Nepal protest:अंतरिम पीएम को लेकर Gen-Z में फूट, सेना मुख्यालय के बाहर खूनी झड़प ! बोले-भारत समर्थक सुशीला कार्की मंजूर नहीं

Edited By Updated: 11 Sep, 2025 07:57 PM

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नेपाल में जारी Gen-Z आंदोलन अब नए मोड़ पर पहुंच गया है। अंतरिम प्रधानमंत्री के नाम पर सहमति न बन पाने की वजह से आंदोलनकारियों में आपसी फूट पड़ गई...

International Desk: नेपाल में जारी Gen-Z आंदोलन अब नए मोड़ पर पहुंच गया है। अंतरिम प्रधानमंत्री के नाम पर सहमति न बन पाने की वजह से आंदोलनकारियों में आपसी फूट पड़ गई है। गुरुवार को सेना मुख्यालय के बाहर दो गुट आमने-सामने आ गए और लात-घूंसे चलने लगे। इस झड़प में कई युवक घायल हो गए। नेपाल में सरकार विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे ‘जेन जी' समूह ने बृहस्पतिवार को कहा कि संसद को भंग किया जाना चाहिए और लोगों की इच्छा को प्रतिबिंबित करने के लिए संविधान में संशोधन किया जाना चाहिए। इस बीच, स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि सोमवार और मंगलवार को हुए जबरदस्त विरोध प्रदर्शनों में अब तक 34 लोगों की मौत हो चुकी है। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश भर के अस्पतालों में 1,338 लोग भर्ती हैं, जबकि 949 को पहले ही छुट्टी दे दी गई है।

 

कार्की को भारत समर्थक बताकर विरोध
प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा हिस्सा पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की  को अंतरिम पीएम बनाने के पक्ष में था। लेकिन दूसरे गुट ने आरोप लगाया कि कार्की “भारत समर्थक” हैं और उनका नाम नेपाल की स्वतंत्र विदेश नीति के लिए ठीक नहीं है। यही वजह रही कि कार्की का नाम विरोध की भेंट चढ़ गया। ‘जेन जी' समूह के प्रतिनिधि दिवाकर दंगल, अमित बनिया और जुनल दंगल ने पुराने राजनीतिक दलों को चेताया कि वे अपने निहित स्वार्थों के लिए उनका इस्तेमाल न करें। एक कार्यकर्ता ने कहा, "यह पूरी तरह से नागरिक आंदोलन है, इसलिए इसमें राजनीति करने की कोशिश न करें।" दंगल ने कहा, "हमारे सामने राष्ट्रीय संप्रभुता, एकता की रक्षा और आत्म-सम्मान बनाए रखने की चुनौती है। हम सभी नेपालियों को इस कठिन परिस्थिति में नेपाली जनता के कल्याण और हितों की रक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए।" 

 

बालेन शाह को  बढ़त
काठमांडू के मेयर और लोकप्रिय युवा चेहरा  बालेन शाह  को अब Gen-Z का बड़ा गुट समर्थन दे रहा है। शाह का भारत विरोधी रुख और चीन-झुकाव वाली सोच नेपाल के भीतर अलग-अलग समीकरण बना रही है। अगर सुशीला कार्की का नाम तय होता, तो यह भारत-नेपाल संबंधों के लिए सकारात्मक संकेत होता। जबकि शाह का उभार भारत के लिए चुनौती बन सकता है क्योंकि शाह अतीत में भारत पर तीखे बयान दे चुके हैं। मौजूदा तनाव का असर दोनों देशों की सीमा सुरक्षा और व्यापारिक रिश्तों पर भी पड़ सकता है।

 

सेना की भूमिका और आगे की राह
नेपाल आर्मी अभी स्थिति को संभालने में जुटी है। राजनीतिक समीकरण जिस तरह बदल रहे हैं, उससे साफ है कि अंतरिम पीएम के नाम पर सहमति बनाने में वक्त लगेगा। Gen-Z आंदोलन ने नेपाल की पुरानी राजनीति को हिलाकर रख दिया है और इसका सीधा असर भारत-नेपाल रिश्तों पर पड़ेगा। प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 34 हो गई है। प्रदर्शनकारियों ने अपने विचार व्यक्त करने के लिए यहां एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया, जबकि उनके कुछ प्रतिनिधि वर्तमान राजनीतिक संकट का समाधान खोजने के लिए सेना मुख्यालय में राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और सेना प्रमुख अशोक राज सिगडेल के साथ विचार-विमर्श में व्यस्त थे। इस अवसर पर ‘जेन जी' कार्यकर्ताओं ने बातचीत और सहयोग के माध्यम से समाधान खोजने की आवश्यकता पर बल दिया।

 

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