Income Tax बिल 2025 में बदले ये 11 बड़े नियम, जानिए आम आदमी से लेकर बिजनेस पर क्या पड़ेगा असर

Edited By Updated: 12 Aug, 2025 10:45 AM

new income tax law 2025 11 key changes you must know

देश की टैक्स व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव हुआ है। संसद ने इनकम टैक्स (संशोधन) बिल 2025 पास कर दिया है जो अब 60 साल पुराने इनकम टैक्स एक्ट 1961 की जगह लेगा। इसे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया और बताया कि इस नए कानून का मकसद टैक्स प्रणाली को...

नेशनल डेस्क: देश की टैक्स व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव हुआ है। संसद ने इनकम टैक्स (संशोधन) बिल 2025 पास कर दिया है जो अब 60 साल पुराने इनकम टैक्स एक्ट 1961 की जगह लेगा। इसे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया और बताया कि इस नए कानून का मकसद टैक्स प्रणाली को सरल, स्पष्ट और विवाद मुक्त बनाना है। इस बिल में कुल 11 बड़े बदलाव किए गए हैं, जिनका असर आम टैक्सपेयर्स से लेकर बिज़नेस, कंपनियों और नॉन-प्रॉफिट संस्थानों तक पड़ेगा। आइए सरल भाषा में जानते हैं कि नए इनकम टैक्स बिल 2025 में क्या-क्या बदला है और आम लोगों को इससे क्या फायदा होगा।

आम करदाताओं के लिए क्या बदला?

1. लेट रिटर्न भरने पर भी रिफंड मिलेगा

अब अगर आप किसी वजह से तय समय सीमा के बाद इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करते हैं, तब भी आप रिफंड का हकदार होंगे, अगर देरी की वजह सही हो जैसे - बीमारी, तकनीकी दिक्कत या अन्य वैध कारण।

2. हाउस प्रॉपर्टी इनकम पर नया नियम

अब हाउस प्रॉपर्टी की इनकम पर 30% स्टैंडर्ड डिडक्शन म्युनिसिपल टैक्स घटाने के बाद ही लगेगा। साथ ही, प्री-कंस्ट्रक्शन इंटरेस्ट की छूट अब स्वयं के उपयोग की और किराए पर दी गई दोनों प्रॉपर्टीज़ के लिए मिलेगी।

3. पेंशन पर राहत

नई यूनिफाइड पेंशन स्कीम के तहत कुछ पेआउट पूरी तरह टैक्स-फ्री होंगे। कम्यूटेड पेंशन की छूट अब केवल कर्मचारियों (Employees) तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि नॉन-एम्प्लॉयीज़ को भी मिलेगी अगर पैसा किसी अप्रूव्ड पेंशन फंड से आया है।

4. LRS रेमिटेंस पर राहत

अब अगर कोई व्यक्ति एजुकेशन लोन लेकर विदेश में पढ़ाई के लिए पैसा भेजता है, तो उस राशि पर कोई TCS (Tax Collected at Source) नहीं लगेगा।

बिज़नेस और कंपनियों के लिए बड़े बदलाव

5. इंटर-कॉरपोरेट डिविडेंड पर राहत

पुराने ड्राफ्ट में हटाया गया प्रावधान फिर से शामिल किया गया है। इससे अब कंपनियों को एक ही डिविडेंड पर बार-बार टैक्स नहीं देना पड़ेगा। यह कॉर्पोरेट टैक्सपेयर्स के लिए बड़ी राहत है।

6. ‘बेनिफिशियल ओनर’ की नई परिभाषा

अब अगर किसी के पास शेयर का लाभ (benefit) है, तो उसे लॉस कैरी-फॉरवर्ड (Loss Carry Forward) की सुविधा मिलेगी। इससे शेयरधारकों को टैक्स प्लानिंग में आसानी होगी।

7. ट्रांसफर प्राइसिंग की भाषा अब स्पष्ट

ट्रांसफर प्राइसिंग के नियमों में भाषा को आसान किया गया है ताकि विवाद कम हों। हालांकि नियमों की मूल भावना में कोई बदलाव नहीं हुआ है, लेकिन अब यह ज्यादा स्पष्ट और समझने में आसान हो गया है।

8. LLPs पर AMT में सुधार

पुराने ड्राफ्ट में गलती से LLPs (Limited Liability Partnerships) पर वैकल्पिक न्यूनतम कर (AMT) का दायरा ज्यादा कर दिया गया था, जो अब पुराने 1961 एक्ट के अनुसार ठीक कर दिया गया है।

9. नॉन-प्रॉफिट संस्थानों को राहत

अब चैरिटेबल ट्रस्ट्स और नॉन-प्रॉफिट संस्थाएं अपनी कुल डोनेशन का 5% तक गुमनाम चंदा ले सकेंगी, जैसा कि 1961 एक्ट में था। इससे इन संस्थानों की फंडिंग में आसानी होगी।

10. TDS/TCS पर स्पष्टता

‘Nil’ और ‘Lower Deduction Certificate’ का प्रावधान फिर से जोड़ दिया गया है। इससे टैक्स कटौती को लेकर भ्रम नहीं रहेगा और विवादों की संभावना घटेगी।

11. MSME की परिभाषा अब स्पष्ट

अब माइक्रो और स्मॉल एंटरप्राइजेज़ की परिभाषा पूरी तरह से MSME एक्ट, 2006 के मुताबिक होगी। इससे नीतियों और लाभों में समरूपता आएगी।

नया इनकम टैक्स बिल 2025 किसी तरह के बड़े टैक्स रेट में बदलाव नहीं लाता है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी खासियत है - भाषा में स्पष्टता, नियमों में पारदर्शिता और विवादों की गुंजाइश को कम करना। इससे टैक्स फाइलिंग का प्रोसेस आसान होगा, आम आदमी को समझने में आसानी होगी और टैक्स सिस्टम ज्यादा ईमानदार और भरोसेमंद बन सकेगा।

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