Edited By Sahil Kumar,Updated: 18 Dec, 2025 07:04 PM

देश के वायदा बाजार में चांदी ने रिकॉर्ड तेजी दिखाई है और कीमतें 2,07,000 रुपये के पार पहुंच गई हैं। इसके पीछे इंडस्ट्रियल और निवेश मांग में इजाफा, सप्लाई में कमी, रुपये की कमजोरी और अमेरिकी फेड की संभावित ब्याज दर कटौती जैसे कारण हैं। अंतरराष्ट्रीय...
नेशनल डेस्कः देश के वायदा बाजार में चांदी की कीमतों ने नया इतिहास रच दिया है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर चांदी के दाम 2.07 लाख रुपये के पार पहुंचकर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए हैं। इस जबरदस्त तेजी के पीछे इंडस्ट्रियल और निवेश मांग में इजाफा, सप्लाई की कमी, रुपये में कमजोरी और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से संभावित ब्याज दर कटौती जैसे कई अहम कारण बताए जा रहे हैं।
मंगलवार को कारोबारी सत्र के दौरान चांदी ने 2,07,833 रुपये प्रति किलोग्राम का लाइफटाइम हाई बनाया। बाजार बंद होने के बाद भाव थोड़ा फिसलकर 2,07,435 रुपये पर आ गए। गुरुवार सुबह चांदी में मामूली गिरावट देखने को मिली और सुबह 9:40 बजे यह 453 रुपये की कमजोरी के साथ 2,06,982 रुपये पर कारोबार कर रही थी।
सोने से बेहतर रहा चांदी का प्रदर्शन
हाल के महीनों में चांदी ने कीमती धातुओं में सोने को भी पीछे छोड़ दिया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉमेक्स पर चांदी का वायदा भाव पहली बार 66 डॉलर प्रति औंस के पार पहुंच गया। मार्च 2026 के कॉन्ट्रैक्ट में 5.25 फीसदी की तेजी के साथ चांदी 66.65 डॉलर प्रति औंस के लाइफटाइम हाई पर पहुंची। मार्केट एक्सपर्ट अजय बग्गा के अनुसार, चांदी का प्रदर्शन सोने की तुलना में कहीं अधिक मजबूत रहा है। ऐतिहासिक रूप से भी बड़े बुल मार्केट के दौरान चांदी, सोने से बेहतर रिटर्न देती आई है और मौजूदा तेजी उसी का संकेत है।
इंडस्ट्रियल और निवेश मांग में उछाल
विशेषज्ञों का कहना है कि चांदी की कीमतों में तेजी का सबसे बड़ा कारण इंडस्ट्रियल और इंवेस्टमेंट डिमांड में तेज इजाफा है। हाई-टेक और ग्रीन एनर्जी सेक्टर में चांदी की मांग लगातार बढ़ रही है। इसके साथ ही निवेशकों की दिलचस्पी भी चांदी में बढ़ी है।
कोटक सिक्योरिटीज के कमोडिटी रिसर्च एवीपी कायनात चैनवाला के मुताबिक, कम फिजिकल सप्लाई, बढ़ती सेफ-हेवन डिमांड, सिल्वर ईटीएफ में मजबूत निवेश और अमेरिकी फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती की बढ़ती उम्मीदों ने चांदी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।
कच्चे तेल को भी पीछे छोड़ा
चांदी ने प्रदर्शन के मामले में कच्चे तेल को भी पीछे छोड़ दिया है। 65 डॉलर प्रति औंस का स्तर पार करना चांदी के लिए एक नए युग की शुरुआत माना जा रहा है। चॉइस ब्रोकिंग के कमोडिटी और करेंसी एनालिस्ट आमिर मकदा का कहना है कि यह स्थिति 1970 के दशक के अंत और 1980 के दशक की शुरुआत के बाद पहली बार देखने को मिली है। उनके अनुसार, अमेरिका में बढ़ती बेरोजगारी दर (करीब 4.6 फीसदी) आने वाले समय में फेड को ब्याज दरों में कटौती के लिए मजबूर कर सकती है, जिससे चांदी की मांग और बढ़ेगी।
सप्लाई की कमी और रुपये की कमजोरी
चांदी की वैश्विक सप्लाई लगातार पांचवें साल घाटे में बनी हुई है। इसके साथ ही डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी ने घरेलू बाजार में कीमतों को और ऊंचा कर दिया है। मौजूदा साल में रुपया डॉलर के मुकाबले करीब 6 फीसदी तक टूट चुका है। जानकारों का मानना है कि 2026 की पहली छमाही तक रुपये पर दबाव बना रह सकता है, जिससे चांदी की कीमतों को और सहारा मिल सकता है।
सोने में भी दिखी कमजोरी
जहां चांदी ने रिकॉर्ड बनाए हैं, वहीं सोने की कीमतों में मामूली कमजोरी देखने को मिली। गुरुवार सुबह 9:40 बजे सोना 124 रुपये की गिरावट के साथ 1,34,770 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार करता नजर आया।