मानसून का बदला मिज़ाज: अब ऐसा क्यों नहीं दिखते लगातार बादल और रिमझिम वाली बारिश

Edited By Updated: 26 Jun, 2025 03:47 PM

monsoon s mood has changed why are we not

भारत में कभी मानसून के दौरान कई दिनों तक लगातार बारिश एक आम बात हुआ करती थी। सूरज कई-कई दिन नहीं दिखता था, काम-काज रुक जाते थे, और गांवों-कस्बों की ज़िंदगी थम सी जाती थी। लेकिन अब बारिश का वो सिलसिला बदल गया है। आजकल या तो तेज़ मूसलाधार बारिश कुछ...

नेशनल डेस्क: भारत में कभी मानसून के दौरान कई दिनों तक लगातार बारिश एक आम बात हुआ करती थी। सूरज कई-कई दिन नहीं दिखता था, काम-काज रुक जाते थे, और गांवों-कस्बों की ज़िंदगी थम सी जाती थी। लेकिन अब बारिश का वो सिलसिला बदल गया है। आजकल या तो तेज़ मूसलाधार बारिश कुछ घंटों में हो जाती है, या फिर कई दिनों तक सूखा पड़ा रहता है।

पहले कैसा था मानसून का पैटर्न?
1950 से 1980 के दशक तक भारत के कई हिस्सों — जैसे पश्चिमी घाट, पूर्वोत्तर भारत और उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्र — में 5 से 15 दिनों तक लगातार हल्की से मध्यम बारिश होना सामान्य था। चेरापूंजी और मेघालय जैसे इलाकों में तो महीने भर तक रिमझिम बारिश होती रहती थी।

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अब क्यों बदल गया है बारिश का स्वरूप?
1. जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग:
धरती का तापमान बढ़ने से वातावरण में अधिक नमी बनती है, जिससे अब तेज़ और कम समय वाली बारिश होती है। इससे लंबे समय की रिमझिम बारिश की घटनाएं घट गई हैं।

2. एल नीनो और ला नीना का असर:
प्रशांत महासागर में होने वाली ये मौसमी घटनाएं भारतीय मानसून को प्रभावित करती हैं, जिससे बारिश की स्थिरता कम होती जा रही है।

3. तेज बारिश में वृद्धि, कुल वर्षा में गिरावट:
अब 2 दिन में ही उतनी बारिश हो जाती है जितनी पहले 10 दिन में होती थी। इससे बाढ़ आती है लेकिन कुल बरसात और बारिश वाले दिनों की संख्या घट गई है।

4. प्रदूषण और एरोसोल:
वायुमंडल में बढ़ते प्रदूषक बादलों की बनावट को बदल रहे हैं, जिससे बारिश की दर और निरंतरता पर असर पड़ा है।

5. हवा की दिशा और नमी का असंतुलन:
बादल बनने के बाद भी हवा की दिशा और नमी पर्याप्त न होने पर बारिश नहीं हो पाती।

6. मानसून की अनियमितता:
कभी मानसून जल्दी आ जाता है, कभी देर से। इससे बारिश का वितरण असंतुलित हो गया है।

7. वनों की कटाई और शहरीकरण:
प्राकृतिक हरियाली कम होने और ज़मीन की बनावट में बदलाव से स्थानीय मौसम चक्र भी प्रभावित हुआ है।|


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क्या रिमझिम और फुहार वाली बारिश अब नहीं होती?
➤ IMD के आंकड़ों के अनुसार, हल्की बारिश (2.5-15 मिमी/दिन) के दिनों में 10-15% की गिरावट आई है, जबकि भारी बारिश की घटनाएं 20-30% तक बढ़ी हैं।
➤ पश्चिमी घाट और पूर्वोत्तर भारत: अब भी थोड़ी बहुत रिमझिम बारिश होती है, लेकिन नियमितता कम हो गई है।
➤ मध्य और उत्तर भारत: हल्की बारिश लगभग खत्म हो चुकी है, जबकि बाढ़ या सूखे जैसी चरम स्थितियां बढ़ी हैं।
➤ दक्षिण भारत: केरल और तमिलनाडु में कुछ हद तक हल्की बारिश होती है, लेकिन उसमें भी गिरावट आई है।


बदलते मौसम के साथ बदल रही है हमारी बारिश
बारिश अब वैसी नहीं रही जैसी पहले होती थी — स्थिर, धीमी और लगातार। इसके पीछे जलवायु परिवर्तन, समुद्री प्रभाव, और मानव गतिविधियों का बड़ा हाथ है। भविष्य में भी यह ट्रेंड जारी रह सकता है, इसलिए हमें मौसम की नई सच्चाइयों के साथ तालमेल बिठाना सीखना होगा।

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