्वयं चलकर अथॉर्टी के पास गए। 

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