छत्तीसगढ़: दंतेवाड़ा में नक्सलियों को बड़ा झटका, 71 माओवादियों ने किया आत्मसमर्पण

Edited By Updated: 24 Sep, 2025 11:24 PM

naxalites suffer major setback in dantewada chhattisgarh

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में 71 माओवादियों ने सुरक्षाबलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है जिनमें से 30 नक्सलियों पर कुल 64 लाख रुपये का इनाम घोषित था। पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी। माओवादियों के आत्मसमर्पण को लेकर मुख्यमंत्री विष्णु देव ने कहा...

नेशनल डेस्क: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में 71 माओवादियों ने सुरक्षाबलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है जिनमें से 30 नक्सलियों पर कुल 64 लाख रुपये का इनाम घोषित था। पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी। माओवादियों के आत्मसमर्पण को लेकर मुख्यमंत्री विष्णु देव ने कहा कि ‘डबल इंजन' वाली सरकार (केंद्र और राज्य में भाजपा शासन) 31 मार्च, 2026 तक नक्सलवाद का सफाया करने और आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों का सम्मानजनक पुनर्वास और बेहतर जीवन प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बस्तर संभाग में चलाये जा रहे आत्मसमर्पण तथा पुनर्वास अभियान ‘पूना मारगेम' (पुनर्वास से पुनर्जीवन) और दंतेवाड़ा जिले में चलाए जा रहे ‘लोन वर्राटू' (घर वापस आईये) अभियान से प्रभावित होकर 71 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। इनमें से 30 माओवादियों पर कुल 64 लाख रुपये का इनाम घोषित था। कुल 71 माओवादियों में 21 महिला माओवादी भी शामिल हैं। आत्मसमर्पण करने वालों में 17 वर्षीय लड़का तथा 16 और 17 वर्ष की दो नाबालिग लड़कियां भी शामिल हैं।

अधिकारियों ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों में प्लाटून नंबर दो में डिप्टी कमांडर बामन मड़काम (30) और कंपनी नंबर एक की सदस्य मनकी उर्फ समीला मंडावी (20) पर आठ-आठ लाख रुपये का इनाम घोषित था। उन्होंने बताया कि जनमिलिशिया कमांडर शमिला उर्फ सोमली कवासी (25), एरिया कमेटी सदस्य गंगी उर्फ रोहनी बारसे (25), संतोष मंडावी (30) और देवे उर्फ कविता माड़वी (25) पर पांच-पांच लाख रुपये का इनाम था। अधिकारियों ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले एक माओवादी पर तीन लाख रुपये, छह माओवादियों पर दो-दो लाख रुपये, नौ माओवादियों पर एक-एक लाख रुपये तथा आठ माओवादियों पर 50-50 हजार रुपये का इनाम घोषित था।

उन्होंने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों के खिलाफ पुलिस दल पर हमला, आगजनी और कई अन्य नक्सली घटनाओं में शामिल होने का आरोप है। आत्मसमर्पण करने वाली महिला माओवादियों में से एक शमिला ने कहा कि वह 2009 से संगठन में सक्रिय थी और सुरक्षाबलों के बढ़ते दबाव और लगातार नक्सल विरोधी अभियान के कारण उसने इसे छोड़ने का फैसला किया। शमिला ने बताया कि उसका पति मल्लेश वर्तमान में बस्तर के उत्तरी क्षेत्र में माओवादी कमांडर के रूप में सक्रिय है। उसने बताया कि वह हाल ही में माओवादियों की इंद्रावती क्षेत्र समिति में जनमिलिशिया कमांडर के रूप में सक्रिय थी और पिछले कुछ महीनों में इस क्षेत्र में सुरक्षाकर्मियों के साथ मुठभेड़ में शामिल माओवादी दस्ते का हिस्सा थी। शमिला ने बताया, ''संगठन में काम करते हुए मेरी मल्लेश से शादी हुई। हमारे बच्चे नहीं हैं क्योंकि संगठन में काम करते हुए इसकी अनुमति नहीं है। अब मैं खुश हूं कि मैं एक सामान्य जीवन जी पाऊंगी।''

शमिला ने बताया कि वह अपने पति से आखिरी बार पिछले साल जनवरी में मिली थी। उसने अपने पति को संगठन छोड़ने के लिए एक पत्र लिखा था, लेकिन उसकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला। शमिला ने कहा, ''मैं उससे आत्मसमर्पण करने के लिए कहना चाहती हूं जिससे हम एक सामान्य और खुशहाल जीवन जी सकें।'' मुख्यमंत्री साय ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में लिखा है, ''छंट रहा है नक्सलवाद का अंधियारा, बदल रहा है दंतेवाड़ा। हमारी सरकार की नवीन आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025 और नियद नेल्ला नार योजना ने दंतेवाड़ा सहित बस्तर अंचल में नया विश्वास जगाया है। माओवादी हिंसा के झूठे नारों से भटके लोग अब विकास और शांति की राह चुन रहे हैं।''

उन्होंने कहा, ''आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को बेहतर जीवन की शुरुआत के लिए 50-50 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि के चेक प्रदान किए गए हैं। इसके साथ ही उन्हें नक्सल उन्मूलन नीति के तहत सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। हमारी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं और भरोसेमंद वातावरण के कारण अब तक 1770 से अधिक माओवादी मुख्यधारा से जुड़ चुके हैं।'' अधिकारियों ने बताया कि जिले में 'लोन वर्राटू' अभियान के माध्यम से माओवाद प्रभावित ग्रामीणों और कैडरों को मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ‘पूना मारगेम' उसी सोच को विस्तार देने वाला कदम है, जिसमें आत्मसमर्पण करने वालों को सम्मान, पुनर्वास और भविष्य निर्माण के ठोस अवसर दिए जा रहे हैं।

अधिकारियों ने बताया कि भारत सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति से प्रेरित होकर, पिछले 19 महीनों में दंतेवाड़ा जिले में 129 इनामी माओवादी सहित कुल 461 से अधिक नक्सली हिंसा का मार्ग छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हुए हैं। उनके मुताबिक, माओवादियों के वरिष्ठ नेतृत्व से लेकर जमीन पर सक्रिय कैडर तक बड़ी संख्या में नक्सली संगठन से अलग हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि ‘लोन वर्राटू' अभियान के तहत अब तक 297 इनामी माओवादियों सहित कुल 1,113 माओवादियों ने किया आत्मसमर्पण किया है जिसमें दंतेवाड़ा जिले के साथ-साथ सीमावर्ती जिलों बस्तर, बीजापुर और नारायणपुर के 887 पुरुष माओवादी तथा 226 महिला माओवादी शामिल हैं।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में हुई मुठभेड़ में प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के दो वरिष्ठ माओवादी नेताओं के मारे जाने के बाद माओवादी संगठन और कमजोर पड़ गया है। अबूझमाड़ के फरसबेड़ा और टोयमेटा गांवों की जंगली पहाड़ियों के पास सोमवार को सुरक्षाबलों ने प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) की केंद्रीय समिति के सदस्य राजू दादा उर्फ कट्टा रामचंद्र रेड्डी (63) और कोसा दादा उर्फ कादारी सत्यनारायण रेड्डी (67) को मुठभेड़ में मार गिराया था। 

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