मोदी सरकार धन के केंद्रीकरण को बढ़ावा दे रही है, यह लोकतंत्र की आत्मा पर सीधा हमला है: कांग्रेस

Edited By Updated: 05 Oct, 2025 03:39 PM

modi government promoting centralisation of wealth this is a direct attack

कांग्रेस ने ‘‘धन के केंद्रीकरण' के मुद्दे को उठाते हुए रविवार को आरोप लगाया कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों से प्रेरित है और कहा कि यह सिर्फ अर्थव्यवस्था के लिए समस्या नहीं है, बल्कि ‘‘लोकतंत्र की...

नेशनल डेस्क: कांग्रेस ने ‘‘धन के केंद्रीकरण'' के मुद्दे को उठाते हुए रविवार को आरोप लगाया कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों से प्रेरित है और कहा कि यह सिर्फ अर्थव्यवस्था के लिए समस्या नहीं है, बल्कि ‘‘लोकतंत्र की आत्मा पर भी सीधा हमला'' है। कांग्रेस महासचिव एवं संचार प्रभारी जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर एक मीडिया रिपोर्ट साझा की जिसमें दावा किया गया है कि भारत अब अरबपतियों का नया केंद्र बन रहा है और देश में अमीर लोगों की संख्या साल दर साल तेजी से बढ़ रही है।

रमेश ने ‘एक्स' पर लिखा, ‘‘एक के बाद एक रिपोर्ट भारत में धन के व्यापक केंद्रीकरण के बारे में आगाह कर रही है। एक तरफ करोड़ों भारतीय रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ सिर्फ 1,687 लोगों के पास देश की आधी दौलत है।'' उन्होंने कहा, ‘‘मोदी सरकार-प्रेरित आर्थिक नीतियों के कारण धन का इतना बड़ा केंद्रीकरण हमारे देश में विकराल आर्थिक असमानता पैदा कर रहा है। यही असमानता व्यापक सामाजिक असुरक्षा और असंतोष को जन्म दे रही है।'' उन्होंने कहा कि अन्य देशों में हाल की तारीखें गवाह हैं कि यही घनघोर आर्थिक असमानता और पंगु लोकतांत्रिक संस्थाएं राजनीतिक अराजकता पैदा करने का कारण बनी हैं।

रमेश ने कहा कि यह सरकार भारत को भी उसी रास्ते पर धकेल रही है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘सत्ता के गठजोड़ से चंद अमीर उद्योगपति और अमीर होते जा रहे हैं। प्रधानमंत्री की नीतियां उनके चंद उद्योगपति मित्रों के फायदे के लिए ही केंद्रित हैं।'' उन्होंने आरोप लगाया कि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र, अभूतपूर्व दबाव में है और यह दबाव केवल घरेलू नीतियों का ही नहीं, बल्कि विदेश नीति की असफलताओं का भी नतीजा है। रमेश ने कहा, ‘‘आम लोगों के लिए कमाई के अवसर घटते जा रहे हैं। महंगाई इतनी बढ़ गई है कि नौकरीपेशा लोगों की जेब में भी बचत की जगह कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है।

शिक्षा और स्वास्थ्य पर निवेश लगातार घट रहा है और सामाजिक सुरक्षा योजनाएं कमजोर की जा रही हैं।'' उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) जैसी सफल योजनाएं, जिन्होंने करोड़ों लोगों को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा का जाल मुहैया कराया था, आज वेतन संकट से जूझ रही हैं। श्रमिकों को समय पर भुगतान तक नहीं हो रहा। रमेश ने कहा, ‘‘धन का इतना घोर केंद्रीकरण केवल अर्थव्यवस्था की समस्या नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र की आत्मा पर सीधा हमला है। जब आर्थिक शक्ति मुट्ठीभर हाथों में सिमट जाती है, तो राजनीतिक निर्णय भी उन्हीं के हित में होने लगते हैं।''

उन्होंने कहा कि इसके कारण सामाजिक और आर्थिक असमानता का दायरा लगातार बढ़ रहा है। रमेश ने कहा कि नतीजा यह हो रहा है कि देश के करोड़ों नागरिक धीरे-धीरे लोकतंत्र और विकास की प्रक्रिया से बाहर किए जा रहे हैं। ‘एम3एम हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2025' में शामिल लोगों की कुल संपत्ति 167 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लगभग आधे के बराबर है। इस सूची में 1,687 लोगों के पास 1,000 करोड़ रुपये की संपत्ति है। हुरुन ने कहा कि भारत में पिछले दो वर्षों से हर हफ्ते एक अरबपति बना है और इस सूची में शामिल लोगों की संपत्ति में हर दिन 1,991 करोड़ रुपये का इजाफा हो रहा है। 

 

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