भारत से रिश्ते बिगाड़ चीन से नजदीकी नहीं चाहती नेपाली सेना, कल नेपाल पहुंचेंगे आर्मी चीफ नरवणे

Edited By Updated: 03 Nov, 2020 02:19 PM

nepali army does not want to spoil relations with india closer to china

भारत और नेपाल के बीच पिछले कुछ समय से जारी तल्खी के बीच भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे इस हफ्ते नेपाल यात्रा पर जा रहे हैं। नरवणे को इस यात्रा के दौरान जनरल रैंक की मानद रैंक से सम्मानित किया जाएगा। सेना प्रमुख 5 नंवबर को नेपाल के...

नेशनल डेस्क: भारत और नेपाल के बीच पिछले कुछ समय से जारी तल्खी के बीच भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे इस हफ्ते नेपाल यात्रा पर जा रहे हैं। नरवणे को इस यात्रा के दौरान जनरल रैंक की मानद रैंक से सम्मानित किया जाएगा। सेना प्रमुख 5 नंवबर को नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से मुलाकात करेंगे। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि भारत-नेपाल के रिश्तों में जमी बर्फ जरूर पिघलेगी। भले ही दोनों देशों के नेताओं ने तीखी बयानबाजी की हो लेकिन भारत-नेपाल की सेनाओं के बीच गर्माहट कभी कम नहीं हुई। हाल ही में भारत के रॉ चीफ सामंत कुमार गोयल ने नेपाल की यात्रा की थी और अब सेना प्रमुख नेपाल जा रहे हैं ऐसे में द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने की दिशा में इसे बड़ा कदम माना जा रहा है।

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नेपाल के सूत्रों के मुताबिक नेपाल की नरमी के पीछे नेपाली सेना और खासतौर पर सेनाध्यक्ष जनरल पूर्णचंद थापा की कोशिशों का बड़ा हाथ है। खबरों के मुताबिक नेपाल की सेना नहीं चाहती कि भारत के साथ रिश्ते खराब करने की कीमत पर चीन से नजदीकी बढ़ाई जाए। सूत्रों के मुताबिक सेना प्रमुख के बाद विदेश मंत्री या विदेश सचिव स्तर का दौरा भी संभव है। 2016 में भारत आ चुके और बातचीत की पहल करने वाले सेनाध्यक्ष जनरल पूर्णचंद थापा मानते हैं कि यह स्पष्ट संदेश देने का मौका है कि भारत और चीन के बीच नेपाल तटस्थ है।  5 नवंबर को नरवणे को राष्ट्रपति बिद्यादेवी भंडारी नेपाल आर्मी के मानद सेनाध्यक्ष सम्मान से नवाजेंगी। भारत और नेपाल के बीच रोटी-बेटी के संबंधों का हवाला देते हुए विशेषज्ञ भी कई बार कह चुके हैं कि दोनों देशों से सीमा विवाद सहित अन्य मतभेदों को बातचीत के जरिये जल्द दूर कर संबंधों में सकारात्मक बदलाव लाना चाहिए?

 

सेवानिवृत लेफ्टिनेंट जनरल शोकिन चौहान ने कहा कि भारत और नेपाल का इतिहास , भूगोल , संस्कृति और पानी एक समान है। सैन्य कूटनीति को द्विपक्षीय संबंधों की रीढ करार देते हुए उन्होंने कहा कि 1950 में कम्युनिस्ट चीन ने जब नेपाल की संप्रभुता पर निशाना साधते हुए उससे ‘मेनलैंड' में शामिल होने के लिए कहा तो भारतीय सेना ने नेपाली सेना को पुनगठिर्त करने में मदद की थी। नेपाल दूतावास में रक्षा अताची रह चुके लेफ्टिनेंट जनरल चौहान ने कहा कि आप भले ही किसी भी रूप में हैं दोनों देशों की सेनाओं के बीच एक ही भावना है। नेपाल में एक लाख 28 हजार सैन्य पेंशनधारी हैं जो देश की आबादी का बड़ा हिस्सा है। जनरल चौहान ने कहा कि भारत की आबादी नेपाल से 40 गुना अधिक है और इसकी अर्थव्यवस्था नेपाल की अर्थव्यवस्था से सौ गुना बड़ी है। आने वाले 20 से 25 सालों में भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है और हमें इन तथ्यों का पता है।

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