जब राजीव गांधी के एक फैसले से 18 साल के युवाओं को मिला वोट डालने का हक

Edited By Updated: 20 Dec, 2021 10:35 AM

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वर्ष 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद प्रधानमंत्री बने राजीव गांधी ने अपने कार्यकाल में कई अहम फैसले लिए जिनको याद किया जाता है।  उन फैसलों में एक सबसे अहम फैसला था कि 18 साल के युवाओं को मतदान करने का अधिकार देना।

नई दिल्ली:  वर्ष 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद प्रधानमंत्री बने राजीव गांधी ने अपने कार्यकाल में कई अहम फैसले लिए जिनको याद किया जाता है।  उन फैसलों में एक सबसे अहम फैसला था कि 18 साल के युवाओं को मतदान करने का अधिकार देना। 20 दिसंबर, 1988 को  मतदान की उम्र 21 से घटाकर 18 साल करने के लिए संसद में कानून को मंजूरी दी गई थी। राजीव गांधी की सरकार संसद में संविधान संशोधन बिल लेकर आई और 61वें संशोधन के जरिए संविधान की धारा 326 में बदलाव कर वोट करने की आयु 21 वर्ष से कम कर के 18 वर्ष कर दी गई। 

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संशोधन के बाद राजीव गांधी ने कहा था कि यह संशोधन देश के युवाओं के प्रति हमारे विश्वास की अभिव्यक्ति है। हालांकि इस संशोधन के बाद 1991 में जब देश में आम चुनाव हुए तो वोट प्रतिशत बढऩे की बजाय कम हो गया था। 1984 के चुनाव के दौरान वोट प्रतिशत 64 फीसदी था जो 1989 में 62 फीसदी रह गया और 1991-92 में गिर कर 56 फीसदी रह गया। हालांकि बाद के चुनावों में वोट प्रतिशत में सुधार देखने को मिला और 2014 में वोट प्रतिशत बढ़ कर 66.44 फीसदी हो गया था।
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हालांकि इस बीच वोटरों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई और ऐसा 18 साल के वोटर को वोटर सूची में जोडऩे के साथ ही संभव हो सका। 1989 के चुनाव में देश में 498906129 वोटर थे जो 2014 के चुनाव में बढ़ कर 834082814 वोटर हो गए और 2019 के चुनाव में करीब 90 करोड़ वोटर पंजीकृत हैं। यानी पिछले 21 साल में वोटरों की संख्या 40 करोड़ बढ़ी है और ऐसा वोट करने की आयु सीमा को घटाने के बड़े फैसले से ही संभव हुआ और लोकतंत्र में युवाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है।

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