प्राकृतिक आपदाएं बनी काल: 3 महीने में बिजली गिरने, डूबने और सर्पदंश से 431 लोगों की मौत

Edited By Updated: 08 Aug, 2025 05:59 AM

natural disasters became a problem

झारखंड में मई से जुलाई 2025 के बीच प्राकृतिक आपदाओं ने भीषण तबाही मचाई है।

नेशनल डेस्कः झारखंड में मई से जुलाई 2025 के बीच प्राकृतिक आपदाओं ने भीषण तबाही मचाई है। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, 1 मई से 31 जुलाई तक कुल 431 लोगों की जान विभिन्न आपदाओं में चली गई। जीवन के साथ-साथ आजीविका पर भी इसका गहरा असर पड़ा है।

मौत के प्रमुख कारण

राज्य सरकार द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार:

राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव राजेश कुमार शर्मा ने कहा कि इन घटनाओं का बड़ा कारण अप्रत्याशित मौसम, कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर और सुरक्षा उपायों की कमी है।

भारी बारिश बनी आफत

17 जून से झारखंड में लगातार भारी बारिश हो रही है। इसके चलते कई जिलों में बाढ़, जलभराव और मिट्टी खिसकने जैसी घटनाएं हुईं हैं। रांची, गुमला, लातेहार, साहिबगंज और दुमका जैसे जिलों में सबसे ज्यादा असर देखने को मिला। कई पुल और सड़कें टूट गईं, ग्रामीण इलाकों का संपर्क शहरों से कट गया है।

फसलों और मकानों को भी नुकसान

बारिश और बाढ़ ने सिर्फ जान नहीं ली, बल्कि आजीविका को भी गहरा झटका दिया है:

  • 2,390 हेक्टेयर से अधिक फसलें नष्ट हो गई हैं।

  • हजारों कच्चे और पक्के मकान आंशिक या पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए हैं:

    • 7,979 कच्चे मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त

    • 447 कच्चे मकान पूरी तरह से ढह गए

    • 208 पक्के मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त

    • 20 पक्के मकान पूरी तरह ध्वस्त

सरकार ने जारी किया अलर्ट, राहत उपायों की घोषणा

  • राज्य सरकार ने ₹47 करोड़ का राहत फंड जारी किया है।

  • संवेदनशील जिलों में चेतावनी तंत्र (लाइटनिंग डिटेक्शन सिस्टम, गोताखोर दल, आपात बचाव टीम) सक्रिय किए जा रहे हैं।

  • बारिश और बिजली गिरने के दौरान सुरक्षित स्थानों पर रहने की आवश्यक चेतावनी जारी की गई है।

राज्य सरकार ने कहा है कि वह भविष्य में इस तरह की घटनाओं से जान-माल के नुकसान को रोकने के लिए ‘लाइटनिंग मिटिगेशन प्लान’ और स्थायी राहत उपाय लागू करेगी।

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