Edited By Tanuja,Updated: 01 Oct, 2025 03:10 PM

बांग्लादेश में 2024 की राजनीतिक उथल-पुथल और शेख हसीना सरकार के पतन के बाद, डॉ. मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने सुधार और वैश्विक मान्यता का वादा किया। लेकिन एक साल बाद, स्थिति स्थिर नहीं हुई।
International Desk: बांग्लादेश में जुलाई 2024 की ऐतिहासिक जनता उठान और शेख हसीना सरकार के पतन के बाद नवगठित अंतरिम सरकार के तहत डॉ. मोहम्मद यूनुस को प्रमुख सलाहकार बनाया गया। हालांकि सरकार ने सुधार और अंतरराष्ट्रीय मान्यता का वादा किया, लेकिन अब एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कोई ठोस सुधार या कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार नहीं हुआ। इसके विपरीत, देश में मौन संकट उभर रहा है और हजारों लोग देश छोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
कानूनी तरीके से जाने वालों के साथ-साथ कई लोग अवैध मार्गों का सहारा ले रहे हैं, जिससे बांग्लादेशी पासपोर्ट का वैश्विक मान कम हुआ है। भारत, इंडोनेशिया, वियतनाम, थाईलैंड और ताजिकिस्तान जैसे देशों ने अब बांग्लादेशियों के प्रवेश को कठिन बना दिया है। वीज़ा अस्वीकृति, देरी और प्रतिबंध सामान्य हो गए हैं।यूनुस सरकार की पहली बड़ी असफलता कूटनीति में रही। अगस्त 2024 के बाद भारत ने बांग्लादेशियों को पर्यटन वीज़ा जारी करना बंद कर दिया। केवल छात्र और मेडिकल वीज़ा सीमित संख्या में जारी किए जा रहे हैं। यूरोपीय देशों के लिए भारतीय डबल-एंट्री वीज़ा भी अब मुश्किल से मिल रहा है। इंडोनेशिया, थाईलैंड, यूएई और वियतनाम ने भी बांग्लादेशियों के लिए वीज़ा प्रक्रिया में भारी पाबंदियाँ लगा दी हैं।
सरकारी तर्क के अनुसार, मानव तस्करी के कारण अन्य देशों ने वीज़ा जारी करने में सतर्कता दिखाई है। हालांकि, कूटनीतिक निष्क्रियता, राजनीतिक अस्थिरता और सरकार की वैधता की कमी असली कारण माने जा रहे हैं।बांग्लादेशी पासपोर्ट अब अवसर का प्रतीक नहीं रहा, बल्कि लोगों की असाधारण आकांक्षाओं और सीमाओं की याद दिलाने वाला बन गया है।