पहलगाम आतंकी हमले का नया सच, पहली बार भारत के हाथ लगे ये पुख्ता सबूत

Edited By Updated: 04 Aug, 2025 08:57 PM

new truth of pahalgam terrorist attack

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले के आरोपियों की पहचान अब साफ हो गई है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने पुष्टि की है कि इस हमले में शामिल तीनों आतंकी पाकिस्तान के नागरिक थे। 28 जुलाई को हुए 'ऑपरेशन महादेव' में ये...

नेशनल डेस्क: 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले के आरोपियों की पहचान अब साफ हो गई है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने पुष्टि की है कि इस हमले में शामिल तीनों आतंकी पाकिस्तान के नागरिक थे। 28 जुलाई को हुए 'ऑपरेशन महादेव' में ये तीनों आतंकी भारतीय सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए।

सरकार को मिले पुख्ता सबूत

भारत सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के हाथ ऐसे दस्तावेज और बायोमेट्रिक सबूत लगे हैं, जो तीनों आतंकियों की पाकिस्तानी नागरिकता को साबित करते हैं। पाकिस्तान की नेशनल डेटाबेस एंड रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी (NDRA) से जुड़े दस्तावेज, वोटर स्लिप, फिंगरप्रिंट और चेहरे की पहचान (फेस स्कैन) के रिकॉर्ड भी बरामद हुए हैं।

ऑपरेशन महादेव में मारे गए थे आतंकी

सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, 28 जुलाई को हुए ऑपरेशन में मारे गए ये तीनों आतंकी लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े थे।
इनकी पहचान इस प्रकार हुई है:

  • सुलेमान शाह उर्फ फैसल जट्ट (हमले का मास्टरमाइंड)
  • अबू हमजा उर्फ अफगान (A-ग्रेड कमांडर)
  • यासिर उर्फ जिब्रान (A-ग्रेड शूटर)

तीनों ने हमले के बाद दाचीगाम-हरवान के जंगलों में शरण ली थी।

पाकिस्तानी दस्तावेज और वोटर स्लिप बरामद

मारे गए आतंकियों के पास से पाकिस्तान चुनाव आयोग द्वारा जारी की गई दो लेमिनेटेड वोटर स्लिप मिली हैं, जो लाहौर (NA-125) और गुजरांवाला (NA-79) की हैं। इसके अलावा सैटेलाइट फोन, माइक्रो SD कार्ड, और GPS लॉग भी जब्त किए गए हैं, जिनमें पाकिस्तान से जुड़ी जानकारियां पाई गईं।

चॉकलेट के रैपर से भी हुआ खुलासा

सर्च ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान में बनी चॉकलेट कंपनियों- ‘कैंडीलैंड’ और ‘चोकोमैक्स’ के रैपर बरामद हुए हैं। इसके अलावा 7.62×39 MM के कारतूस, तीन AK-103 राइफलें और हमले के दौरान पहनी गई फटी कमीज पर मिले खून के नमूने भी मिले हैं, जो डीएनए जांच में मारे गए आतंकियों से मेल खाते हैं।

मई 2022 में की थी घुसपैठ

सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि तीनों आतंकियों ने मई 2022 में गुरेज सेक्टर से भारत में घुसपैठ की थी। हमले से एक दिन पहले, 21 अप्रैल को उन्होंने बैसरन घाटी के पास एक झोपड़ी में शरण ली थी, जहां स्थानीय नागरिकों परवेज और बशीर अहमद ने उन्हें खाना और रात गुजारने की जगह दी थी।

सैटेलाइट फोन से लश्कर कमांडर से संपर्क

जांच में सामने आया है कि आतंकियों ने हुवेई सैटेलाइट फोन (IMEI: 86761204) का इस्तेमाल कर 22 अप्रैल से 25 जुलाई के बीच इनमारसैट-4 F1 सैटेलाइट के जरिए पाकिस्तान में लश्कर के साउथ कश्मीर ऑपरेशन चीफ साजिद सैफुल्लाह जट्ट से कई बार संपर्क किया।

जनाजे की वीडियो भी डोजियर में शामिल

हमले के एक दिन बाद, 29 जुलाई को लश्कर के रावलकोट चीफ रिजवान अनीस ने तीनों आतंकियों के परिजनों से मुलाकात की और गैबाना गांव में नमाज-ए-जनाजा में शामिल हुआ। इस जनाजे की वीडियो फुटेज भी भारत सरकार ने अपने आधिकारिक डोजियर में शामिल की है।

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